जोधपुर. कीर्ति नगर में जिस घर में भोमाराम अपने परिवार को पालने के लिए अवैध गैस रिफिलिंग करता था उसका पूरा परिवार ही उससे हमेशा के लिए बिछड़ गया. हादसे (Jodhpur Cylinder Blast) के दिन शनिवार को उसके एक बेटे और दो बेटियों की मौत हुई तो बुधवार रात उसकी पत्नी सरोज ने भी उपचार के दौरान महात्मा गांधी अस्पताल में दम तोड़ दिया. हादसे में यह छठी मौत है. सरोज का आज अंतिम संस्कार होगा.
भोमाराम की एक चार वर्षीय पुत्री निरमा का उपचार चल रहा है. इससे पहले सोमवार को उसकी मां शोभा देवी ने दम तोड़ा था. इधर रात को ही राज्य सरकार ने इस हादसे के घायलों को एक-एक लाख और मृतकों को पांच-पांच लाख रुपए देने की घोषणा की है. मृतकों को यह राशि चिरंजीवी योजना के तहत करवाए गए बीमे से दी जाएगी. घायलों के मुआवजे को लेकर बुधवार को ही वैभव गहलोत ने बात की थी. उन्होंने 20 हजार के बजाय घायलों को विशेष प्रयोजन के तहत अधिक राशि दिलाने का कहा था, जिसकी रात जिला प्रशासन ने घोषणा कर दी.
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अब भोमाराम और उसके पिता ही बचे- इस हादसे में भोमाराम का परिवार ही सर्वाधिक प्रभावित हुआ है. परिवार के 6 सदस्यों की मौत हो चुकी है. जिसमे मां शोभादेवी, पत्नी सरोज, पुत्र विक्की और पुत्रियां कोमल और निताली के अलावा साला सुरेश भी शामिल है. उसकी चौथी संतान चार वर्षीय निरमा 35 फीसदी से अधिक जल गई है और उसका उपचार चल रहा है. हादसे के दिन भोमाराम और उसके पिता कोजाराम घर पर नहीं थे, इसलिए बच गए.
14 घायलों का उपचार जारी- महात्मा गांधी अस्पताल में इस हादसे के 14 घायलों का उपचार अभी बर्न यूनिट में चल रहा है. इनमें 80 से 90 फ़ीसदी झुलसे पारस राम और अशोक जोशी की हालत गंभीर बनी हुई है. इसके अलावा 5 लोग ऐसे भी हैं जो 50 फ़ीसदी जले से हुए हैं. 15 से बीस फीसदी जले घायलों की स्थिति में सुधार है.
क्या है पूरा मामला- बता दें, शहर के माता का थान क्षेत्र में मंगरा पूंजला इलाके के एक रहवासी कॉलोनी में शनिवार दोपहर (Jodhpur Cylinder Blast) गैस के तीन-चार सिलेंडर फटने से आग लग गई. हादसे में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है. मंगरा पूजला क्षेत्र के कीर्ति नगर निवासी भोमाराम जो कि एक गैस एजेंसी के सिलेंडर परिवहन का काम करता है. हादसे के दिन उसके घर पर बड़ी संख्या में गैस सिलेंडर मौजूद थे. उस समय एक गाड़ी भी घर के बाहर खड़ी थी. घर पर गैस का अवैध काम होता है. गोदाम जैसे हालत थे. हादसे के वक्त भोमाराम घर के अंदर नहीं था. एक सिलेंडर लीक होने का अहसास होने पर उसके साले सुरेश ने तीली जलाकर जांच करनी चाही, जिसके चलते सिलेंडर ने आग पकड़ ली और एक के बाद एक अन्य सिलेंडरों में आग लगती गई.