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रेसा ने पदोन्नति के संबंध में सरकार के नीति विरोध कदम पर जताया विरोध, सरकार को दी चेतावनी

झुंझुनूं में बुधवार को राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के पदाधिकारियों ने प्रधानाचार्य पद पर अनुपात घटाने का विरोध जताया है. वहीं, रेसा के पदाधिकारियों ने मामले को लेकर धरना दिया. साथ ही मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

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नीति विरोध कदम को लेकर रेसा ने जताया विरोध
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Published : Jan 27, 2021, 3:57 PM IST

झुंझुनूं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के पदाधिकारियों ने सरकार की ओर से प्रधानाचार्य पद पर अनुपात घटाने को लेकर विरोध जताया है. इसी के चलते रेसा के पदाधिकारियों और सदस्यों ने जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट पर सरकार की कार्यशैली को लेकर विरोध के साथ धरना दिया और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

नीति विरोध कदम को लेकर रेसा ने जताया विरोध

धरने को संबोधित करते हुए परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि विभिन्न माध्यमों से ज्ञात हुआ है कि प्रदेश सरकार प्रधानाचार्य पद पर प्रधानाध्यापक और प्राध्यापक के अनुपात को 33:67 के स्थान पर 20:80 करने की तैयारी कर रहीं है. इसी को लेकर इस संबंध में ऐसा कुछ प्रस्ताव अनुमोदन के लिए मंत्रीमंडल रखने के लिए प्रयासरत है. वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से कोराना काल में बिना सुने बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन किया जा रहा है, जिससे प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के सारे रास्ते बंद हो रहे है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा.

परिषद की ये हैं प्रमुख मांग

रेसा जिलाध्यक्ष प्रमोद आबूसरिया के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि सरकार की ओर से इस अनुपात परिवर्तन पर एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए, जो सभी पक्षों को सुनकर अपनी राय केबिनेट के समक्ष रखे. जब तक पदोन्नति अनुपात को यथावत रखा जाए. साथ ही ऐसे सभी उच्च माध्यमिक विद्यालय जिसमें पीईईओ व्यवस्था संचालित है, उनमें प्रधानाध्यापक के समकक्ष वाइस प्रिंसिपल का पद स्वीकृत किया जाए. इसके अलावा बकाया दो वर्षों की डीईओ डीपीसी शत-प्रतिशत पदों पर पदोन्नति की ओर से शीघ्र की जाए.

पढ़ें- झुंझुनूं: कोरोना जागरूकता के लिए जिला स्तरीय पोस्टर प्रतियोगिता में स्काउटर्स ने लिया भाग

सरकार को दी कड़ी चेतावनी

इसी के साथ ज्ञापन में माध्यम से सरकार को चेतावनी दी गई है कि यदि अप्रजातांत्रिक रूप से बिना हमारा पक्ष सुने अनुपात परिवर्तन किया जाता है, जो परिषद इसके विरूद्ध कड़ा विरोध-प्रदर्शन करेंगी और अन्य जरूरी कदम उठाने के लिए विवश होंगी.

झुंझुनूं. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (रेसा) के पदाधिकारियों ने सरकार की ओर से प्रधानाचार्य पद पर अनुपात घटाने को लेकर विरोध जताया है. इसी के चलते रेसा के पदाधिकारियों और सदस्यों ने जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट पर सरकार की कार्यशैली को लेकर विरोध के साथ धरना दिया और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

नीति विरोध कदम को लेकर रेसा ने जताया विरोध

धरने को संबोधित करते हुए परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि विभिन्न माध्यमों से ज्ञात हुआ है कि प्रदेश सरकार प्रधानाचार्य पद पर प्रधानाध्यापक और प्राध्यापक के अनुपात को 33:67 के स्थान पर 20:80 करने की तैयारी कर रहीं है. इसी को लेकर इस संबंध में ऐसा कुछ प्रस्ताव अनुमोदन के लिए मंत्रीमंडल रखने के लिए प्रयासरत है. वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से कोराना काल में बिना सुने बहुत बड़ा नीतिगत परिवर्तन किया जा रहा है, जिससे प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति के सारे रास्ते बंद हो रहे है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं किया जाएगा.

परिषद की ये हैं प्रमुख मांग

रेसा जिलाध्यक्ष प्रमोद आबूसरिया के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि सरकार की ओर से इस अनुपात परिवर्तन पर एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जाए, जो सभी पक्षों को सुनकर अपनी राय केबिनेट के समक्ष रखे. जब तक पदोन्नति अनुपात को यथावत रखा जाए. साथ ही ऐसे सभी उच्च माध्यमिक विद्यालय जिसमें पीईईओ व्यवस्था संचालित है, उनमें प्रधानाध्यापक के समकक्ष वाइस प्रिंसिपल का पद स्वीकृत किया जाए. इसके अलावा बकाया दो वर्षों की डीईओ डीपीसी शत-प्रतिशत पदों पर पदोन्नति की ओर से शीघ्र की जाए.

पढ़ें- झुंझुनूं: कोरोना जागरूकता के लिए जिला स्तरीय पोस्टर प्रतियोगिता में स्काउटर्स ने लिया भाग

सरकार को दी कड़ी चेतावनी

इसी के साथ ज्ञापन में माध्यम से सरकार को चेतावनी दी गई है कि यदि अप्रजातांत्रिक रूप से बिना हमारा पक्ष सुने अनुपात परिवर्तन किया जाता है, जो परिषद इसके विरूद्ध कड़ा विरोध-प्रदर्शन करेंगी और अन्य जरूरी कदम उठाने के लिए विवश होंगी.

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