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SPECIAL: झुंझुनू का एक ऐसा कवि, जिसके बदौलत राम कथा और गीता भी है मारवाड़ी में - etv bharat news

कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन ने एक बार फिर से एक राजस्थानी कवि की यादें ताजा कर दी है. दरअसल, इस बीच टेलीविजन पर आ रहे रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य आ रहे हैं, इस महाकाव्य को मारवाड़ी भाषा में अनुवाद कर देश-विदेश के मारवाड़ी लोगों तक पहुंचाने वाले कवि विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' एकमात्र कवि हैं. इनके इस काव्य संग्रह को लोगों ने खासा पसंद किया हैं.

Jhunjhunu news, झुंझुनू समाचार
रामकथा और गीता मारवाड़ी में कवि विमलेश की देन
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Published : Jun 2, 2020, 10:35 PM IST

झुंझुनू. जिले के शेखावाटी के प्रसिद्ध कवियों में से एक विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं, जब से कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन से टेलीविजन पर रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य आ रहे हैं. दरअसल, विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' जी वही कवि हैं, जिनके बदौलत राम कथा और गीता का उल्लेख मारवाड़ी में भी उपलब्ध हो पाया हैं. जी हां, गीता के क्लिष्ट शब्दों का विमलेश जी ने मारवाड़ी में अनुवाद किया, जिसे शेखावाटी में ही नहीं, विशेषकर देश-विदेश में बसे मारवाड़ियों ने भी खासा पसंद किया.

रामकथा और गीता मारवाड़ी में कवि विमलेश की देन

उनके द्वारा लिखे ­­­हुए राम कथा राजस्थानी काव्य की इन पंक्तियों को देखें

मन्नें पैचांणी के ? लंका को रावण हूं

यूं कहकरकै बो भूंडी सी हांसी हांसी

और सिया को हाथ पकड़कै बारै खींची

जाल बणायो बीमें ईं मछली नै फांसी

उनके द्वारा गीता के अनुवाद के बारे में एक सुप्रसिद्ध आलोचक ने तत्कालीन समय में लिखा था कि...

'गीता का अनुवाद हंसी खेल नहीं हैं. एक शब्द भाव व्यवस्था को भ्रष्ट कर सकता है, किंतु विमलेश ने शब्दों की प्रकृति को पकड़कर जो अनुवाद किया हैं, वह उनकी कलाकारिता के भविष्य का चारण है और राम कथा से इसकी पुष्टि हो जाती हैं. राम कथा कवि का प्रयत्न नहीं हैं, सिद्धि हैं. इसकी साधना की कल्पना हम केवल पढ़कर और रुचिपूर्वक समझकर ही कर सकते हैं.'

वहीं, उनकी रामकथा के बारे में लिखा गया हैं...

विमलेश राजस्थान के जाने-माने कलाकार हैं. रामकथा ने उनकी कला को और अधिक कलित और प्रौढ़ बना दिया हैं. रामचरितमानस के विविध पक्षों और वस्तु विन्यास से श्री रामकथा के लेखक ने सामग्री जुटा कर जो कथा पट तैयार किया, उसमें भावना की रंगीनी, विचारों की संयत व्यवस्था और कला की लोकप्रिय कांति का एक अनूठा संग्रह हैं. वहीं, गीता के राजस्थानी अनुवाद के पश्चात कवि रुचि का रामकथा की ओर मोड़ उनकी परिष्कृत आस्था का द्योतक हैं.

कवि का एक परिचय

हिंदी एवं राजस्थानी के साहित्यकार कवि विश्वनाथ विमलेश का जन्म 17 अक्टूबर 1927 को झुंझुनू के मोदी रोड स्थित उनके पैतृक निवास पर हुआ था. विमलेश 70 के दशक के राजस्थानी भाषा के एक शानदार कवि माने जाते थे. अपने समय में 'विमलेश' जी ने कई राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों में शिरकत की. इन्हें "काका हाथरसी" सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है. इन्होंने राजस्थानी भाषा में कई हास्य-व्यंग्य कविताओं की रचना की हैं. शेखावाटी अंचल से संबंध होने के कारण इनकी कविताओं में शेखावाटी बोली का प्रभाव अधिक हैं. माना जाता है कि प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा, विमलेश को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे. सुरेन्द्र शर्मा की कविताओं में 'विमलेश' का अक्स अत्यधिक देखने को भी मिलता है. 'विमलेश' सेवा निवृत्ति तक झुंझुनू शहर के सेठ मोतीलाल महाविद्यालय में कला संकाय में विभागाध्यक्ष के पद पर रहे. उनके पड़ोसियों का कहना हैं कि उनका परिवार अब बाहर रहता हैं. वहीं, साल 1992-93 के आसपास विमलेश पंचतत्व में विलीन हो गए.

झुंझुनू के इस कवि की कई अन्य जानी-मानी कृतियां भी हैं...

