जोधपुर. पर्यावरण संरक्षण के लिए किसानों को एग्रो फोरेस्ट्री के प्रति जागरूक करने के लिए आफरी की ओर से शुक्रवार को एक सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें किसानों को एग्रो फोरेस्ट्री के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया गया. साथ ही मोटा अनाज के उत्पादन पर भी व्याख्यान हुए.
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद शुष्क वन अनुसंधन संस्थान आफरी के निदेश एमआर बलोच ने बताया कि किसानों को पर्यावरण से जोड़ने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं. खास तौर से ऐसे पौधे लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है जो कम पानी में पनप सकें. इनमें कई प्रजातियां आफरी की ओर से भी विकसित की गई हैं. इसके अलावा इस सम्मेलन में मिलेट्स के उत्पादन पर जानकारी दी गई. किसानों को बताया गया कि कैसे वे मोटे अनाज से अपना व्यवसाय कर सकते हैं.
इस दौरान पद्मश्री हिमताराम भांबू ने बताया कि इस तरह के आयोजन से पर्यावरण के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. भारत सरकार ऐसे वृक्षों के उत्पादन को बढ़ावा भी दे रही है. आफरी के माध्यम से यह किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं. आफरी की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में पश्चिमी राजस्थान के जिलों से आए ऐसे किसानों को सम्मानित भी किया गया, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किए हैं. बीकानेर के महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ गंगाराम जाखड़ ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम पर्यावरण को लेकर होने वाली चर्चा से कहीं आगे, इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करेंगे.
मिलने लगे हर माह 70 हजार के आर्डरः इस सम्मेलन में खास तौर से काजरी से प्रशिक्षित रूचिका लीला के उत्पाद लगाए गए, जो मोटे अनाज से बने हुए हैं. इसमें बिस्टिक, चॉकलेट व कुरकरे शामिल किए गए. किसानों को इसे बनाने की विधि बताई गई. रूचिका ने बताया कि छह माह पहले उन्होंने प्रशिक्षण लेकर यह काम शुरू किया था, अब हर माह 70 हजार रुपए के आर्डर मिलने लगे हैं. पूरे काम में महिलाओं को जोड़ा गया है, हम डायबिटीज रोगियों के लिए भी बिस्किट बना रहे हैं जो ग्लुटिन मुक्त होते हैं.