जोधपुर. मेहरानगढ़ किले में स्थित चामुंडा मंदिर में शनिवार को चैत्र नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं की (Mehrangarh Chamunda temple) भीड़ उमड़ पड़ी. मंदिर प्रवेश के लिए दो साल बाद आज फिर लंबी-लंबी कतारें नजर आई. कोरोना के चलते लगातार दो साल तक चैत्र नवरात्र के समय मेहरानगढ़ बंद रहा था. लेकिन आज चामुंडा माता का दर्शन करने के लिए उमड़ी भीड़ बता रही है कि लोगों की इस मंदिर के प्रति कितनी गहरी आस्था है. जोधपुर के लोग चामुंडा माता को जीवनदायिनी मानती है. ऐसा कहा जाता है कि 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान चामुंडा की कृपा से ही जोधपुर पर गिराए गए बमों से कोई नुकसान नहीं हुआ था.
मेहरानगढ़ स्थित मंदिर में मां चामुंडा की मूर्ति 552 साल पहले विक्रम संवत 1517 में जोधपुर के तत्कालीन शासक ने स्थापित की थी. ये परिहार वंश की कुलदेवी है जिसे राव जोधा ने भी अपनी इष्ट देवी माना था. पूरे मारवाड़ में मां चामुंडा के प्रति लोगों की अटूट आस्था है. इस मंदिर का संचालन मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट करता है और नवरात्र के दौरान श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं. इस दिन जोधपुर के पूर्व राजपरिवार भी दर्शन के लिए आता है और मां चामुंडा की पूजन करते हैं.
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550 साल में पहली बार बंद हुए थे मंदिर: मेहरानगढ में चामुंडा माता की मूर्ति की स्थापना (devotees came to worship in Mehrangarh Chamunda temple) के बाद से ही इस मंदिर में आमजन दर्शन करने के लिए आते थे. लेकिन कोरोना के चलते दो साल तक लोग मंदिर में दर्शन नहीं कर सके थे. साल 2008 में मंदिर में हुए भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन इसके बाद भी अगले दिन दर्शन के लिए मंदिर खोला गया था. इस घटना के बाद मंदिर में अलसुबह की बजाय दस बजे से प्रवेश की व्यस्था लागू कर दी गई था. साथ ही सुरक्षा के इंतजाम भी लागू किए गए.