जोधपुर. स्कूली बच्चे सामान्यतः अपने कोर्स की किताबों में ही मशहूर रहते हैं. ऐसे में उनका साहित्य से कोई लेना देना नहीं होता है. कहानी कविता लिटरेचर उनके लिए जैसे बहुत दूर की बात है. इसे बदलने के लिए शहर में 3 साल पहले शुरू हुए किताबों में लिटरेचर फेस्टिवल का चौथा संस्करण मंगलवार को प्रारंभ हुआ है.
इस बार फेस्टिवल में हिंदी अंग्रेजी के अलावा राजस्थानी के क्षेत्र भी रखे हैं, जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा का महत्व भी जान सकें. फेस्टिवल डायरेक्टर इरा सिसोदिया ने बताया कि फेस्टिवल में रंगमंच फन कारी के तीन मंच किस्सा, कोना, मस्ती मंच, कथापुर नौटंकी ब्रेन और ट्रेन के साथ इस बार नाटकों का भी मंचन रखा गया है.
इस फेस्टिवल में 8 से 14 साल के बच्चों को केंद्र मानकर ही कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं. हालांकि कुछ क्षेत्र में बड़े बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए भी अनुमति दी गई है.
कथा वाचिका जीवा रंगनाथन बताती है कि बच्चों को किताबों से जोड़ना बहुत जरूरी है और यह किताबें फेस्टिवल में लगातार अपनी ऊंचाइयों को बढ़ा रही हैं. यह बच्चों के लिए बहुत ही आकर्षण का विषय बनता जा रहा है.
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किताब फेस्टिवल अपने आप में एक बहुत बड़ा प्रयास है. फेस्टिवल डायरेक्टर नीरज सिसोदिया के अनुसार हमने इस बार 2 नाटकों का मंचन भी रखा है. वह मानती हैं कि बच्चे किसी भी रूप में किताबों और साहित्य से जुड़े चाहे एक हो लेकिन साहित्य को पढ़े, जिससे कि वह समझ सके की इसके आयाम कैसे हैं यही हमारा लक्ष्य है.