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SPECIAL: 28 दिन में बनता है बया का अद्भुत घोसला, शेखावाटी में खेजड़ियों पर लालटेन सा नजर आता है

झुंझुनू में खेजड़ी के पेड़ पर लालटेन की तरह लटकता बया का घोसला देखने में बेहद आकर्षक लगता है. बया अपना घोंसला ज्यादातर मानसून के दौरान बनाते हैं. लेकिन कई बया इसे सर्दियों की आहट तक बनाते रहते हैं. इसे बनाने में करीब 28 दिन का समय लगता है. ईटीवी भारत ने कई दिनों तक इसके घोसले बनाने की प्रक्रिया को अपने कैमरे में कैद किया. देखें यह स्पेशल रिपोर्ट.

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28 दिन लगते हैं बया को यह घोंसला बनाने में
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Published : Oct 22, 2020, 9:32 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 1:31 PM IST

झुंझुनू. शेखावाटी की आबोहवा में बुनकर पक्षी बया को खेजड़ी ही एक ऐसा पेड़ मिलता है, जहां पर ज्यादातर यह अपना लालटेननुमा घोसले बनाते हैं. दरअसल बया पक्षी अपना घोसला बनाने के लिए दूसरे परजीवियों या परभक्षियों से रक्षा के लिए कांटेदार पेड़ों का चयन करता है. साथ ही इसके उपर इतनी जगह भी होनी चाहिए कि एक साथ 20 से 30 बया अपने घोसले बना सकें. इसका भी कारण कहीं ना कहीं सुरक्षा ही है और इस लिहाज से जांटी यानि खेजड़ी का पेड़ ही इसके लिए उपयुक्त रहता है. वैसे तो इसका प्रजनन काल मानसून से लेकर सर्दियों तक माना जाता है, लेकिन लगातार इसके घोसले बनाने की प्रक्रिया चलती रहती है. ईटीवी भारत ने कई दिनों तक इसके घोसले बनाने की प्रक्रिया को अपने कैमरे में कैद किया.

28 दिन लगते हैं बया को यह घोंसला बनाने में

कई बार तेज आंधी उड़ा देती है आशियाना

वैसे तो यह लालटेन की तरह हवा में झुलते हैं लेकिन शेखावाटी की तेज आंधी इनके आशियाने उड़ा भी देती है. ऐसे में यहां पर कई गिरे हुए घोसले भी मिल जाते हैं. इनका भी हमने अवलोकन किया तो देखा कि घोसले में एक गोलाकार जगह होती है. जबकि नीचे की ओर से बया के निकलने का रास्ता होता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि नर बया पक्षी घोसला बनाने के लिए करीब 500 बार उड़कर लंबी घास और पत्तियां लाता है. इसके बाद यह अपनी चोंच से तिनकों और लंबी घास को आपस में बुन देता है. बया अपना घोंसला पेड़ के पूर्वी दिशा में बनाना पसंद करता है. बया के घोसले को छोड़ देने के बाद भी यह घोंसला नष्ट नहीं होता है. इसे दूसरे पक्षियों के द्वारा उपयोग कर लिया जाता है.

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लालटेन की तरह लटकते हैं बेहद खूबसूरत

पढ़ेंः सांभर झील में पक्षी त्रासदी जैसी ना हो कोई दूसरी घटना, रोकने के लिए वन विभाग और स्वयंसेवक जुटे

मादा को आना चाहिए पसंद

शेखावाटी में खेजड़ी के पेड़ों पर आपको अधूरे लटकते हुए घोंसले भी दिख जाएंगे. क्योंकि यदि जगह और घोंसला मादा को पसंद नहीं आता है तो बताया जाता है कि वह नर के परिणय निवेदन को स्वीकार नहीं करती है. ऐसे में नर को दूसरी जगह और खूबसूरत घोंसला बनाना पड़ता है.

लगते हैं 28 दिन

पेड़ों पर आपको बया के खूबसूरत घोंसले देखने को मिल जाएंगे. बया के यह घोंसले हमेशा से ही सभी के आकर्षण का केंद्र रहे हैं. बया अपना घोंसला ज्यादातर मानसून के दौरान बनाती है. लेकिन कई बया इसे सर्दियों की आहट तक बनाते रहते है. इसे बनाने में करीब 28 दिन का समय लगता है. हालांकि इंसान की तरह कई बार बया का व्यवहार भी अतिक्रमण वाला होने लगता है.

मादा बया भी कोयल की तरह कई बार दूसरी मादा के घोंसले में अंडे देती है. इस व्यवहार को ब्रुड पैरासाइट व्यवहार कहते हैं. मादा बया पक्षी 2 से 4 सफेद अंडे देती है. इन अंडों को 14 से 17 दिनों तक सेया जाता है. केवल 17 दिन के बाद ही बच्चे घोंसला छोड़ देते हैं. बया पक्षी कभी भी अकेला घोंसला नहीं बनाता है और यह झुंड में इसका निर्माण करता है. बया पक्षी के अनोखे घोंसले का आकार गोल होने पर एक फुटबॉल के बराबर होता है और लम्बा होने पर यह एक बड़ी लौकी की तरह होता है.

