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एम्स में आई 3. 5 करोड़ की नई मशीन, अब बिना सर्जरी निकलेगी पथरी

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Published : Jan 22, 2021, 5:36 PM IST

जोधपुर के लूणी में शुक्रवार को पथरी के इलाज के लिए नई तकनीक डोनियर एक्स्ट्रॉकोपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी ( ईएसडब्ल्यूएल) मशीन स्थापित की गई है. इस मशीन का एम्स डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने विधिवत रूप से शुभारंभ किया.

जोधपुर एम्स में आई पथरी मशीन, Stone machine arrived in jodhpur ames
जोधपुर एम्स में आई पथरी मशीन

लूणी (जोधपुर). क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स जोधपुर में पथरी के इलाज के लिए करीब 3.5 करोड़ की लागत से नई तकनीक डोनियर एक्स्ट्रॉकोपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) मशीन स्थापित की गई है. जहां इस मशीन का एम्स डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने विधिवत रूप से शुभारंभ किया.

जोधपुर एम्स में आई पथरी मशीन

यूरोलॉजी विभाग के डॉ. गौतम राम चौधरी ने बताया कि इस मशीन से छोटी पथरी के इलाज में मदद मिलेगी. साथ ही यह मशीन मरीज के शरीर में किसी भी सर्जरी या प्रक्रिया के बिना 1.5 सेमी से कम की पथरी को तोड़ने के लिए बहुत ही उपयुक्त हैं. उन्होंने बताया कि इस मशीन के मदद से मरीज को बेड पर सुलाने के बाद आसानी से कंप्यूटर ऑपरेटर के माध्यम से मरीज का पथरी का इलाज आसानी से किया जाएगा.

पढ़ें- वसुंधरा राजे ने की राजस्थान की बेटी स्वाति राठौड़ की हौसला अफजाई

विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जो सर्जरी के लिए अयोग्य हैं और पथरी निकलवाने के लिए सर्जरी नहीं चाहते हैं. इस प्रक्रिया के लिए एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती है, इसलिए रोगी को अस्पताल में भर्ती नहीं करवाना पड़ता है. वहीं सह आचार्य डॉ. हिमांशु पांडे ने भी अपनी विभागीय सेवाओं के लिए इस विश्व स्तरीय तौर-तरीकों को शामिल करने पर प्रसन्नता व्यक्त की. इस कार्यक्रम में उप निदेशक एन आर बिश्नोई एम्स यूरोलॉजी की फैकल्टी और अन्य फैकल्टी भी मौजूद रहे.

लूणी (जोधपुर). क्षेत्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स जोधपुर में पथरी के इलाज के लिए करीब 3.5 करोड़ की लागत से नई तकनीक डोनियर एक्स्ट्रॉकोपोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) मशीन स्थापित की गई है. जहां इस मशीन का एम्स डायरेक्टर डॉ. संजीव मिश्रा ने विधिवत रूप से शुभारंभ किया.

जोधपुर एम्स में आई पथरी मशीन

यूरोलॉजी विभाग के डॉ. गौतम राम चौधरी ने बताया कि इस मशीन से छोटी पथरी के इलाज में मदद मिलेगी. साथ ही यह मशीन मरीज के शरीर में किसी भी सर्जरी या प्रक्रिया के बिना 1.5 सेमी से कम की पथरी को तोड़ने के लिए बहुत ही उपयुक्त हैं. उन्होंने बताया कि इस मशीन के मदद से मरीज को बेड पर सुलाने के बाद आसानी से कंप्यूटर ऑपरेटर के माध्यम से मरीज का पथरी का इलाज आसानी से किया जाएगा.

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विशेष रूप से उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जो सर्जरी के लिए अयोग्य हैं और पथरी निकलवाने के लिए सर्जरी नहीं चाहते हैं. इस प्रक्रिया के लिए एनेस्थीसिया की जरूरत नहीं होती है, इसलिए रोगी को अस्पताल में भर्ती नहीं करवाना पड़ता है. वहीं सह आचार्य डॉ. हिमांशु पांडे ने भी अपनी विभागीय सेवाओं के लिए इस विश्व स्तरीय तौर-तरीकों को शामिल करने पर प्रसन्नता व्यक्त की. इस कार्यक्रम में उप निदेशक एन आर बिश्नोई एम्स यूरोलॉजी की फैकल्टी और अन्य फैकल्टी भी मौजूद रहे.

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