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झुंझुनू के चिड़ावा में करीब 3 साल से स्कूल जाने वाले इस रोड पर भरा है पानी, शिकायत के बाद भी प्रशासन मौन

3 साल से स्कूल जाने के रास्ते में भरा गन्दा पानी भरा हुआ है जो बेटियों की शिक्षा में रोड़ा है. इसके कई बार शिकायत के बावजूद भी कोई समाधान नहीं हो पाया है. समस्या से परेशान होकर अभिभावक छोटे बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं. स्कूल जा रही बच्चियों ने, ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान अपनी समस्याओं को साझा किया.

झुंझुनू, hindrance in the education of girl
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Published : Nov 5, 2019, 7:58 PM IST

चिड़ावा (झुंझुनू). केंद्र और राज्य की सरकार बेटियों को शिक्षित करने के निरन्तर प्रयास कर रही है और बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं जैसे अभियान चला रही है. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाएंगे, जिसे देखे के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि सरकार बेटियों को शिक्षित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसको विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

कीचड़ से पटी सड़कें बनी छात्राओं की शिक्षा में रोड़ा

बता दें कि जिले के एक स्कूल में औसतन नामांकन करीब 500 बालिकाओं का है. लेकिन, सालों से बरकरार इस समस्या के कारण स्कूल के नामांकन में कमी देखने को मिल रही है. स्कूल में अभिभावक छोटे बच्चों को भेजने से कतराने लगे हैं क्योंकि, रास्ते की फिसलन से बच्चे चोटिल हो जाते हैं. स्कूल प्रिंसिपल इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से उच्च अधिकारियों तक को इसके समाधान को लेकर अवगत करवा चुकी है.

बावजूद इसके 3 साल से जिम्मेदारों की कुम्भकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही. जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि सुलताना कस्बे में वार्ड 10 के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पास आम रास्ते में गन्दा पानी भरा रहता है और छात्राओं को स्कूल जाने के लिए गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की सूचना प्रशासन और ग्राम पंचायत सुलताना को न हो. लेकिन, फिर भी इसे नजर अंदाज किया जा रहा है. छात्राएं स्कूल जाने के लिए गंदे पानी में से होकर गुजरती हैं, जिससे उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ऐसे तो सरकार बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं का नारा देती है, लेकिन ग्राम पंचायत सुलताना इतनी भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है कि बेटियां गंदे पानी में होकर न गुजरे. स्कूल पहुंचते-पहुंचते बेटियों के स्कूल ड्रेस गंदे पानी से खराब हो जाते हैं.

पढ़ें: प्रदेश के कई इलाकों में बेमौसम बारिश, कई जिलों के लिए मौसम विभाग का आगामी 24 घंटों के लिए येलो अलर्ट

स्कूल की छोटी बच्चियां बहुत बार इस गंदे पानी मे फिसल कर गिर जाती हैं. जिससे उनके स्कूली बैग और ड्रेस कीचड़ से सन जाते हैं. इसे लेकर प्रिंसिपल सन्तोष पचार का कहना हैं कि हमने इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया है. लेकिन, 3 साल से समस्या जस की तस बनी हुई है. स्थानीय पंचायत और विभागीय अनदेखी के चलते गन्दे पानी की समस्या से बेटियों को रोजना दोचार होना पड़ रहा है.

चिड़ावा (झुंझुनू). केंद्र और राज्य की सरकार बेटियों को शिक्षित करने के निरन्तर प्रयास कर रही है और बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं जैसे अभियान चला रही है. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाएंगे, जिसे देखे के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि सरकार बेटियों को शिक्षित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसको विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

कीचड़ से पटी सड़कें बनी छात्राओं की शिक्षा में रोड़ा

बता दें कि जिले के एक स्कूल में औसतन नामांकन करीब 500 बालिकाओं का है. लेकिन, सालों से बरकरार इस समस्या के कारण स्कूल के नामांकन में कमी देखने को मिल रही है. स्कूल में अभिभावक छोटे बच्चों को भेजने से कतराने लगे हैं क्योंकि, रास्ते की फिसलन से बच्चे चोटिल हो जाते हैं. स्कूल प्रिंसिपल इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से उच्च अधिकारियों तक को इसके समाधान को लेकर अवगत करवा चुकी है.

