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अभिनंदन को वापस कर कोई एहसान नहीं कर रहा पाकिस्तान, हमने तो 90 सैनिक वापस किए : रि. सूबेदार मेजर

भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर की भारत वापसी पर झुंझुनू के रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू ने कहा है कि ऐसा करने के पाकिस्तान भारत पर कोई एहसान नहीं कर रहा है.

रामेश्वर सिंह, रि. सूबेदार मेजर
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Published : Mar 1, 2019, 9:08 PM IST

झुंझुनूं. भारत पाकिस्तान के बाघा बॉर्डर से आईएएफ के विंग कमांडर अभिनंदन की भारत वापसी हो रही है. पूरे देश में एक अनोखा उत्साह है. वहीं भारत के एक रिटायर्ड मेजर ने कहा है कि अभिनंदन को वापस कर पाकिस्तान हम पर कोई एहसान नहीं कर रहा है. इससे पहले हमने उनके 90 हजार सैनिक वापस किए हैं.

रामेश्वर सिंह, रि. सूबेदार मेजर


देशवासी अभिनंदन की वापसी को लेकर खासे उत्साह में हैं. वहीं झुंझुनू के 90 साल के रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू कहते हैं कि ऐसा करने के पाकिस्तान भारत पर कोई एहसान नहीं कर रहा है.
दरअसल रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू ने अपने कार्यकाल में भारत के तीन युद्ध लड़े हैं. इसके अलावा गोवा मुक्ति ऑपरेशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया है. जिसमें उनका हाथ भी फट गया था.

भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक किए थे वापस
रिटायर्ड मेजर अब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं. वे 90 साल की हो चुके हैं. लेकिन जज्बा पिछले 6 दशक वाला कायम है. वे घर पर अपने लगाए पौधों और सब्जियों को पानी देते समय युद्ध के दिनों को याद करते हैं. जानू कहते हैं कि पाक हमारा एक जवान छोड़ रहा है. हमने तो उनके 90 हजार सैनिकों को सकुशल वापस किया था.

सीमा पर तनाव और युद्ध में एक जैसा माहौल
रामेश्वर सिंह जानू कहते हैं कि बॉर्डर पर तनाव का समय हो या युद्ध का समय, सेना में उस समय एक जज्बा ऐसा होता है. जवानों में जुनून होता है कि उन्हें लगता है कि वे आज के लिए ही फौज में भर्ती हुए हैं. मौके पर एक अलग ही माहौल होता है. उस समय कोई दूसरी बात सोचने के लिए नहीं होती. हालांकि वे यह भी मानते हैं कि युद्ध कोई अच्छी चीज नहीं है. दोनों की तरफ से नुकसान होता है. लोग मरते हैं.
वे पिछले दिनों की याद करते हुए कहते हैं कि उस समय पोस्टकार्ड होता था. वह भी 10 दिन में पहुंचता था. जब घर लौटते थे तो ही घर वालों को पता चलता था कि सकुशल हैं.

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फोर्स ही हमारा परिवार
वहीं कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन में शामिल इंद्राज सिंह कहते हैं कि मैं उस समय जाट रेजीमेंट में था. हम ऐसे समय सेना में शामिल होते हैं कि फौज ही हमारा परिवार बन जाता है.
मेजर जानू कहते हैं कि जब हमने टीवी पर अभिनंदन को पाक कब्जे में होने की खबर सुनी तो ऐसे लगा कि परिवार का कोई सदस्य फंस गया है. आज जब वह वापस आ रहा है तो लग रहा है कि हमारा बेटा वापस आ रहा है.

झुंझुनूं. भारत पाकिस्तान के बाघा बॉर्डर से आईएएफ के विंग कमांडर अभिनंदन की भारत वापसी हो रही है. पूरे देश में एक अनोखा उत्साह है. वहीं भारत के एक रिटायर्ड मेजर ने कहा है कि अभिनंदन को वापस कर पाकिस्तान हम पर कोई एहसान नहीं कर रहा है. इससे पहले हमने उनके 90 हजार सैनिक वापस किए हैं.

रामेश्वर सिंह, रि. सूबेदार मेजर


देशवासी अभिनंदन की वापसी को लेकर खासे उत्साह में हैं. वहीं झुंझुनू के 90 साल के रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू कहते हैं कि ऐसा करने के पाकिस्तान भारत पर कोई एहसान नहीं कर रहा है.
दरअसल रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू ने अपने कार्यकाल में भारत के तीन युद्ध लड़े हैं. इसके अलावा गोवा मुक्ति ऑपरेशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया है. जिसमें उनका हाथ भी फट गया था.

भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक किए थे वापस
रिटायर्ड मेजर अब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में हैं. वे 90 साल की हो चुके हैं. लेकिन जज्बा पिछले 6 दशक वाला कायम है. वे घर पर अपने लगाए पौधों और सब्जियों को पानी देते समय युद्ध के दिनों को याद करते हैं. जानू कहते हैं कि पाक हमारा एक जवान छोड़ रहा है. हमने तो उनके 90 हजार सैनिकों को सकुशल वापस किया था.

सीमा पर तनाव और युद्ध में एक जैसा माहौल
रामेश्वर सिंह जानू कहते हैं कि बॉर्डर पर तनाव का समय हो या युद्ध का समय, सेना में उस समय एक जज्बा ऐसा होता है. जवानों में जुनून होता है कि उन्हें लगता है कि वे आज के लिए ही फौज में भर्ती हुए हैं. मौके पर एक अलग ही माहौल होता है. उस समय कोई दूसरी बात सोचने के लिए नहीं होती. हालांकि वे यह भी मानते हैं कि युद्ध कोई अच्छी चीज नहीं है. दोनों की तरफ से नुकसान होता है. लोग मरते हैं.
वे पिछले दिनों की याद करते हुए कहते हैं कि उस समय पोस्टकार्ड होता था. वह भी 10 दिन में पहुंचता था. जब घर लौटते थे तो ही घर वालों को पता चलता था कि सकुशल हैं.

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फोर्स ही हमारा परिवार
वहीं कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन में शामिल इंद्राज सिंह कहते हैं कि मैं उस समय जाट रेजीमेंट में था. हम ऐसे समय सेना में शामिल होते हैं कि फौज ही हमारा परिवार बन जाता है.
मेजर जानू कहते हैं कि जब हमने टीवी पर अभिनंदन को पाक कब्जे में होने की खबर सुनी तो ऐसे लगा कि परिवार का कोई सदस्य फंस गया है. आज जब वह वापस आ रहा है तो लग रहा है कि हमारा बेटा वापस आ रहा है.

Intro:झुंझुनू । 90 साल के रिटायर्ड सूबेदार मेजर रामेश्वर सिंह जानू । जानू ने भारत की ओर से तीनों युद्ध लड़े हैं । इसके अलावा गोवा मुक्ति ऑपरेशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया और उसमें तो उनका हाथ भी फट गया था। अपने घर में लगाए पौधों व सब्जियों को पानी देते समय युद्ध के दिनों को याद करते हैं। कहते हैं कि वह हमारा एक जवान छोड़ रहे हैं हमने तो उनके 90000 सैनिकों को सकुशल भेजा था।


Body:कोई दूसरी बात सोचने के लिए नहीं
रामेश्वर सिंह जानू कहते हैं कि बॉर्डर पर तनाव के समय हो या युद्ध का समय , सेना में उस समय का जज्बा ऐसा होता है कि आज ही के लिए तो फौज में भर्ती हुए थे । एक अलग ही माहौल होता है । उस समय कोई दूसरी बात सोचने के लिए नहीं होती है। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि युद्ध कोई अच्छी चीज नहीं है। दोनों की तरफ से नुकसान होता है ।लोग मरते हैं । वहीं वे उन दिनों को याद करते हैं कि उस समय पोस्टकार्ड होता था। वह भी 10 दिन में पहुंचता था ।जब घर लौटते थे तो ही घर वालों को पता चलता था कि सकुशल हैं । हमें तो रिटायर्ड हुए बहुत समय हो गया है लेकिन सेना में उस समय क्या रणनीति थी , वह साझा करने का मन नहीं है।


Conclusion:फोर्स ही हमारा परिवार
वहीं कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन में शामिल इंद्राज सिंह कहते हैं कि मैं उस समय जाट रेजीमेंट में था । हम ऐसे समय सेना में शामिल होते हैं कि फौज ही हमारा परिवार बन जाता है । जब हमने टीवी पर अभिनंदन को पाक कब्जे में होने की खबर सुनी तो ऐसे लगा कि परिवार का कोई सदस्य फंस गया है । आज जब वह वापस आ रहा है तो लग रहा है कि हमारा बेटा वापस आ रहा है
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