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कैच द रेन अभियान पर वेबिनार, जल संरक्षण पर साझा किए विचार - Discussion on drinking water problem

भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से झुंझुनू में कैच द रेन अभियान को लेकर वेबिनार अभियान चलाया गया. इस दौरान पेयजल समस्या को देखते हुए वर्षा के जल संचय करने को लेकर विचार साक्षा किए गए.

webinar on catch the rain campaign, appeal for rain water harvesting, वर्षा के जल संरक्षण पर की चर्चा,  झुंझुनू समाचार
कैच द रेन अभियान पर वेबिनार
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Published : Feb 17, 2021, 9:33 PM IST

झुंझुनू. भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से कैच द रेन अभियान के तत्वावधान में नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू की ओर से जल संरक्षण पर वेबिनार आयोजित किया गया. इसमें विशेषकर पेयजल समस्या और ग्रामीण क्षेत्र में इसके निराकरण के लिए उपाय साझा किए गए. जिला युवा अधिकारी राजीव अग्रवाल ने बताया की इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण संरक्षक विजय हिंद जालिमपुरा ने स्थानीय पारंपरिक स्रोतों जैसे जलाशय, बावड़ी, तालाब के जीर्णोद्वार और कृषि भूमि एवं ग्राम स्तर पर टांकों के निर्माण पर बल दिया.

पढ़ें: जयपुर की मान्वी गौतम ने अखबारों से बनाई डॉल, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वर्षा के जल का संग्रह अत्यंत प्रासंगिक है. हम सब को अपने घर से इस अभियान की शुरुआत करनी होगी और सभी घरों में वर्षा के जल संचय के लिए ऐसे संसाधन उपलब्ध करने होंगे जिनसे हम वर्ष भर पीने योग्य पानी का संचय कर सकें.

जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य संगठन आए आगे

पर्यावरण संरक्षक जालिमपुरा ने बताया कि पंचायती राज संस्था, सामाजिक संगठनों, पर्यावरण संरक्षण और शिक्षाविदों के मार्गदर्शन में नवयुवक मंडल की ओर से ग्राम स्तर पर और पंचायत स्तर पर अपने पुराने जलाशयों का सदुपयोग और उनकी साफ-सफाई कर उसमें वर्षा के जल का संग्रहण किया जा सकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि राजस्थान में कृषि में बूंद-बूंद सिंचाई योजना या किसान समूह की ओर से खेतों में टांकों का निर्माण कर उसमें भी वर्षा के जल का संग्रहण कर जल प्रबंधन किया जा सकता है. जिससे हम आगामी पीढ़ी के लिए पीने योग्य जल का जो अत्यधिक मात्रा में दोहन हो रहा है उस पर अंकुश लगा सकें.

पढ़ें: CM गहलोत ने अजमेर दरगाह में भिजवाई चादर, अमन-चैन और खुशहाली की मांगी दुआ

मनरेगा से हो जल संचय व पर्यावरण संरक्षण के प्रभावी प्रयास

वेबीनार का संचालन कर रहे नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू के जिला युवा अधिकारी राजीव अग्रवाल ने बताया कि की ग्राम पंचायतों में मनरेगा के माध्यम से ऐसे बहुत से कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं, जिससे वर्षा के उपलब्ध जल को उपयोग में लाया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षक के माध्यम से भी इसमें सहयोग किया जा सकता है.

अग्रवाल ने बताया कि जिला प्रशासन और भारत सरकार के जल मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को प्रत्येक गांव तक पहुंचाना तथा घर-घर वर्षा के जल संचय की महता की जानकारी पहुंचाना, राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक एवं नवयुवक मंडल का प्रधान दायित्व है. नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू इसी पहल को नुक्कड़ नाटक निबंध प्रदर्शनी एवं चित्रकला के माध्यम से भी जागरूकता अभियान चला रहा है. इस अवसर पर वेबीनार में अनेक शिक्षाविद् सामाजिक कार्यकर्ता स्वयंसेवक और युवा साथियों ने भाग लिया.

झुंझुनू. भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से कैच द रेन अभियान के तत्वावधान में नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू की ओर से जल संरक्षण पर वेबिनार आयोजित किया गया. इसमें विशेषकर पेयजल समस्या और ग्रामीण क्षेत्र में इसके निराकरण के लिए उपाय साझा किए गए. जिला युवा अधिकारी राजीव अग्रवाल ने बताया की इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण संरक्षक विजय हिंद जालिमपुरा ने स्थानीय पारंपरिक स्रोतों जैसे जलाशय, बावड़ी, तालाब के जीर्णोद्वार और कृषि भूमि एवं ग्राम स्तर पर टांकों के निर्माण पर बल दिया.

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उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वर्षा के जल का संग्रह अत्यंत प्रासंगिक है. हम सब को अपने घर से इस अभियान की शुरुआत करनी होगी और सभी घरों में वर्षा के जल संचय के लिए ऐसे संसाधन उपलब्ध करने होंगे जिनसे हम वर्ष भर पीने योग्य पानी का संचय कर सकें.

जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य संगठन आए आगे

पर्यावरण संरक्षक जालिमपुरा ने बताया कि पंचायती राज संस्था, सामाजिक संगठनों, पर्यावरण संरक्षण और शिक्षाविदों के मार्गदर्शन में नवयुवक मंडल की ओर से ग्राम स्तर पर और पंचायत स्तर पर अपने पुराने जलाशयों का सदुपयोग और उनकी साफ-सफाई कर उसमें वर्षा के जल का संग्रहण किया जा सकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि राजस्थान में कृषि में बूंद-बूंद सिंचाई योजना या किसान समूह की ओर से खेतों में टांकों का निर्माण कर उसमें भी वर्षा के जल का संग्रहण कर जल प्रबंधन किया जा सकता है. जिससे हम आगामी पीढ़ी के लिए पीने योग्य जल का जो अत्यधिक मात्रा में दोहन हो रहा है उस पर अंकुश लगा सकें.

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मनरेगा से हो जल संचय व पर्यावरण संरक्षण के प्रभावी प्रयास

वेबीनार का संचालन कर रहे नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू के जिला युवा अधिकारी राजीव अग्रवाल ने बताया कि की ग्राम पंचायतों में मनरेगा के माध्यम से ऐसे बहुत से कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं, जिससे वर्षा के उपलब्ध जल को उपयोग में लाया जा सके. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षक के माध्यम से भी इसमें सहयोग किया जा सकता है.

अग्रवाल ने बताया कि जिला प्रशासन और भारत सरकार के जल मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को प्रत्येक गांव तक पहुंचाना तथा घर-घर वर्षा के जल संचय की महता की जानकारी पहुंचाना, राष्ट्रीय युवा स्वयंसेवक एवं नवयुवक मंडल का प्रधान दायित्व है. नेहरू युवा केंद्र झुंझुनू इसी पहल को नुक्कड़ नाटक निबंध प्रदर्शनी एवं चित्रकला के माध्यम से भी जागरूकता अभियान चला रहा है. इस अवसर पर वेबीनार में अनेक शिक्षाविद् सामाजिक कार्यकर्ता स्वयंसेवक और युवा साथियों ने भाग लिया.

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