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समय का सदुपयोग, जोधपुर में लॉकडाउन के दौरान पुजारी परिवार ने सुधारी हेरिटेज बावड़ी

जोधपुर के प्रसिद्ध रातानाडा गणेश मंदिर पहाड़ी पर स्थित बावड़ियां लंबे समय से उपयोग में न लेने के कारण गंदी पड़ी हुईं थी. लेकिन यहां रह रहे एक पुजारी परिवार ने लॉकडाउन के दौरान इन बावड़ियों की सुध ली और इनकी सफाई में जुट गया. अब जाकर ये बावड़ियां पूरी तरह से साफ हो गई हैं.

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पुजारी परिवार ने की बावड़ी की सफाई
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Published : Jun 25, 2020, 9:39 PM IST

जोधपुर. जिले के प्रसिद्ध रातानाडा गणेश मंदिर पहाडी पर स्थित बावड़ियों के दिन बहुर गए हैं. यहां रह रहे एक पुजारी परिवार ने लॉकडाउन के दौरान इन बावड़ियों की सुध ली और इनकी सफाई में जुट गया. उन्होंने अपने दिन-रात एक कर इन बावड़ियों को मानूसन की बारिश के लिए तैयार कर दिया है.

पुजारी परिवार के जुगल किशोर अबोटी ने बताया कि, ये बावड़ियों करीब दो सौ साल पुरानी हैं. हमारे पूर्वज पानी के लिए इन बावड़ियों की ही उपयोग करते थे. लेकिन बाद में धीरे-धीरे लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया. जिसकी वजह से इसका पानी गंदा होता चला गया. वहीं, अब लॉकडाउन लागू होने के बाद मंदिर बंद बंद पड़े हैं. ऐसे में उनके पास कोई काम नहीं था. तो इसी दौरान उनके मन में बावड़ियों को साफ करने का ख्याल आया.

पुजारी परिवार ने की बावड़ी की सफाई

जिसके बाद सभी सदस्यों ने इन बावडियों को साफ करने में लग गए. जैसे बावड़ियों का पानी सूखता गया, वैसे-वैसे ही वो लोग इनकी सफाई करते गए. अब जाकर दोनों बावड़ियां पूरी साफ हो गई हैं. साथ ही कुछ दिनों बाद मानसून की बारिश आने वाली है. बारिश के पानी का सरंक्षण इन बावड़ियों में होगा जो, लंबे समय तक चलेगा.

पढ़ेंः Special : उदयपुर में शिक्षक का कमाल...कबाड़ से बना डाला वेंटिलेटर

अबोटी ने बताया कि, उनका परिवार बावड़ी का ही पानी पीता था. लेकिन जब पहाड़ी पर पानी के कनेक्शन हो गए तो, लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया. बावड़ियों की सफाई होने पर अब बारिश में भरने वाले इनके पानी का उपयोग मंदिर परिसर में हो सकेगा.

जोधपुर. जिले के प्रसिद्ध रातानाडा गणेश मंदिर पहाडी पर स्थित बावड़ियों के दिन बहुर गए हैं. यहां रह रहे एक पुजारी परिवार ने लॉकडाउन के दौरान इन बावड़ियों की सुध ली और इनकी सफाई में जुट गया. उन्होंने अपने दिन-रात एक कर इन बावड़ियों को मानूसन की बारिश के लिए तैयार कर दिया है.

पुजारी परिवार के जुगल किशोर अबोटी ने बताया कि, ये बावड़ियों करीब दो सौ साल पुरानी हैं. हमारे पूर्वज पानी के लिए इन बावड़ियों की ही उपयोग करते थे. लेकिन बाद में धीरे-धीरे लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया. जिसकी वजह से इसका पानी गंदा होता चला गया. वहीं, अब लॉकडाउन लागू होने के बाद मंदिर बंद बंद पड़े हैं. ऐसे में उनके पास कोई काम नहीं था. तो इसी दौरान उनके मन में बावड़ियों को साफ करने का ख्याल आया.

पुजारी परिवार ने की बावड़ी की सफाई

जिसके बाद सभी सदस्यों ने इन बावडियों को साफ करने में लग गए. जैसे बावड़ियों का पानी सूखता गया, वैसे-वैसे ही वो लोग इनकी सफाई करते गए. अब जाकर दोनों बावड़ियां पूरी साफ हो गई हैं. साथ ही कुछ दिनों बाद मानसून की बारिश आने वाली है. बारिश के पानी का सरंक्षण इन बावड़ियों में होगा जो, लंबे समय तक चलेगा.

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अबोटी ने बताया कि, उनका परिवार बावड़ी का ही पानी पीता था. लेकिन जब पहाड़ी पर पानी के कनेक्शन हो गए तो, लोगों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया. बावड़ियों की सफाई होने पर अब बारिश में भरने वाले इनके पानी का उपयोग मंदिर परिसर में हो सकेगा.

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