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करवा चौथ 2020: जानिए कैसे करवा चौथ मनाती हैं जवानों की पत्नियां!

करवा चौथ का दिन हर सुहागन स्त्री के जीवन का सबसे अहम दिन होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सारा दिन भूखी-प्यासी रहती हैं. वहीं, रात में चांद निकलने पर छलनी में दीया रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वह पत्नियां कैसे करवा चौथ मनाती हैं, जिनके पति भारत मां की रक्षा के लिए सरहदों पर तैनात हैं या जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके हैं. ईटीवी भारत ने ऐसे वीरों की पत्नियों से खास बात की...

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जानिए कैसे करवा चौथ मनाती हैं जवानों की पत्नियां
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Published : Nov 4, 2020, 3:07 PM IST

Updated : Nov 4, 2020, 3:19 PM IST

झुंझुनूं: बुधवार यानी 4 नवंबर को करवा चौथ का व्रत है. इस व्रत की सारी तैयारियां एक-दो दिन पहले ही की जाती है. करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. यह त्योहार केवल सजने-संवरने का ही पर्व नहीं है, बल्कि करवा माता में पूरी तरह से आस्था रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह त्योहार है.

जानिए कैसे करवा चौथ मनाती हैं जवानों की पत्नियां

करवा चौथ का दिन हर सुहागन स्त्री के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सारा दिन भूखी प्यासी रहती हैं. वहीं, रात में चांद निकलने पर छलनी में दीया रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वह पत्नियां कैसे करवा चौथ मनाती हैं जिनके पति भारत मां की रक्षा के लिए सरहदों पर तैनात हैं या जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके हैं.

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मेहंदी लगवाती हुए जवान की पत्नी

शेखावटी में आज भी अमर हैं शहीदों की आत्माएं

शेखावाटी की वीर भूमि की यह अद्भुत परम्परा ही है कि यहां के जवान जब बार्डर पर मां भारती की रक्षा के लिए कंपकंपाती ठंड में हाथ में बंदूक लिए खड़ा होते हैं, तो उनकी पत्नियां करवा चौथ का व्रत कर सुहाग की सलामती की दुआ मांगती हैं. यही वजह है कि दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो चुके शेखावटी के जवानों की पत्नियां भी करवा चौथ का व्रत करती हैं.

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शहीद की वीरांगना

भले ही शेखावाटी की नस-नस में वीरता बहती हो, लेकिन जिनके पति निगाहेबान आंखों के साथ सर्द रातों में बार्डर पर खडे़ हों, उन पत्नियों को हर पल ये चिंता सताती रहती है कि वे वापस लौटेंगे या नहीं. ऐसे में पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला यह व्रत और भी जरूरी हो जाता है.

कैप्टन प्रताप सिंह पूनिया की पत्नी संपत्ति देवी बताती हैं कि जब पति साथ नहीं हो तो किसी भी त्योहार के लिए उतनी उत्सुकता नहीं रहती है. लेकिन यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इसलिए करवा चौथ को वे पूरे धूम-धाम से मनाती हैं.

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पति की फोटो का दीदार करके ही खोलती हैं व्रत

अखंड सौभाग्यवती की अरदास के साथ पति की दीर्घायु की कामना के लिए पूरे देश की सुहागिनें व्रत रखती हैं. लेकिन शेखावटी के कई लाल देश की रक्षा के लिए शहीद हो चुके हैं, ऐसे जवानों की वीरांगनाएं भी करवा चौथ का व्रत करती हैं. ये सालों से शेखावटी की परंपरा रही है.

पढ़ें: Special: सोलह श्रृंगार कर चांद के निकलने के इंतजार में सुहागिन महिलाएं, निर्जला व्रत रख पति की लंबी उम्र की दुआ

शहीद की वीरांगनाओं का मानना है कि भले ही उनके पति अब ना रहे हों. लेकिन उनकी रूह आज भी अमर है. जिनके लिए वे यह व्रत करती हैं. इन वीरांगनाओं का मानना है कि उनके पति आज भी उनके लिए जिंदा है.

हर गांव-ढाणी की है यह कहानी

हाथों में पूजा की थाली, सामने पति की तस्वीर और उनके प्रेम में जगमगाता दीपक, अजर अमर पति को निहारती वीरांगना की आंखे. ऐसा देखकर भले ही परिवारवालों की आंखों में आंसू आ जाए, लेकिन ये वीरांगनाएं पूरी शिद्दत से व्रत रखती हैं.

