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तालाबों के संरक्षण की मुहिम: 35 साल से सूखे पड़े जोहड़े में लबालब पानी देख ग्रामीणों के चेहरे खिले

जोहड़ी में 35 साल बाद पानी आया तो गांव वालों ने ईटीवी भारत की मुहिम से प्रेरणा लेकर खुशी में यहां पर पौधरोपण का कार्यक्रम भी किया. स्थानिय लोगों ने कहा कि जोहड़ों में पानी तभी तो आएगा जब बरसात होगी और बरसात के लिए पेड़ बहुत जरूरी है.

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Published : Jul 28, 2019, 3:50 PM IST

तालाबों के संरक्षण की मुहिम: 35 साल से सूखे पड़े जोहड़े में लबालब पानी देख ग्रामीणों के चेहरे खिले

झुंझुनूं. छोटे-छोटे गांव और शहरों से होता हुआ ईटीवी भारत का कारवां अपनी मुहिम 'तालाब' के तहत आगे बढ़ते हुए जिला मुख्यालय से करीब 8 किलो मीटर दूर देववाला गांव पहुंचा चुका था. इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से कभी बायो वेस्ट ट्रीटमेंट इन सॉलि़ड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्लान किया गया था. जिसमें तीन जिलों का कचरा वहां एकत्रित किया जाना था लेकिन गांव वालों ने इसका विरोध करते हुए तब बड़ा आंदोलन चलाया था.

तालाबों के संरक्षण की मुहिम: 35 साल से सूखे पड़े जोहड़े में लबालब पानी देख ग्रामीणों के चेहरे खिले

इसी आंदोलन के दौरान गांव वालों ने अपने जोहड़ी की भी खुदाई कर पर्यावरण के प्रति अपने प्रेम को भी दर्शाया था. इसे कब करीब 35 साल बीत चुके थे, एक लंबा अरसा बीत गया था 35 साल से इस जोहड़ी में पानी देखने के लिए लोगों की आंखें तरसती थी. पानी के रास्ते में कचरा भर जाने की वजह से 35 साल से ये जोहड़ी सूखी पड़ी थी.

ईटीवी भारत जब अपनी मुहिम लेकर देरवाला गांव पहुंचा तो यहां के लोगों में एक नई उर्जा जगी. 35 साल बाद जोहड़े में लबालंब पानी भरा होने का सपना देखा. सभी गांव वालों ने ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ जुड़कर पानी के बंद पड़े रास्ते की खुदाई कर वहां से कचरा साफ किया जिसके बाद पानी जोहड़े में भरने लगा.

जोहड़ी में 35 साल बाद पानी आया तो गांव वालों ने ईटीवी भारत की मुहिम से प्रेरणा लेकर खुशी में यहां पर पौधरोपण का कार्यक्रम भी किया. स्थानिय लोगों ने कहा कि जोहड़ों में पानी तभी तो आएगा जब बरसात होगी और बरसात के लिए पेड़ बहुत जरूरी है. जिला मुख्यालय के नजदीक होने की वजह से गत सालों में गांव में हरियाली में कमी आई है और इसलिए जल सरंक्षण की पुरानी विरासत को बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे ताकि उनमें पानी आ सके.

देववाला गांव के ग्रामीण और लोगों के मुताबिक ईटीवी भारत की यह मुहिम स्थानिय लोगों के लिए वरदान साबित हुई है...यहां के लोगों की आंखों में खुशी देख हमें भी सुकून मिला...हम फिर अपने अगले पड़ाव की तरफ निकल पड़े हैं...

झुंझुनूं. छोटे-छोटे गांव और शहरों से होता हुआ ईटीवी भारत का कारवां अपनी मुहिम 'तालाब' के तहत आगे बढ़ते हुए जिला मुख्यालय से करीब 8 किलो मीटर दूर देववाला गांव पहुंचा चुका था. इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से कभी बायो वेस्ट ट्रीटमेंट इन सॉलि़ड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्लान किया गया था. जिसमें तीन जिलों का कचरा वहां एकत्रित किया जाना था लेकिन गांव वालों ने इसका विरोध करते हुए तब बड़ा आंदोलन चलाया था.

तालाबों के संरक्षण की मुहिम: 35 साल से सूखे पड़े जोहड़े में लबालब पानी देख ग्रामीणों के चेहरे खिले

इसी आंदोलन के दौरान गांव वालों ने अपने जोहड़ी की भी खुदाई कर पर्यावरण के प्रति अपने प्रेम को भी दर्शाया था. इसे कब करीब 35 साल बीत चुके थे, एक लंबा अरसा बीत गया था 35 साल से इस जोहड़ी में पानी देखने के लिए लोगों की आंखें तरसती थी. पानी के रास्ते में कचरा भर जाने की वजह से 35 साल से ये जोहड़ी सूखी पड़ी थी.

