झुंझुनू. जिला मुख्यालय के निकटवर्ती गांव देरवाला में संक्रमण की आशंका को देखते हुए ब्लॉक मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनोज डूडी ने मोबाइल मेडिकल वैन की टीम भेजी. टीम ने गांव में 128 लोगों की सैम्पलिंग करवाई. बीसीएमओ डॉ. मनोज डूडी ने बताया कि विभाग के सर्वे में सामने आया था कि देरवाला ग्राम पंचायत के देरवाला गांव में आईएलाई के मरीज ज्यादा सामने आ रहे थे. जिसके बाद हमने गांव में सैम्पलिंग करवाने का निर्णय लिया, जिसके तहत टीम भेजवाकर लोगों के सैम्पल लिए गए.
गांव के सरपंच ने दी थी जानकारी
बीसीएमओ डॉ. मनोज डूडी ने बताया कि सरपंच राकेश मोटसरा ने गांव में विगत दिनों में कुछ मौतें होने की जानकारी दी. इसे विभाग ने गंभीरता से लेते हुए तुरंत टीम भेजकर टीम भेजकर सैम्पलिंग करवाई. मरने वालों के परिजनों के सैम्पल लिए और मेडिसिन की किट देकर उन्हें आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए. डॉ. डूडी ने बताया कि विभाग सतर्क और सजग है, परंतु लोगों को भी पूरी सावधानी बरतनी पड़ेगी. लॉक डाउन का पालना सख्ती से करनी होगी, तभी हम इस महामारी को कंट्रोल कर पाएंगे. मेडिकल मोबाइल वैन के साथ लोगों को प्रेरित करने के लिए सरपंच राकेश मोटसरा भी मौजूद रहे। सरपंच ने गांव में सोडियम हाईपोक्लोराइड का छिडक़ाव भी करवाया.
ब्लॉक हेड क्वाटर पर कोविड केयर कंसल्टेंसी सेंटर बनाने की तैयार
जिले के सभी ब्लॉक हेड क्वार्टर की सीएचसी पर कोविड केयर सेंटर कोविड कंसल्टेंसी सेंटर जल्द शुरू किए जायेगा. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि निदेशालय के निर्देशानुसार प्रत्येक ब्लॉक हेडक्वार्टर की सीएचसी पर कोविड केयर सेंटर या कोविड कंसल्टेंसी सेंटर तैयार कर बहुत जल्द शुरू किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इसी को लेकर वे आज स्वयं चिड़ावा सीएचसी का निरीक्षण कर वहां पर 15 बेड का कोविड केयर कन्सटेंसी सेंटर तैयार करवाया है.
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नवलगढ़ में पहले से एसडीएच होने के चलते मुकुंदगढ़ सीएचसी को कोविड केयर कंसल्टेंसी सेंटर तैयार किया जा रहा है. इसका आज डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राजकुमार डांगी ने निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए. सीएमएचओ डॉ. गुर्जर ने बताया कि ब्लॉक स्तर पर कोविड केयर सेंटर बनने से जिला अस्पताल का लोड कम होगा और यहां क्रिटिकल मरीजों का इलाज हो सकेगा.
शिक्षकों समुदाय की वैक्सिनेशन और सुरक्षा उपकरण देने की अपील
झुंझुनू. कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर है. इसी के चलते प्रदेश में रोज सैकड़ों संक्रमितों की मृत्यु हो रही है. मरीजों के साथ सरकारी कार्मिक भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इस महामारी से लड़ रहे हैं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद रेसा के प्रदेश उपाध्यक्ष कमलेश तेतरवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, चिकित्सा मंत्री को पत्र लिख कर ध्यान आकर्षित किया है कि इस दूसरी लहर के प्रकोप के सबसे ज्यादा शिकार शिक्षा विभाग के विशेष रूप से माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी हुए हैं.
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पत्र के माध्यम से रेसा उपाध्यक्ष ने बताया कि सर्वाधिक मौतों के बावजूद प्रदेश में इन शिक्षकों की तरफ स्वास्थ्य विभाग या जिला प्रशासन का अभी तक कोई ध्यान नही गया है. प्रदेश में सैकड़ों मौतों के बावजूद न तो मीडिया में कोई चर्चा है, न प्रशासन की तरफ से कोई कदम उठाए गए हैं.
रेसा की तरफ से आग्रह किया गया है कि तत्काल संज्ञान लेकर शिक्षकों व उनके परिजनों की प्राथमिकता पर शिविर लगवाकर वैक्सिनेशन करवाएं एवं जिला कलेक्टर्स को निर्देशित करें कि कोविड ड्यूटी कार्मिकों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण, दवाइयां आदि उपलब्ध करवाएं. इसके अलावा दिवंगत शिक्षा अधिकारियों व कर्मचारियों के क्लेम, पेंशन व अन्य मृत्यु बाद की कार्रवाई के लिए जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करें जो परिजनों की यथा संभव मदद कर सकें.