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झुंझुनू: शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने किया उग्र आंदोलन का आह्वान

झुंझुनू के शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से राज्य सरकार के विरोध में उग्र आंदोलन करने का आह्वान किया गया. उनका कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज अप्रैल माह से यथावत जारी है, शिक्षक निरंतर क्लासेज ले रहे हैं. ऊपर से अभिभावकों की ओर से फीस नहीं कराया जा रहा है. इसके चलते प्रदेश के लगभग 11 लाख कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं.

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Published : Aug 4, 2020, 9:35 PM IST

झुंझुनू समाचार, Jhunjhnu news
शिक्षा बचाओ समिति ने किया उग्र आंदोलन का आह्वान

झुंझुनू. शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से राजस्थान सरकार के विरोध में मंगलवार को उग्र आंदोलन करने का आह्वान किया गया. इस दौरान संघर्ष समिति की ओर से बताया गया कि पिछले दिनों राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा जारी किए गए बयान में लिखित आदेश के बाद में प्राइवेट स्कूलों में स्थिति और ज्यादा खराब हो चुकी है.

लाखों लोग हुए प्रभावित

ऑनलाइन क्लासेज अप्रैल माह से यथावत जारी है, शिक्षक निरंतर क्लासेज ले रहे हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश से जो अभिभावक सक्षम है, वह भी फीस जमा नहीं करा रहे हैं. जिससे प्राइवेट स्कूल अपने शिक्षकों को वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं. इसके चलते राजस्थान में लगभग 11 लाख कर्मचारी जिसमें शिक्षक, गैर शिक्षक, सफाईकर्मी, सुरक्षाकर्मी, चालक और शिक्षा से जुड़े तमाम लोग सड़क पर आ गए हैं.

शिक्षा बचाओ समिति ने किया उग्र आंदोलन का आह्वान

इस मंदी के अभाव में आकर अब तक नौ संचालकों ने आत्महत्या कर ली है. इसके चलते संघर्ष समिति का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो 11 लाख कर्मचारी और उनका परिवार सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे और अब तक का राजस्थान का सबसे बड़ा उग्र आंदोलन शुरू करेंगे. अगर 7 दिन के अंदर उक्त तुगलकी फरमान वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन की राह तेज की जाएगी.

यह रखी गई मांगें

संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से मांगे रखी गई है कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा दिए गए लिखित आदेश को सप्ताह भर के अंदर वापस लिया जाए. क्योंकि, यह आदेश पूर्ण रूप से अव्यावहारिक और गैरकानूनी है. सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने भी स्कूलों की फीस जमा करवाने का आदेश दिया है.

पढ़ें- झुंझुनू में कोरोना के 6 नए पॉजिटिव केस, संक्रमितों की कुल संख्या हुई 611

ऐसे में सर्वोच्च और उच्च न्यायालय को दरकिनार करते हुए शिक्षा मंत्री ने जिस प्रकार का व्यवहार प्राइवेट स्कूलों के प्रति दिखाया है. इसे लेकर शिक्षकों और संचालकों में गहरा रोष है. समिति की ओर से कहा गया कि जबकि एक तरफ समान रूप से संचालित केंद्रीय विद्यालय राजकीय उपक्रम भी फीस ले रहे हैं. राजस्थान सरकार की ओर से यह दोहरा मापदंड निजी स्कूलों के खिलाफ अपनाया जा रहा है.

आरटीई का भी भुगतान नहीं

आरटीई का भुगतान जो कि आरटीई एक्ट के अनुसार निश्चित समय सीमा पर स्कूलों को भुगतान करना सुनिश्चित किया गया है. उपरांत इसके पिछले 3 वर्षों से प्राइवेट स्कूलों के आरटीई का भुगतान नहीं हुआ है. अतः उक्त राशि को मय 2 रुपए सैकड़ा ब्याज दर के हिसाब से स्कूलों को तुरंत प्रभाव से भुगतान करवाया जाए. प्राइवेट स्कूल के अत्यंत ही सराहनीय योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है. इसलिए इनके प्रभावी योगदान को मध्य नजर रखते हुए सरकार का यह दायित्व बनता है, जो इनके संचालकों और इनमें काम करने वाले कार्मिकों को किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं हो.

अतः सरकार इन संस्थाओं के लिए विशेष आर्थिक पैकेज या बिना ब्याज ऋण की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करें. ताकि स्वाभिमान से जीवन जीने वाले शिक्षासेवियों को कुछ राहत मिल सके. अगर सरकार लाखों कर्मचारियों को अनदेखा करती है और हमारे अधिकारों का हनन करती है तो मजबूर होकर हमें न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा. इसके बाद जो भी आंदोलन किया जाएगा, उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी. बता दें कि संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान के सभी जिलों में जाकर प्रत्येक जिलों के जिला कलेक्टर को राजस्थान सरकार के विरोध में ज्ञापन दे रही है. अभी तक झुंझुनू जिले सहित 21 जिलों के जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप चुके हैं.

