झुंझुनू. राजस्थान को पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष, देश को पहली महिला फाइटर पायलट और प्रदेश की पहली महिला मेट्रो चालक सहित झुंझुनू की महिलाओं ने कई अन्य क्षेत्रों में लीड करने का काम किया है. लेकिन यहां एक ऐसी नंदीशाला है, जिसका सारा कामकाज महिलाएं ही करती हैं. हालांकि यह नंदीशाला यहां की प्रसिद्ध गोपाल गौशाला का ही हिस्सा है. यहां महिलाओं ने सेवा से लेकर मैनेजमेंट तक का काम संभाल रखा है.
आमतौर पर कोई बड़ी खुशी होने पर देवताओं के प्रसाद के लिए सवामणी की जाती है. इसके बाद भक्तजन को वितरित किया जाता है. लेकिन महिलाएं यहां हर माह सवामणी कर इसको नंदियों में वितरित करती हैं. इसमें महिलाओं की ओर से साग की सवामणी, हरे घास की सवामणी या लड्डुओं की सवामणी की जाती है. महिलाएं बताती हैं कि वे खुद ही इसकी प्रेरणा हैं. क्योंकि यदि हम लोग गौवंश की सेवाएं करेंगे तो निश्चित ही हमारे बच्चे भी इन परंपराओं से जुड़ेंगे. हमने कोई बैनर नहीं बना रखा है, क्योंकि बैनर बनते ही अलग बातें हो जाती हैं. इसलिए सभी बैनर के लोग यहां आएं, गौशाला में काम करें और सेवा करें.
![झुंझुनू में नंदीशाला गोपाल गौशाला झुंझुनू गायों की सेवा गोकाष्ठ बनाने की मशीन jhunjhunu news rajasthan news etv bharat news cow making machine serving cows gopal gaushala Jhunjhunu nandisala in jhunjhunu](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/8663687_2.jpg)
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लगाई गई है 'गोकाष्ठ' बनाने की मशीन
महिलाओं ने यहां गोबर से लकड़ी (गोकाष्ठ) बनाने की मशीन लगाई है. इस मशीन से बनने वाली लकड़ियों को बेचने से जो आय होगी, उससे नंदीशाला का विकास किया जाएगा. मशीन से अलग-अलग आकार की एक दिन में करीब एक हजार लकड़ियां तैयार की जा रही हैं. इसमें दो से तीन फीट की लकड़ियों को मोक्ष धाम में भेजा जाएगा. छोटी लकड़ियों के पैकेट बनाए जा रहे हैं, यह पैकेट हवन में काम आएगा. इसके अलावा जरूरत के अनुसार अलग-अलग साइज रखी जाएगी. होली पर इस मशीन से बड़कुल्ले भी बनाए जाएंगे.
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नंदियों के लिए हैं पूरी व्यवस्थाएं
नंदियों के लिए पानी की व्यवस्था, चारे की व्यवस्था, चारा गोदाम, नंदियों को सर्दी और गर्मी से बचाने के लिए टिनशैड, पानी की टंकी, बोरवेल आदि की व्यवस्था की गई है. नंदीशाला में बेसहरा नंदियों के रहने की भी व्यवस्था है. नंदीशाला में 500 नंदियोंं को रखा गया है. इससे शहरवासियों को भी लाभ हुआ है और आवारा पशुओं से निजात मिली है.
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नंदीशाला में रखे जाने वाले नंदियों पर नीले टैग लगाए गए हैं. इसके अलावा नंदीशाला में ही हरा चारा भी उगाया जाता है. जो इन नंदियों के ही काम आता है. इसके अलावा चारे की पत्तियां गोकाष्ठ बनाने में भी काम आती हैं.