⦁ रामकथा (राजस्थानी में राम काव्य)

⦁ नो रस में रस हास्य (हास्य कविता संग्रह)

⦁ शकुंतला (प्रबंध काव्य)

⦁ गीता (राजस्थानी पद्यानुवाद)

⦁ सतपकवानी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ छेड़खानी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ कुचरणी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ ठिठोली (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ टसकोऴी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ कुछ हंसना कुछ रोना (गीत संग्रह)

⦁ वेदना (कविता संग्रह)

⦁ प्राणों की छाया (गीत संग्रह)

⦁ विकास गीत (विकास सम्बन्धी रचनाएँ)

⦁ अनामिका (लघु काव्य )

⦁ मैंने क्या क्या किया (हास्य कथा संग्रह)

⦁ एक मिनिस्टर एक छिपकली (राजस्थानी कविता संग्रह)

झुंझुनू. जिले के शेखावाटी के प्रसिद्ध कवियों में से एक विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' की यादें एक बार फिर से ताजा हो गई हैं, जब से कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन से टेलीविजन पर रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य आ रहे हैं. दरअसल, विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' जी वही कवि हैं, जिनके बदौलत राम कथा और गीता का उल्लेख मारवाड़ी में भी उपलब्ध हो पाया हैं. जी हां, गीता के क्लिष्ट शब्दों का विमलेश जी ने मारवाड़ी में अनुवाद किया, जिसे शेखावाटी में ही नहीं, विशेषकर देश-विदेश में बसे मारवाड़ियों ने भी खासा पसंद किया.

रामकथा और गीता मारवाड़ी में कवि विमलेश की देन

उनके द्वारा लिखे ­­­हुए राम कथा राजस्थानी काव्य की इन पंक्तियों को देखें

मन्नें पैचांणी के ? लंका को रावण हूं

यूं कहकरकै बो भूंडी सी हांसी हांसी

और सिया को हाथ पकड़कै बारै खींची

जाल बणायो बीमें ईं मछली नै फांसी

उनके द्वारा गीता के अनुवाद के बारे में एक सुप्रसिद्ध आलोचक ने तत्कालीन समय में लिखा था कि...

'गीता का अनुवाद हंसी खेल नहीं हैं. एक शब्द भाव व्यवस्था को भ्रष्ट कर सकता है, किंतु विमलेश ने शब्दों की प्रकृति को पकड़कर जो अनुवाद किया हैं, वह उनकी कलाकारिता के भविष्य का चारण है और राम कथा से इसकी पुष्टि हो जाती हैं. राम कथा कवि का प्रयत्न नहीं हैं, सिद्धि हैं. इसकी साधना की कल्पना हम केवल पढ़कर और रुचिपूर्वक समझकर ही कर सकते हैं.'

वहीं, उनकी रामकथा के बारे में लिखा गया हैं...

विमलेश राजस्थान के जाने-माने कलाकार हैं. रामकथा ने उनकी कला को और अधिक कलित और प्रौढ़ बना दिया हैं. रामचरितमानस के विविध पक्षों और वस्तु विन्यास से श्री रामकथा के लेखक ने सामग्री जुटा कर जो कथा पट तैयार किया, उसमें भावना की रंगीनी, विचारों की संयत व्यवस्था और कला की लोकप्रिय कांति का एक अनूठा संग्रह हैं. वहीं, गीता के राजस्थानी अनुवाद के पश्चात कवि रुचि का रामकथा की ओर मोड़ उनकी परिष्कृत आस्था का द्योतक हैं.

कवि का एक परिचय

हिंदी एवं राजस्थानी के साहित्यकार कवि विश्वनाथ विमलेश का जन्म 17 अक्टूबर 1927 को झुंझुनू के मोदी रोड स्थित उनके पैतृक निवास पर हुआ था. विमलेश 70 के दशक के राजस्थानी भाषा के एक शानदार कवि माने जाते थे. अपने समय में 'विमलेश' जी ने कई राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों में शिरकत की. इन्हें "काका हाथरसी" सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है. इन्होंने राजस्थानी भाषा में कई हास्य-व्यंग्य कविताओं की रचना की हैं. शेखावाटी अंचल से संबंध होने के कारण इनकी कविताओं में शेखावाटी बोली का प्रभाव अधिक हैं. माना जाता है कि प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा, विमलेश को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे. सुरेन्द्र शर्मा की कविताओं में 'विमलेश' का अक्स अत्यधिक देखने को भी मिलता है. 'विमलेश' सेवा निवृत्ति तक झुंझुनू शहर के सेठ मोतीलाल महाविद्यालय में कला संकाय में विभागाध्यक्ष के पद पर रहे. उनके पड़ोसियों का कहना हैं कि उनका परिवार अब बाहर रहता हैं. वहीं, साल 1992-93 के आसपास विमलेश पंचतत्व में विलीन हो गए.

झुंझुनू के इस कवि की कई अन्य जानी-मानी कृतियां भी हैं...

⦁ रामकथा (राजस्थानी में राम काव्य)

⦁ नो रस में रस हास्य (हास्य कविता संग्रह)

⦁ शकुंतला (प्रबंध काव्य)

⦁ गीता (राजस्थानी पद्यानुवाद)

⦁ सतपकवानी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ छेड़खानी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ कुचरणी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ ठिठोली (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ टसकोऴी (राजस्थानी कविता संग्रह)

⦁ कुछ हंसना कुछ रोना (गीत संग्रह)

⦁ वेदना (कविता संग्रह)

⦁ प्राणों की छाया (गीत संग्रह)

⦁ विकास गीत (विकास सम्बन्धी रचनाएँ)

⦁ अनामिका (लघु काव्य )

⦁ मैंने क्या क्या किया (हास्य कथा संग्रह)

⦁ एक मिनिस्टर एक छिपकली (राजस्थानी कविता संग्रह)

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