जोधपुर. राजस्थान में मोती डूंगरी गणेश मंदिर, त्रिनेत्र गणेश मंदिर और इश्किया गणेश मंदिर सहित कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन जोधपुर में भगवान गणेश का एक बिछड़िया गणेश मंदिर भी है. जहां बप्पा की प्रतिमा लगभग 400 साल पहले प्रकट हुई थी. जहां दूर-दूर से विघ्नहर्ता के दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं.
जोधपुर के निकट एक गांव विनायकिया में बिछड़िया गणेश मंदिर है. गांव का नाम भी भगवान गणेश के नाम विनायक के कारण ही विनायकिया है. कहते हैं कि इस मंदिर की मूर्ति करीब 400 साल पहले प्रकट हुई थी. पौराणिक कथा है कि एक बार देवता भ्रमण पर निकले थे. इस दौरान भगवान गणेश उनसे बिछड़ गए और विनायकिया गांव में रुक गए. इसलिए इस जगह का नाम भी विनायक के नाम पर हो गया और मंदिर का नाम बिछड़िया गणेश जी हो गया.
यहां मन्नत मांगने से शादियों में रुकावट होती है दूर...
ऐसे तो बप्पा विघ्न हरने के लिए जाने जाते हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन बिछड़िया गणेश मंदिर की एक खास मान्यता है कि यहां आकर मन्नत मांगने से शादी में आ रही सारी अड़चनें दूर हो जाती हैं. जिन युवक-युवतियों की शादी में रुकावट आ रही हो, अगर माता-पिता अपने उन बच्चों जिनके विवाह नहीं होते हैं, उनके साथ मंदिर आकर यहां मन्नत मांगते हैं तो उनके वैवाहिक संबंध जल्दी हो जाते हैं. ये मान्यता जोधपुर के पुराने राजे-रजवाड़े के समय से चली आ रही है.
शहर की परिक्रमा होती है मंदिर से शुरू...
मंदिर के पुजारी राजेंद्र दास बताते हैं कि उनका परिवार पांच पीढ़ियों से मंदिर में भगवान गणेश की सेवा में लगा है. पुरुषोत्तम मास में पूरे शहर की परिक्रमा की जाती है, जो इस गणेश मंदिर से शुरू होती है. जिसे भोगीशेल प्ररिक्रमा कहते हैं.
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यह परिक्रमा कई सदियों से चली आ रही है. 1925 से तो इसका आधिकारिक प्रमाण भी मौजूद है. कहा जाता है कि राजाओं ने भगवान गणेश के इस मंदिर की मान्यता के चलते ही शहर की परिक्रमा की शुरुआत यहां से शुरू करने का प्रचलन शुरू किया था, जो आज दिन तक जारी है.
कोरोना के कारण भक्त हुए भगवान से दूर...
बिछड़िया गणेश मंदिर में साल भर भक्त अपनी मन्नत लेकर आते हैं, लेकिन अनंत चतुर्दशी के दिन यहां भारी भीड़ जुटती है. लोग दूर-दूर से बिछड़िया गणेश के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं, लेकिन इस बार कोरोना ने भक्तों को भगवान से दूर कर दिया है. संक्रमण को देखते हुए इस बार मंदिर में कोई आयोजन नहीं रखा गया है. वहीं कभी भक्तों से गुलजार रहनेवाला बप्पा का इस दरबार में इक्के दुक्के श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं और माथा टेक कर जा रहे हैं.