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झुंझुनू: गौ सरंक्षण व संवर्धन अधिनियम में संशोधन का विरोध

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Published : Sep 7, 2020, 7:30 PM IST

झुंझुनू जिले के सूरजगढ़ में गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम में संशोधन का विरोध किया गया. भाजपा सरकार 2016 में यह अधिनियम लेकर आई थी. जिसमें वर्तमान गहलोत सरकार ने संशोधन कर दिया है. जिसके बाद गौवंश के संरक्षण और संवर्धन में खर्च की जाने वाली राशि सरकार दूसरे आपदा एवं राहत के कार्यों में भी खर्च कर सकती है.

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गौ सरंक्षण व संवर्धन अधिनियम में संशोधन का विरोध

सूरजगढ़ (झुंझुनू). प्रदेश भर में गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम में किए गए संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. 2016 में भाजपा सरकार यह अधिनियम लेकर आई थी. जिसके तहत एक निश्चित राशी गौवंश के विकास के लिए दी जानी थी. लेकिन गहलोत सरकार ने उसमें संशोधन कर दिया है. जिसके बाद गौ वंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए खर्च की जाने वाली राशि दूसरी आपदाएं जैसे सूखे, बाढ़ में इस्तेमाल कर सकती है.

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प्रदेशभर में हो रहे प्रदर्शन

पढ़ें: राजधानी में दिनदहाड़े फायरिंग, पेट्रोल पंप मालिक की मौके पर मौत

गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति की ओर से सूरजगढ़ एसडीएम अभिलाषा सिंह को संशोधन को निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 (1999 का अधिनियम की संख्या 14 ) की धारा 3-ख के तहत स्टाम्प ड्यूटी पर अधिभार से प्राप्त राशि सिर्फ गौवंश के सरंक्षण एंव संवर्धन के लिए ही व्यय किया जाने का प्रावधान लागू किया गया था. जिसके तहत राज्य में चल रही गौशालाओं को सरकारी अनुदान दिया जाता रहा है, लेकिन अब वर्तमान सरकार ने इसमें संसोधन करते हुए प्राप्त राशि को गौ संवर्धन के साथ साथ अन्य मदों में व्यय करने का प्रावधान लागू कर दिया है. जिसका गौ प्रेमी विरोध कर रहे हैं.

जालोर के भीनमाल में भी किया गया प्रदर्शन

गौ संरक्षण संवर्धन अधिनियम 2016 में किए गए संशोधनों को निरस्त करने की मांग को लेकर गौ संरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान और विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल ने मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. वर्तमान में स्टांप ड्यूटी के अधिभार से प्राप्त संपूर्ण राशि सिर्फ गौ संरक्षण व संवर्धन पर ही व्यय की जा रही है. तब लगभग 1980 पंजीकृत गौशाला को ही 180 दिनों की सहायता राशि मिल पा रही है. लगभग 1520 गौशालाएं अभी भी सहायता से वंचित हैं. इस संशोधन के बाद जिन गौशालाओं को सहायता मिल रही है. वो भी बंद हो सकती है. जिसका गौभक्तों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

सूरजगढ़ (झुंझुनू). प्रदेश भर में गौ संरक्षण और संवर्धन अधिनियम में किए गए संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. 2016 में भाजपा सरकार यह अधिनियम लेकर आई थी. जिसके तहत एक निश्चित राशी गौवंश के विकास के लिए दी जानी थी. लेकिन गहलोत सरकार ने उसमें संशोधन कर दिया है. जिसके बाद गौ वंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए खर्च की जाने वाली राशि दूसरी आपदाएं जैसे सूखे, बाढ़ में इस्तेमाल कर सकती है.

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गौवंश संरक्षण संघर्ष समिति की ओर से सूरजगढ़ एसडीएम अभिलाषा सिंह को संशोधन को निरस्त करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा गया. गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए राजस्थान स्टांप अधिनियम 1988 (1999 का अधिनियम की संख्या 14 ) की धारा 3-ख के तहत स्टाम्प ड्यूटी पर अधिभार से प्राप्त राशि सिर्फ गौवंश के सरंक्षण एंव संवर्धन के लिए ही व्यय किया जाने का प्रावधान लागू किया गया था. जिसके तहत राज्य में चल रही गौशालाओं को सरकारी अनुदान दिया जाता रहा है, लेकिन अब वर्तमान सरकार ने इसमें संसोधन करते हुए प्राप्त राशि को गौ संवर्धन के साथ साथ अन्य मदों में व्यय करने का प्रावधान लागू कर दिया है. जिसका गौ प्रेमी विरोध कर रहे हैं.

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गौ संरक्षण संवर्धन अधिनियम 2016 में किए गए संशोधनों को निरस्त करने की मांग को लेकर गौ संरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान और विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल ने मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया. वर्तमान में स्टांप ड्यूटी के अधिभार से प्राप्त संपूर्ण राशि सिर्फ गौ संरक्षण व संवर्धन पर ही व्यय की जा रही है. तब लगभग 1980 पंजीकृत गौशाला को ही 180 दिनों की सहायता राशि मिल पा रही है. लगभग 1520 गौशालाएं अभी भी सहायता से वंचित हैं. इस संशोधन के बाद जिन गौशालाओं को सहायता मिल रही है. वो भी बंद हो सकती है. जिसका गौभक्तों द्वारा विरोध किया जा रहा है.

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