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जोधपुर: किताबों के फेस्टिवल से स्कूली बच्चों को किताबी साहित्य से जोड़ने की मुहिम - इस बार 2 नाटकों का मंचन भी रखा है

किताबों के फेस्टिवल से स्कूली बच्चों को किताबी साहित्य से जोड़ने की कोशिश "डेजर्ट लीफ फाउंडेशन विद्याश्रम" के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए फेस्टिवल के पहले दिन देश की जानी मानी स्टोरी ट्रेलर जीवा रघुनाथ शोभा विश्वनाथ सहित कई बड़े नाम शामिल हुए

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किताबों के फेस्टिवल से स्कूली बच्चों को किताबी साहित्य से जोड़ने की कोशिश
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Published : Dec 18, 2019, 9:52 AM IST

जोधपुर. स्कूली बच्चे सामान्यतः अपने कोर्स की किताबों में ही मशहूर रहते हैं. ऐसे में उनका साहित्य से कोई लेना देना नहीं होता है. कहानी कविता लिटरेचर उनके लिए जैसे बहुत दूर की बात है. इसे बदलने के लिए शहर में 3 साल पहले शुरू हुए किताबों में लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा संस्करण मंगलवार को प्रारंभ हुआ है.

किताबों के फेस्टिवल से स्कूली बच्चों को किताबी साहित्य से जोड़ने की कोशिश

इस बार फेस्टिवल में हिंदी अंग्रेजी के अलावा राजस्थानी के क्षेत्र भी रखे हैं, जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा का महत्व भी जान सकें. फेस्टिवल डायरेक्टर इरा सिसोदिया ने बताया कि फेस्टिवल में रंगमंच फन कारी के तीन मंच किस्सा, कोना, मस्ती मंच, कथापुर नौटंकी ब्रेन और ट्रेन के साथ इस बार नाटकों का भी मंचन रखा गया है.

इस फेस्टिवल में 8 से 14 साल के बच्चों को केंद्र मानकर ही कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं. हालांकि कुछ क्षेत्र में बड़े बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी अनुमति दी गई है.
कथा वाचिका जीवा रंगनाथन बताती है कि बच्चों को किताबों से जोड़ना बहुत जरूरी है और यह किताबें फेस्टिवल में लगातार अपनी ऊंचाइयों को बढ़ा रही हैं. यह बच्चों के लिए बहुत ही आकर्षण का विषय बनता जा रहा है.

पढ़ें:नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : झारखंड के बाबाधाम में पुजारी ने शुरू की मुहिम

किताब फेस्टिवल अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रयास है. फेस्टिवल डायरेक्टर नीरज सिसोदिया के अनुसार हमने इस बार 2 नाटकों का मंचन भी रखा है. वह मानती हैं कि बच्चे किसी भी रूप में किताबों और साहित्य से जुड़े चाहे एक हो लेकिन साहित्य को पढ़े, जिससे कि वह समझ सके की इसके आयाम कैसे हैं यही हमारा लक्ष्य है.

जोधपुर. स्कूली बच्चे सामान्यतः अपने कोर्स की किताबों में ही मशहूर रहते हैं. ऐसे में उनका साहित्य से कोई लेना देना नहीं होता है. कहानी कविता लिटरेचर उनके लिए जैसे बहुत दूर की बात है. इसे बदलने के लिए शहर में 3 साल पहले शुरू हुए किताबों में लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा संस्करण मंगलवार को प्रारंभ हुआ है.

किताबों के फेस्टिवल से स्कूली बच्चों को किताबी साहित्य से जोड़ने की कोशिश

इस बार फेस्टिवल में हिंदी अंग्रेजी के अलावा राजस्थानी के क्षेत्र भी रखे हैं, जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा का महत्व भी जान सकें. फेस्टिवल डायरेक्टर इरा सिसोदिया ने बताया कि फेस्टिवल में रंगमंच फन कारी के तीन मंच किस्सा, कोना, मस्ती मंच, कथापुर नौटंकी ब्रेन और ट्रेन के साथ इस बार नाटकों का भी मंचन रखा गया है.

