झुंझुनूं. छोटे-छोटे गांव और शहरों से होता हुआ ईटीवी भारत का कारवां अपनी मुहिम 'तालाब' के तहत आगे बढ़ते हुए जिला मुख्यालय से करीब 8 किलो मीटर दूर देववाला गांव पहुंचा चुका था. इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से कभी बायो वेस्ट ट्रीटमेंट इन सॉलि़ड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का प्लान किया गया था. जिसमें तीन जिलों का कचरा वहां एकत्रित किया जाना था लेकिन गांव वालों ने इसका विरोध करते हुए तब बड़ा आंदोलन चलाया था.
इसी आंदोलन के दौरान गांव वालों ने अपने जोहड़ी की भी खुदाई कर पर्यावरण के प्रति अपने प्रेम को भी दर्शाया था. इसे कब करीब 35 साल बीत चुके थे, एक लंबा अरसा बीत गया था 35 साल से इस जोहड़ी में पानी देखने के लिए लोगों की आंखें तरसती थी. पानी के रास्ते में कचरा भर जाने की वजह से 35 साल से ये जोहड़ी सूखी पड़ी थी.
ईटीवी भारत जब अपनी मुहिम लेकर देरवाला गांव पहुंचा तो यहां के लोगों में एक नई उर्जा जगी. 35 साल बाद जोहड़े में लबालंब पानी भरा होने का सपना देखा. सभी गांव वालों ने ईटीवी भारत की इस मुहिम के साथ जुड़कर पानी के बंद पड़े रास्ते की खुदाई कर वहां से कचरा साफ किया जिसके बाद पानी जोहड़े में भरने लगा.
जोहड़ी में 35 साल बाद पानी आया तो गांव वालों ने ईटीवी भारत की मुहिम से प्रेरणा लेकर खुशी में यहां पर पौधरोपण का कार्यक्रम भी किया. स्थानिय लोगों ने कहा कि जोहड़ों में पानी तभी तो आएगा जब बरसात होगी और बरसात के लिए पेड़ बहुत जरूरी है. जिला मुख्यालय के नजदीक होने की वजह से गत सालों में गांव में हरियाली में कमी आई है और इसलिए जल सरंक्षण की पुरानी विरासत को बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे ताकि उनमें पानी आ सके.
देववाला गांव के ग्रामीण और लोगों के मुताबिक ईटीवी भारत की यह मुहिम स्थानिय लोगों के लिए वरदान साबित हुई है...यहां के लोगों की आंखों में खुशी देख हमें भी सुकून मिला...हम फिर अपने अगले पड़ाव की तरफ निकल पड़े हैं...