खेतड़ी/झुंझुनूं. खेतड़ी के पांचवे राजा बख्तावर सिंह ने 19वीं सदी में अपनी रानी के कहने पर बनाया था. ये मंदिर महल नुमा है. नाम है राणावत जी का मंदिर (Ranawatji Temple Khetri). श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिर को आकर्षक लाइटिंग से सजाया जाता है तथा रात को श्री कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम धूमधाम से मना जाता है जिसमें लोग अच्छी खासी तादाद में शामिल होते हैं.
यहीं के शिक्षाविद सुरेश पांडे और व्यापार मंडल उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता बताते हैं कि इस मंदिर की विशेषता का गुणगान करते हैं. कहते हैं ये जयपुर स्थित प्रख्यात गोविंद देव जी मंदिर का प्रतिरूप है. गोविंद देव जी के मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण और राधा की काले पाषाण पत्थर की मूर्ति समान ही यहां विराजे कृष्ण राधा हैं (Sri Krishna Radha Black Stone Idol). मंदिर की स्थापत्य कला भी करीब करीब वैसी ही है. आस्थावान कहते हैं कि भगवान के नेत्र बड़े आकर्षक हैं और सहज ही उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं. मानते हैं कि मंदिर खेतड़ी ही नहीं बल्कि राजस्थान में एक विशिष्ट स्थान रखता है क्योंकि इसकी मूर्तियां दुर्लभ और चमत्कारी हैं.
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राजा बख्तावर सिंह ने रानी राणाव जी जो कि सलूंबर के राजा रावत सरदार सिंह की पुत्री थी के कहने पर इस महल रूपी मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर में घुड़साल, भजन कीर्तन करने के लिए बड़ा हॉल, कुआं, बाग और एक बड़ा तहखाना भी है. इसे देवस्थान विभाग ने बंद कर दिया है. रियासतों के विलय के बाद ये मंदिर भी देव स्थान विभाग ही संचालित करता है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां पर विभिन्न कार्यक्रम करवाए जाते हैं.