झुंझुनू. शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से राजस्थान सरकार के विरोध में मंगलवार को उग्र आंदोलन करने का आह्वान किया गया. इस दौरान संघर्ष समिति की ओर से बताया गया कि पिछले दिनों राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा जारी किए गए बयान में लिखित आदेश के बाद में प्राइवेट स्कूलों में स्थिति और ज्यादा खराब हो चुकी है.

लाखों लोग हुए प्रभावित

ऑनलाइन क्लासेज अप्रैल माह से यथावत जारी है, शिक्षक निरंतर क्लासेज ले रहे हैं. लेकिन शिक्षा मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश से जो अभिभावक सक्षम है, वह भी फीस जमा नहीं करा रहे हैं. जिससे प्राइवेट स्कूल अपने शिक्षकों को वेतन तक नहीं दे पा रहे हैं. इसके चलते राजस्थान में लगभग 11 लाख कर्मचारी जिसमें शिक्षक, गैर शिक्षक, सफाईकर्मी, सुरक्षाकर्मी, चालक और शिक्षा से जुड़े तमाम लोग सड़क पर आ गए हैं.

शिक्षा बचाओ समिति ने किया उग्र आंदोलन का आह्वान

इस मंदी के अभाव में आकर अब तक नौ संचालकों ने आत्महत्या कर ली है. इसके चलते संघर्ष समिति का कहना है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो 11 लाख कर्मचारी और उनका परिवार सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे और अब तक का राजस्थान का सबसे बड़ा उग्र आंदोलन शुरू करेंगे. अगर 7 दिन के अंदर उक्त तुगलकी फरमान वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन की राह तेज की जाएगी.

यह रखी गई मांगें

संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से मांगे रखी गई है कि शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा दिए गए लिखित आदेश को सप्ताह भर के अंदर वापस लिया जाए. क्योंकि, यह आदेश पूर्ण रूप से अव्यावहारिक और गैरकानूनी है. सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने भी स्कूलों की फीस जमा करवाने का आदेश दिया है.

पढ़ें- झुंझुनू में कोरोना के 6 नए पॉजिटिव केस, संक्रमितों की कुल संख्या हुई 611

ऐसे में सर्वोच्च और उच्च न्यायालय को दरकिनार करते हुए शिक्षा मंत्री ने जिस प्रकार का व्यवहार प्राइवेट स्कूलों के प्रति दिखाया है. इसे लेकर शिक्षकों और संचालकों में गहरा रोष है. समिति की ओर से कहा गया कि जबकि एक तरफ समान रूप से संचालित केंद्रीय विद्यालय राजकीय उपक्रम भी फीस ले रहे हैं. राजस्थान सरकार की ओर से यह दोहरा मापदंड निजी स्कूलों के खिलाफ अपनाया जा रहा है.

आरटीई का भी भुगतान नहीं

आरटीई का भुगतान जो कि आरटीई एक्ट के अनुसार निश्चित समय सीमा पर स्कूलों को भुगतान करना सुनिश्चित किया गया है. उपरांत इसके पिछले 3 वर्षों से प्राइवेट स्कूलों के आरटीई का भुगतान नहीं हुआ है. अतः उक्त राशि को मय 2 रुपए सैकड़ा ब्याज दर के हिसाब से स्कूलों को तुरंत प्रभाव से भुगतान करवाया जाए. प्राइवेट स्कूल के अत्यंत ही सराहनीय योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है. इसलिए इनके प्रभावी योगदान को मध्य नजर रखते हुए सरकार का यह दायित्व बनता है, जो इनके संचालकों और इनमें काम करने वाले कार्मिकों को किसी भी तरह की कोई तकलीफ नहीं हो.

अतः सरकार इन संस्थाओं के लिए विशेष आर्थिक पैकेज या बिना ब्याज ऋण की व्यवस्था तुरंत प्रभाव से करें. ताकि स्वाभिमान से जीवन जीने वाले शिक्षासेवियों को कुछ राहत मिल सके. अगर सरकार लाखों कर्मचारियों को अनदेखा करती है और हमारे अधिकारों का हनन करती है तो मजबूर होकर हमें न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा. इसके बाद जो भी आंदोलन किया जाएगा, उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी. बता दें कि संयुक्त संघर्ष समिति राजस्थान के सभी जिलों में जाकर प्रत्येक जिलों के जिला कलेक्टर को राजस्थान सरकार के विरोध में ज्ञापन दे रही है. अभी तक झुंझुनू जिले सहित 21 जिलों के जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप चुके हैं.

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