ईटीवी भारत जब अपनी मुहिम लेकर देरवाला गांव पहुंचा तो यहां के लोगों में एक नई उर्जा जगी. 35 साल बाद जोहड़े में लबालंब पानी भरा होने का सपना देखा. सभी गांव वालों ने ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ जुड़कर पानी के बंद पड़े रास्ते की खुदाई कर वहां से कचरा साफ किया जिसके बाद पानी जोहड़े में भरने लगा.

जोहड़ी में 35 साल बाद पानी आया तो गांव वालों ने ईटीवी भारत की मुहिम से प्रेरणा लेकर खुशी में यहां पर पौधरोपण का कार्यक्रम भी किया. स्थानिय लोगों ने कहा कि जोहड़ों में पानी तभी तो आएगा जब बरसात होगी और बरसात के लिए पेड़ बहुत जरूरी है. जिला मुख्यालय के नजदीक होने की वजह से गत सालों में गांव में हरियाली में कमी आई है और इसलिए जल सरंक्षण की पुरानी विरासत को बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे ताकि उनमें पानी आ सके.

देववाला गांव के ग्रामीण और लोगों के मुताबिक ईटीवी भारत की यह मुहिम स्थानिय लोगों के लिए वरदान साबित हुई है...यहां के लोगों की आंखों में खुशी देख हमें भी सुकून मिला...हम फिर अपने अगले पड़ाव की तरफ निकल पड़े हैं...

Intro:जल संरक्षण की विरासत को बचाने के लिए ईटीवी भारत की मुहिम को लगातार समर्थन मिल रहा है और इस बार देरवाला गांव में लोगों ने इस मुहिम से प्रेरणा लेकर अपनी जोहड़े में पौधरोपण किया।


Body:झुंझुनू। जल सरंक्षण की पुरानी विरासत को बचाने के साथ ही यदि उस विरासत को स्थाई करना है तो आसपास घने पेड़ भी लगाने होंगे। जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर स्थित देरवाला के जोहड़े में 35 साल बाद पानी आया तो गांव वालों ईटीवी भारत के मुहिम से प्रेरणा लेकर खुशी में वहां पर पौधरोपण का कार्यक्रम किया। इससे पहले गांव वालों ने पानी के रास्ते में आए हुए कचरे को भी साफ किया ।गांव वालों ने बताया कि जोहड़ों में पानी तभी तो आएगा जब बरसात होगी और बरसात के लिए पेड़ बहुत जरूरी है। जिला मुख्यालय के नजदीक होने की वजह से गत सालों में गांव में हरियाली में कमी आई है और इसलिए जल सरंक्षण की पुरानी विरासत को बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे ताकि उनमें पानी आ सके।


चला था बड़ा लंबा आंदोलन
देरवाला गांव में जिला प्रशासन की ओर से बायो वेस्ट ट्रीटमेंट इन सॉलि़ड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्लान था ताकि शहर का कचरा वहां एक जगह एकत्रित किया जा सके। इसके विरोध में गांव वालों ने बड़ा आंदोलन चलाया था और आखिरकार जिला प्रशासन को झुकना पड़ा था। इसी आंदोलन के दौरान गांव वालों ने अपने जोहड़े की भी खुदाई की थी कि वे पर्यावरण के प्रति प्रेम करते हैं और 3 जिलों का कचरा अपने एकत्रित नहीं होने देंगे। इसको काफी समय बीत गया था और पानी के रास्ते में वापस कचरा एकत्रित हो गया था। अब गांव वालों ने एक बार वापस कचरा साफ किया तो इसी बारिश में 35 साल बाद जब पानी आया तो गांव के लोगों ने सोचा कि जब ईटीवी भी जोहड़ों की खुदाई व सरंक्षण में लगा हुआ है तो हमें भी यहां पौधे लगाकर यह प्रयास करना चाहिए कि जोहड़ों में लगातार पानी आ सके। गौरतलब है कि ईटीवी भारत ने मलसीसर के पास स्थित बंको की जोहड़ी को खुदवाने की मुहिम चलाई थी और पूरे जिले में प्रशासन सहित लोगों ने प्रशंसा की थी। तो किसी से प्रेरणा लेकर अलग-अलग जगह जोड़ों की खुदाई व पेड़ लगाने का कार्य कर रहे हैं।

बाइट एक और 2 दिनेश सुंडा जिला परिषद सदस्य झुंझुनू


बाइट 3 अनिल बेनीवाल ग्रामीण

बाइट 4 मंगेजा राम मीणा ग्रामीण


Conclusion:
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