चिड़ावा (झुंझुनू). केंद्र और राज्य की सरकार बेटियों को शिक्षित करने के निरन्तर प्रयास कर रही है और बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं जैसे अभियान चला रही है. लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी तस्वीर दिखाएंगे, जिसे देखे के बाद आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि सरकार बेटियों को शिक्षित करने के लिए चाहे कितने भी प्रयास क्यों न कर रही हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन इसको विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
बता दें कि जिले के एक स्कूल में औसतन नामांकन करीब 500 बालिकाओं का है. लेकिन, सालों से बरकरार इस समस्या के कारण स्कूल के नामांकन में कमी देखने को मिल रही है. स्कूल में अभिभावक छोटे बच्चों को भेजने से कतराने लगे हैं क्योंकि, रास्ते की फिसलन से बच्चे चोटिल हो जाते हैं. स्कूल प्रिंसिपल इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से उच्च अधिकारियों तक को इसके समाधान को लेकर अवगत करवा चुकी है.
बावजूद इसके 3 साल से जिम्मेदारों की कुम्भकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही. जी हां, हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि क्योंकि सुलताना कस्बे में वार्ड 10 के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पास आम रास्ते में गन्दा पानी भरा रहता है और छात्राओं को स्कूल जाने के लिए गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसा भी नहीं है कि इस मामले की सूचना प्रशासन और ग्राम पंचायत सुलताना को न हो. लेकिन, फिर भी इसे नजर अंदाज किया जा रहा है. छात्राएं स्कूल जाने के लिए गंदे पानी में से होकर गुजरती हैं, जिससे उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ऐसे तो सरकार बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं का नारा देती है, लेकिन ग्राम पंचायत सुलताना इतनी भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है कि बेटियां गंदे पानी में होकर न गुजरे. स्कूल पहुंचते-पहुंचते बेटियों के स्कूल ड्रेस गंदे पानी से खराब हो जाते हैं.
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स्कूल की छोटी बच्चियां बहुत बार इस गंदे पानी मे फिसल कर गिर जाती हैं. जिससे उनके स्कूली बैग और ड्रेस कीचड़ से सन जाते हैं. इसे लेकर प्रिंसिपल सन्तोष पचार का कहना हैं कि हमने इस समस्या को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया है. लेकिन, 3 साल से समस्या जस की तस बनी हुई है. स्थानीय पंचायत और विभागीय अनदेखी के चलते गन्दे पानी की समस्या से बेटियों को रोजना दोचार होना पड़ रहा है.