शहीद की पत्नी बताती हैं कि उनके पति ने देश के लिए कुर्बानी दी है. वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फिर भी वे उनके लिए आज भी जिंदा है. उनकी आत्मा की शांति के लिए वे हर साल करवा चौथ का व्रत करती हैं.

करवा चौथ से जुड़ी कहानी

कहा जाता है कि शाक प्रस्थपुर के वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत किया था. इस व्रत में चंद्रोदय के बाद भोजन किया जाता है, लेकिन उससे भूख बर्दाश्त नहीं हुई और वह भूख से व्याकुल हो गई. वह अपने भाइयों की लाड़ली थी. उसे भूख से व्याकुल देख उसके भाई ने पीपल की आड़ में दीप जला दिया, जिससे यह प्रतीत होने लगा कि चंद्रमा निकल आया है. यह दिखा वीरवती को सभी ने कहा चंद्रोदय हो गया और वीरवती ने भोजन कर लिया.

भोजन का निवाला डालने के साथ ही उसके पति की मौत हो गई. तब उसकी भाभी ने उसे सच्चाई बताई. बाद में इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी ने वीरवती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा.

पढ़ें: अनूठी लोककला का पर्व है करवा चौथ, जानें पारंपरिक कथाएं

तब वीरवती ने पूरी श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरवती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया.

रोग-कष्ट दूर करते हैं चंद्र देव

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है. चंद्रमा अपनी हिम किरणों से समस्त वनस्पतियों में दिव्य गुणों का प्रवाह करते हैं. समस्त वनस्पतियां अपने तत्वों के आधार पर औषधीय गुणों से युक्त हो जाती है, जिससे रोग-कष्ट दूर हो जाते हैं.

अर्घ्य देते समय पति-पत्नी को भी चन्द्रमा की शुभ किरणों का औषधीय गुण प्राप्त होता है और दोनों के बीच प्रेम एवं समर्पण बना रहता है.

ऐसी भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को अर्जुन की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखने के लिए कहा था.

झुंझुनूं: बुधवार यानी 4 नवंबर को करवा चौथ का व्रत है. इस व्रत की सारी तैयारियां एक-दो दिन पहले ही की जाती है. करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. यह त्योहार केवल सजने-संवरने का ही पर्व नहीं है, बल्कि करवा माता में पूरी तरह से आस्था रखकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का यह त्योहार है.

जानिए कैसे करवा चौथ मनाती हैं जवानों की पत्नियां

करवा चौथ का दिन हर सुहागन स्त्री के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य के लिए सारा दिन भूखी प्यासी रहती हैं. वहीं, रात में चांद निकलने पर छलनी में दीया रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि वह पत्नियां कैसे करवा चौथ मनाती हैं जिनके पति भारत मां की रक्षा के लिए सरहदों पर तैनात हैं या जो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके हैं.

झुंझुनूं लेटेस्ट न्यूज,  करवा चौथ 2020,  karva chauth 2020,  राजस्थान की खबरें,  rajasthan latest news
मेहंदी लगवाती हुए जवान की पत्नी

शेखावटी में आज भी अमर हैं शहीदों की आत्माएं

शेखावाटी की वीर भूमि की यह अद्भुत परम्परा ही है कि यहां के जवान जब बार्डर पर मां भारती की रक्षा के लिए कंपकंपाती ठंड में हाथ में बंदूक लिए खड़ा होते हैं, तो उनकी पत्नियां करवा चौथ का व्रत कर सुहाग की सलामती की दुआ मांगती हैं. यही वजह है कि दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो चुके शेखावटी के जवानों की पत्नियां भी करवा चौथ का व्रत करती हैं.

झुंझुनू लेटेस्ट न्यूज,  करवा चौथ 2020,  karva chauth 2020,  राजस्थान की खबरें,  rajasthan latest news
शहीद की वीरांगना

भले ही शेखावाटी की नस-नस में वीरता बहती हो, लेकिन जिनके पति निगाहेबान आंखों के साथ सर्द रातों में बार्डर पर खडे़ हों, उन पत्नियों को हर पल ये चिंता सताती रहती है कि वे वापस लौटेंगे या नहीं. ऐसे में पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला यह व्रत और भी जरूरी हो जाता है.

