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कोरोना से उत्पन्न बेरोजगारी की मार से उबारेगी मनरेगा, शुरू हुई 'अपना खेत, अपना काम' योजना - झुंझुनूं न्यूज

कोरोना महामारी से उत्पन्न आकस्मिक बेरोजगारी की स्थिति में झुंझुनू के ग्रामीण क्षेत्रों के दो लाख परिवारों के लिए मनरेगा योजना आशा की किरण बनकर उभरी है. जिले में 75 हजार परिवार अनुसूचित जाति, जनजाति, बीपीएल और लघु व सीमांत काश्तकार की श्रेणी में होने के कारण मनरेगा की 'अपना खेत, अपना काम' योजना के दायरे में आते हैं. ऐसे में प्रशासन ने जिले में 'अपना खेत,अपना काम' योजना को स्वीकृति दे दी है.

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बेरोजगारी की मार से उबारेगी मनरेगा
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Published : May 7, 2020, 10:11 AM IST

झुंझुनूं. कोरोना महामारी से उत्पन्न आकस्मिक बेरोजगारी की स्थिति में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के दो लाख परिवारों के लिए मनरेगा योजना आशा की किरण बनकर उभरी है. एक आंकलन के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी तौर 5 लाख परिवार पर रह रहते हैं. जिनमे से एक लाख बीस हजार परिवारों के पास संयुक्त या एकल खातेदारी की कृषि भूमि है. इनमे से 75 हजार परिवार अनुसूचित जाति, जनजाति, बीपीएल और लघु व सीमांत काश्तकार की श्रेणी में होने के कारण मनरेगा की 'अपना खेत अपना काम' योजना के दायरे में आते हैं. ऐसे में प्रशासन ने जिले में 'अपना खेत, अपना काम' योजना को स्वीकृति दे दी है.

'अपना खेत अपना काम' योजना शुरू

इस योजना के तहत इन 30 हजार परिवारों के खेतों में 3 लाख रुपये प्रति परिवार से सरकारी सहायता उपलब्ध करवाकर जल संग्रहण कुंड, फार्म पौंड, बागवानी, वृक्षारोपण, मेड़बंदी, समतलीकरण और पशु शेड निर्माण जैसी स्थायी परिसंपतियों का सृजन किया जाएगा. साथ ही 2 लाख 40 हजार जॉबकार्ड धारक परिवारों को प्रति दिन 220 की दर से कुल 22 हजार रुपये की मजदूरी देकर साल में 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा.

पढ़ेंः प्लाज्मा थेरेपी से CORONA का इलाज करने वाला देश का चौथा राज्य बना राजस्थान, ICMR ने दी 20 मरीजों के उपचार की अनुमत

सीईओ रामनिवास जाट के निर्देशों पर 6 मई से जिले की सभी ग्राम पंचायतों के कर्मचारी, तकनीकी अधिकारी और पंचायत प्रसार अधिकारी इन 30 हजार परिवारों से आवेदन करवाने में जुटे हुए हैं. साथ ही इन सभी लोगों को अलग-अलग टास्क दिए गए हैं, ताकि जिले में हर तरह के काम हो सकें और ज्यादा से ज्यादा लोग मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पा सकें.

झुंझुनूं. कोरोना महामारी से उत्पन्न आकस्मिक बेरोजगारी की स्थिति में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के दो लाख परिवारों के लिए मनरेगा योजना आशा की किरण बनकर उभरी है. एक आंकलन के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी तौर 5 लाख परिवार पर रह रहते हैं. जिनमे से एक लाख बीस हजार परिवारों के पास संयुक्त या एकल खातेदारी की कृषि भूमि है. इनमे से 75 हजार परिवार अनुसूचित जाति, जनजाति, बीपीएल और लघु व सीमांत काश्तकार की श्रेणी में होने के कारण मनरेगा की 'अपना खेत अपना काम' योजना के दायरे में आते हैं. ऐसे में प्रशासन ने जिले में 'अपना खेत, अपना काम' योजना को स्वीकृति दे दी है.

'अपना खेत अपना काम' योजना शुरू

इस योजना के तहत इन 30 हजार परिवारों के खेतों में 3 लाख रुपये प्रति परिवार से सरकारी सहायता उपलब्ध करवाकर जल संग्रहण कुंड, फार्म पौंड, बागवानी, वृक्षारोपण, मेड़बंदी, समतलीकरण और पशु शेड निर्माण जैसी स्थायी परिसंपतियों का सृजन किया जाएगा. साथ ही 2 लाख 40 हजार जॉबकार्ड धारक परिवारों को प्रति दिन 220 की दर से कुल 22 हजार रुपये की मजदूरी देकर साल में 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा.

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सीईओ रामनिवास जाट के निर्देशों पर 6 मई से जिले की सभी ग्राम पंचायतों के कर्मचारी, तकनीकी अधिकारी और पंचायत प्रसार अधिकारी इन 30 हजार परिवारों से आवेदन करवाने में जुटे हुए हैं. साथ ही इन सभी लोगों को अलग-अलग टास्क दिए गए हैं, ताकि जिले में हर तरह के काम हो सकें और ज्यादा से ज्यादा लोग मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पा सकें.

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