झुंझुनू. जिला कलेक्टर ने निजी कोचिंग-कॉलेजों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की, इस जांच में नगर परिषद के अधिकारियों की काली करतूते सामने आई है. बताया जा रहा है कि नगर परिषद के अधिकारियों ने 6 साल पहले खुद अतिक्रमण हटाया था, लेकिन फिर कोचिंग का कारोबार खड़ा हो गया. वहीं इस पर जिला कलेक्टर के आदेश पर दो बड़ी कोचिंग को सीज करनी पड़ी है. वहीं जिला कलेक्टर ने 5 दिन में गैरकानूनी तरीके संचालित कोचिंग कॉलेजों को हटाने के आदेश दिए हैं.
जिला मुख्यालय पर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं और भर्ती की तैयारियों के लिए संचालित कोचिंग संस्थानों का समिति का गठन कर जिला कलेक्टर रवि जैन ने जांच करवाई नगर परिषद के कई गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हैं. नगर परिषद की जमीन पर दो दशक से निजी कोचिंग-कॉलेज लाखों करोड़ों रुपए कमा चुके हैं. कमेटी ने जिला कलेक्टर को रिपोर्ट दी कि चूरू रोड मंडावा मोड़ पर स्थित निजी कोचिंग संस्थान झुंझुनू नगर परिषद की भूमि पर टीन शेड में संचालित की जा रही है, जो उपयुक्त नहीं है.
कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर नगर परिषद की भूमि पर संचालित विवेकानंद कोचिंग कॉलेज और लांबा कोचिंग कॉलेज को आगामी आदेशों तक सीज किया गया है. नगर परिषद आयुक्त को कोचिंग-कॉलेज को सीज कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है. अब नगर परिषद के अधिकारी नगर पालिका एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं.
जिला कलेक्टर के आदेश पर जब उप जिला कलेक्टर मय जाब्ते के साथ जब कोचिंग संस्थान की जांच करने के लिए पहुंचे तो कोचिंग कॉलेज के लोगों ने ऐसा दस्तावेज पेश किया कि अधिकारियों की आंखें खुली की खुली रह गई. नगर परिषद की जमीन होने के बावजूद खुद नगर परिषद नहीं समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया कि उक्त जमीन को पट्टा देने के लिए किसी को आपत्ति है, तो 15 दिन में पेश करें.
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बताया जा ता है कि इस मिलीभगत का खेल केवल नगर परिषद की जमीन पर कोचिंग कॉलेज चलाने का ही नहीं है, बल्कि करोड़ों की जमीन को कौड़ियों के भाव देने की नगर परिषद अधिकारियों की मिलीभगत भी दिखा रही है.