इस फेस्टिवल में 8 से 14 साल के बच्चों को केंद्र मानकर ही कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं. हालांकि कुछ क्षेत्र में बड़े बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी अनुमति दी गई है.
कथा वाचिका जीवा रंगनाथन बताती है कि बच्चों को किताबों से जोड़ना बहुत जरूरी है और यह किताबें फेस्टिवल में लगातार अपनी ऊंचाइयों को बढ़ा रही हैं. यह बच्चों के लिए बहुत ही आकर्षण का विषय बनता जा रहा है.

पढ़ें:नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : झारखंड के बाबाधाम में पुजारी ने शुरू की मुहिम

किताब फेस्टिवल अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रयास है. फेस्टिवल डायरेक्टर नीरज सिसोदिया के अनुसार हमने इस बार 2 नाटकों का मंचन भी रखा है. वह मानती हैं कि बच्चे किसी भी रूप में किताबों और साहित्य से जुड़े चाहे एक हो लेकिन साहित्य को पढ़े, जिससे कि वह समझ सके की इसके आयाम कैसे हैं यही हमारा लक्ष्य है.

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Body:जोधपुर स्कूली बच्चे सामान्यतः अपने कोर्स की किताबों में ही मशहूर रहते हैं साहित्य से उनका कोई लेना देना नहीं होता है कहानी कविता लिटरेचर उनके लिए जैसे बहुत दूर की कौड़ी है इसे बदलने के लिए शहर में 3 साल पहले शुरू हुए किताबों लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा संस्करण मंगलवार को प्रारंभ हुआ डेजर्ट लीफ फाउंडेशन विद्याश्रम के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए फेस्टिवल के पहले दिन देश की जानी मानी स्टोरी ट्रेलर जीवा रघुनाथ शोभा विश्वनाथ सहित कई बड़े नाम शामिल हुए इस बार फेस्टिवल में हिंदी अंग्रेजी के अलावा राजस्थानी के क्षेत्र भी रखे हैं जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा का महत्व भी जान सकें फेस्टिवल डायरेक्टर इरा सिसोदिया ने बताया कि फेस्टिवल में रंगमंच फन कारी के तीन मंच किस्सा कोना मस्ती मंच कथापुर नौटंकी ब्रेन ट्रेन के साथ इस बार नाटकों का भी मंचन रखा गया है इस फेस्टिवल में 8 से 14 वर्ष के बच्चों को केंद्र मानकर ही कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं हालांकि कुछ क्षेत्र में बड़े बच्चों अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी अनुमति दी गई है। कथा वाचिका जीवा रंगनाथन बताती है कि बच्चों को किताबों से जोड़ना बहुत जरूरी है और यह किताबों फेस्टिवल लगातार अपनी ऊंचाइयों बढ़ा रहा है और यह बच्चों के लिए बहुत ही आकर्षण का विषय बनता जा रहा है इसी तरह शोभा विश्वनाथन साफ कहती है कि बच्चे किताबों से दूर हो रहे हैं खेलने भी नहीं जाते हैं वह इंटरनेट से ही सब कुछ प्राप्त कर रहे हैं ऐसे में उन्हें किताबों से जोड़ने के लिए बहुत प्रयास करने की जरूरत है और यह किताब फेस्टिवल अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रयास है फेस्टिवल डायरेक्टर नीरज सिसोदिया के अनुसार हमने इस बार 2 नाटकों का मंचन भी रखा है वह मानती है कि बच्चे किसी भी रूप में किताबों व साहित्य से जुड़े चाहे ₹1 हो लेकिन साहित्य को पड़े जिससे कि वह समझ सके के इसके आयाम कैसे हैं यही हमारा लक्ष्य है।
बाईट 1 जीवा रंगनाथन, कथावाचक
बाईट 2 शोभा विश्वनाथन, प्रकाशक
बाईट 3 ईरा शिशोदिया, फेस्टिवल डाइरेक्टर
बाईट 456 स्टूडेंट्स


Conclusion:
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