कैप्टन प्रताप सिंह पूनिया की पत्नी संपत्ति देवी बताती हैं कि जब पति साथ नहीं हो तो किसी भी त्योहार के लिए उतनी उत्सुकता नहीं रहती है. लेकिन यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इसलिए करवा चौथ को वे पूरे धूम-धाम से मनाती हैं.

झुंझुनू लेटेस्ट न्यूज,  करवा चौथ 2020,  karva chauth 2020,  राजस्थान की खबरें,  rajasthan latest news
पति की फोटो का दीदार करके ही खोलती हैं व्रत

अखंड सौभाग्यवती की अरदास के साथ पति की दीर्घायु की कामना के लिए पूरे देश की सुहागिनें व्रत रखती हैं. लेकिन शेखावटी के कई लाल देश की रक्षा के लिए शहीद हो चुके हैं, ऐसे जवानों की वीरांगनाएं भी करवा चौथ का व्रत करती हैं. ये सालों से शेखावटी की परंपरा रही है.

पढ़ें: Special: सोलह श्रृंगार कर चांद के निकलने के इंतजार में सुहागिन महिलाएं, निर्जला व्रत रख पति की लंबी उम्र की दुआ

शहीद की वीरांगनाओं का मानना है कि भले ही उनके पति अब ना रहे हों. लेकिन उनकी रूह आज भी अमर है. जिनके लिए वे यह व्रत करती हैं. इन वीरांगनाओं का मानना है कि उनके पति आज भी उनके लिए जिंदा है.

हर गांव-ढाणी की है यह कहानी

हाथों में पूजा की थाली, सामने पति की तस्वीर और उनके प्रेम में जगमगाता दीपक, अजर अमर पति को निहारती वीरांगना की आंखे. ऐसा देखकर भले ही परिवारवालों की आंखों में आंसू आ जाए, लेकिन ये वीरांगनाएं पूरी शिद्दत से व्रत रखती हैं.

शहीद की पत्नी बताती हैं कि उनके पति ने देश के लिए कुर्बानी दी है. वो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन फिर भी वे उनके लिए आज भी जिंदा है. उनकी आत्मा की शांति के लिए वे हर साल करवा चौथ का व्रत करती हैं.

करवा चौथ से जुड़ी कहानी

कहा जाता है कि शाक प्रस्थपुर के वेदधर्मा ब्राह्मण की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चौथ (करक चतुर्थी) का व्रत किया था. इस व्रत में चंद्रोदय के बाद भोजन किया जाता है, लेकिन उससे भूख बर्दाश्त नहीं हुई और वह भूख से व्याकुल हो गई. वह अपने भाइयों की लाड़ली थी. उसे भूख से व्याकुल देख उसके भाई ने पीपल की आड़ में दीप जला दिया, जिससे यह प्रतीत होने लगा कि चंद्रमा निकल आया है. यह दिखा वीरवती को सभी ने कहा चंद्रोदय हो गया और वीरवती ने भोजन कर लिया.

भोजन का निवाला डालने के साथ ही उसके पति की मौत हो गई. तब उसकी भाभी ने उसे सच्चाई बताई. बाद में इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी ने वीरवती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत करने के लिए कहा.

पढ़ें: अनूठी लोककला का पर्व है करवा चौथ, जानें पारंपरिक कथाएं

तब वीरवती ने पूरी श्रद्धा से करवा चौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंने वीरवती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया.

रोग-कष्ट दूर करते हैं चंद्र देव

श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चंद्रमा को औषधि का देवता माना जाता है. चंद्रमा अपनी हिम किरणों से समस्त वनस्पतियों में दिव्य गुणों का प्रवाह करते हैं. समस्त वनस्पतियां अपने तत्वों के आधार पर औषधीय गुणों से युक्त हो जाती है, जिससे रोग-कष्ट दूर हो जाते हैं.

अर्घ्य देते समय पति-पत्नी को भी चन्द्रमा की शुभ किरणों का औषधीय गुण प्राप्त होता है और दोनों के बीच प्रेम एवं समर्पण बना रहता है.

ऐसी भी मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को अर्जुन की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखने के लिए कहा था.

Last Updated : Nov 4, 2020, 3:19 PM IST
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