बावजूद इसके 3 साल से जिम्मेदारों की कुम्भकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही. जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि सुलताना कस्बे में वार्ड 10 के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पास आम रास्ते में गन्दा पानी भरा रहता है और छात्राओं को स्कूल जाने के लिए गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की सूचना प्रशासन और ग्राम पंचायत सुलताना को न हो. लेकिन, फिर भी इसे नजर अंदाज किया जा रहा है. छात्राएं स्कूल जाने के लिए गंदे पानी में से होकर गुजरती हैं, जिससे उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ऐसे तो सरकार बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं का नारा देती है, लेकिन ग्राम पंचायत सुलताना इतनी भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है कि बेटियां गंदे पानी में होकर न गुजरे. स्कूल पहुंचते-पहुंचते बेटियों के स्कूल ड्रेस गंदे पानी से खराब हो जाते हैं.

पढ़ें: प्रदेश के कई इलाकों में बेमौसम बारिश, कई जिलों के लिए मौसम विभाग का आगामी 24 घंटों के लिए येलो अलर्ट

स्कूल की छोटी बच्चियां बहुत बार इस गंदे पानी मे फिसल कर गिर जाती हैं. जिससे उनके स्कूली बैग और ड्रेस कीचड़ से सन जाते हैं. इसे लेकर प्रिंसिपल सन्तोष पचार का कहना हैं कि हमने इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया है. लेकिन, 3 साल से समस्या जस की तस बनी हुई है. स्थानीय पंचायत और विभागीय अनदेखी के चलते गन्दे पानी की समस्या से बेटियों को रोजना दोचार होना पड़ रहा है.

Intro:3 साल से रास्ते मे भरा गन्दा पानी बन रहा बेटियों की शिक्षा में रोड़ा
शिकायत के बावजूद जिम्मेदार हैं मौन
स्कूल में करीब 500 का नामांकन
समस्या से परेशान अभिभावक छोटे बच्चों को नही भेजते स्कूल
रोज गंदे पानी से गुजरना पड़ रहा हैं सुलताना की बेटियों को
हर दिन इसी मुसीबत से होकर पहुंचती है स्कूल
चिड़ावा/झुंझुनू।
एक तरफ जहां केंद्र एवं राज्य की सरकार बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रयास कर रही है और बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं जैसे अभियान चला रही है। लेकिन आज हम एक ऐसी तस्वीर भी आपको दिखाना चाहेंगे, जिसके बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि सरकार चाहे बेटियों को शिक्षित करने के लिए प्रयास कर रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसको विफल करने में लगा हुआ है।
Body:स्कूल का नामांकन करीब 500 बालिकाओं के हैं मगर सालों से बरकरार इस समस्या के कारण स्कूल का नामांकन कम हो रहा हैं। स्कूल में अभिभावक छोटे बच्चों को भेजने से कतराने लगे हैं क्योंकि रास्ते की फिसलन से बच्चे चोटिल हो जाते हैं। स्कूल प्रिंसिपल ने तो इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों तक समस्या के समाधान को लेकर अवगत करवाया। मगर 3 साल से जिम्मेदारों की कुम्भकर्णी नींद खुलने का नाम नही ले रही।
जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि सुलताना कस्बे में वार्ड 10 के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पास आम रास्ते में गन्दा पानी भरा रहता है और बेटियों को स्कूल जाने के लिए गंदे पानी में से होकर गुजरना पड़ रहा है। ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की सूचना प्रशासन और ग्राम पंचायत सुलताना को न हो। लेकिन फिर भी इस समस्या को देखकर नजरअंदाज किया जा रहा है। ये तस्वीर है सुलताना गांव की, जहां बेटियां शिक्षा प्राप्त करने के लिए गंदे पानी में से होकर गुजर रही है। यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है कि ऐसे तो सरकार बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं का नारा देती है, लेकिन ग्राम पंचायत सुलताना इतनी भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है कि बेटियां गंदे पानी में होकर न गुजरे। स्कूल पहुंचते-पहुंचते ही बेटियों की स्कूल ड्रेस गंदे पानी से खराब हो जाती है।स्कूल की छोटी बच्चियां बहुत बार इस गंदे पानी मे फिसल कर गिर जाती हैं जिससे उनके स्कूली बैग और ड्रेस कीचड़ से सन जाते हैं। स्कूल की प्रिंसिपल सन्तोष पचार का कहना हैं कि हमने इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया मगर 3 साल से समस्या जस की तस बनी हुई हैं। स्थानीय पंचायत और विभागीय अनदेखी के चलते गन्दे पानी की समस्या से बेटियों को रोजना दोचार होना पड़ रहा है।
बाईट :-01 छात्रा
बाईट:-02 छात्रा
बाईट03:- सन्तोष पचार प्रिंसिपल।
बाईट04:- गजेंद्र सिंह पंचायत समिति सदस्यConclusion:
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