यह है वैज्ञानिक नाम

बया पक्षी बुनकर पक्षी समुदाय का सदस्य है. इसका वैज्ञानिक नाम (प्लोसस फिलिपिनस) है. यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है. बया पक्षी के झुंड का घांस के मैदानों, खेतों और छोटे जंगलों में उड़ते हुए देखे जा सकते हैं.

झुंझुनू. शेखावाटी की आबोहवा में बुनकर पक्षी बया को खेजड़ी ही एक ऐसा पेड़ मिलता है, जहां पर ज्यादातर यह अपना लालटेननुमा घोसले बनाते हैं. दरअसल बया पक्षी अपना घोसला बनाने के लिए दूसरे परजीवियों या परभक्षियों से रक्षा के लिए कांटेदार पेड़ों का चयन करता है. साथ ही इसके उपर इतनी जगह भी होनी चाहिए कि एक साथ 20 से 30 बया अपने घोसले बना सकें. इसका भी कारण कहीं ना कहीं सुरक्षा ही है और इस लिहाज से जांटी यानि खेजड़ी का पेड़ ही इसके लिए उपयुक्त रहता है. वैसे तो इसका प्रजनन काल मानसून से लेकर सर्दियों तक माना जाता है, लेकिन लगातार इसके घोसले बनाने की प्रक्रिया चलती रहती है. ईटीवी भारत ने कई दिनों तक इसके घोसले बनाने की प्रक्रिया को अपने कैमरे में कैद किया.

28 दिन लगते हैं बया को यह घोंसला बनाने में

कई बार तेज आंधी उड़ा देती है आशियाना

वैसे तो यह लालटेन की तरह हवा में झुलते हैं लेकिन शेखावाटी की तेज आंधी इनके आशियाने उड़ा भी देती है. ऐसे में यहां पर कई गिरे हुए घोसले भी मिल जाते हैं. इनका भी हमने अवलोकन किया तो देखा कि घोसले में एक गोलाकार जगह होती है. जबकि नीचे की ओर से बया के निकलने का रास्ता होता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि नर बया पक्षी घोसला बनाने के लिए करीब 500 बार उड़कर लंबी घास और पत्तियां लाता है. इसके बाद यह अपनी चोंच से तिनकों और लंबी घास को आपस में बुन देता है. बया अपना घोंसला पेड़ के पूर्वी दिशा में बनाना पसंद करता है. बया के घोसले को छोड़ देने के बाद भी यह घोंसला नष्ट नहीं होता है. इसे दूसरे पक्षियों के द्वारा उपयोग कर लिया जाता है.

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लालटेन की तरह लटकते हैं बेहद खूबसूरत

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मादा को आना चाहिए पसंद

शेखावाटी में खेजड़ी के पेड़ों पर आपको अधूरे लटकते हुए घोंसले भी दिख जाएंगे. क्योंकि यदि जगह और घोंसला मादा को पसंद नहीं आता है तो बताया जाता है कि वह नर के परिणय निवेदन को स्वीकार नहीं करती है. ऐसे में नर को दूसरी जगह और खूबसूरत घोंसला बनाना पड़ता है.

लगते हैं 28 दिन

पेड़ों पर आपको बया के खूबसूरत घोंसले देखने को मिल जाएंगे. बया के यह घोंसले हमेशा से ही सभी के आकर्षण का केंद्र रहे हैं. बया अपना घोंसला ज्यादातर मानसून के दौरान बनाती है. लेकिन कई बया इसे सर्दियों की आहट तक बनाते रहते है. इसे बनाने में करीब 28 दिन का समय लगता है. हालांकि इंसान की तरह कई बार बया का व्यवहार भी अतिक्रमण वाला होने लगता है.

मादा बया भी कोयल की तरह कई बार दूसरी मादा के घोंसले में अंडे देती है. इस व्यवहार को ब्रुड पैरासाइट व्यवहार कहते हैं. मादा बया पक्षी 2 से 4 सफेद अंडे देती है. इन अंडों को 14 से 17 दिनों तक सेया जाता है. केवल 17 दिन के बाद ही बच्चे घोंसला छोड़ देते हैं. बया पक्षी कभी भी अकेला घोंसला नहीं बनाता है और यह झुंड में इसका निर्माण करता है. बया पक्षी के अनोखे घोंसले का आकार गोल होने पर एक फुटबॉल के बराबर होता है और लम्बा होने पर यह एक बड़ी लौकी की तरह होता है.

यह है वैज्ञानिक नाम

बया पक्षी बुनकर पक्षी समुदाय का सदस्य है. इसका वैज्ञानिक नाम (प्लोसस फिलिपिनस) है. यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है. बया पक्षी के झुंड का घांस के मैदानों, खेतों और छोटे जंगलों में उड़ते हुए देखे जा सकते हैं.

Last Updated : Oct 23, 2020, 1:31 PM IST
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