ETV Bharat / state

झुंझुनूः बेहद सादगी से मनाया गया गुरु पूर्णिमा का पर्व

कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के चलते इस बार गुरु पूर्णिमा का रंग फिका रहा. आमतौर पर मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर विराजमान गुरुओं के पास गुरु पूर्णिमा पर उनके शिष्य पहुंचते हैं और उनका सम्मान करते हैं. लेकिन इस बार कम ही लोग अपने गुरुओं के दर्शन करने पहुंचे.

jhunjhunu corona update,  jhunjhunu news, Guru Purnima
फिका रहा गुरू पूर्णिमा का रंग
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 8:00 PM IST

झुंझुनू. कोरोना वायरस की महामारी ने हमारे आचार-विचार और व्यवहार में भी परिवर्तन ला दिया है. यही परिवर्तन गुरु पूर्णिमा पर भी देखने को मिला. आमतौर पर मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर विराजमान गुरुओं के पास गुरु पूर्णिमा पर उनके शिष्य मिलने पहुंचते हैं और उनका सम्मान करते हैं. लेकिन इस बार कम ही लोग अपने गुरुओं के दर्शन करने पहुंचे. खुद धार्मिक गुरु भी मानते हैं कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से लोग कम आए हैं.

फिका रहा गुरु पूर्णिमा का रंग

कान में मंत्र फूंकने से भी परहेज

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों के महंत अपने शिष्यों के कान में मंत्र फूंकते हैं. यह उनके शिष्यों लिए इस अवसर पर एक विशेष भेंट रहती है, लेकिन इस बार कोरोनावायरस की वजह से इससे दूरी रखी गई.

पढ़ेंः Covid-19: गुरु पूर्णिमा पर इस बार त्रिवेणी धाम में नहीं हुआ कोई विशेष आयोजन

जिसको गुरु मिल गया वह बन गया महान

दादू द्वार बगड़ के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज ने कहा कि उन्होंने इस अवसर पर वेदव्यास महाराज की पूजा की. हालांकि, इस बार कोरोना की वजह से लोग अपने घरों में रहकर गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं. वहीं, अर्जुन दास महाराज ने कहा कि गुरू ही ईश्वर से मिलाता है. गुरु के बारे में तो जितनी बात की जाए उतनी कम है.

पढ़ेंः पाली: सोशल डिस्टेंस के साथ गुरु चरण वन्दन, जिले भर में धार्मिक आयोजन

अर्जुन दास महाराज ने कहा कि त्रेता युग में भगवान राम को गुरु वशिष्ठ मिले तो वह मर्यादा पुरुषोत्तम हो गए. नरेंद्र को गुरु परमहंस मिले तो वे विवेकानंद हो गए. भगवान श्री कृष्ण को संदीपन ऋषि मिले तो वे पाप का नाश करने वाले बन गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर परमात्मा से यही प्रार्थना है कि इस कोविड-19 की महामारी से दुनिया को जल्दी निजात मिले.

झुंझुनू. कोरोना वायरस की महामारी ने हमारे आचार-विचार और व्यवहार में भी परिवर्तन ला दिया है. यही परिवर्तन गुरु पूर्णिमा पर भी देखने को मिला. आमतौर पर मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर विराजमान गुरुओं के पास गुरु पूर्णिमा पर उनके शिष्य मिलने पहुंचते हैं और उनका सम्मान करते हैं. लेकिन इस बार कम ही लोग अपने गुरुओं के दर्शन करने पहुंचे. खुद धार्मिक गुरु भी मानते हैं कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से लोग कम आए हैं.

फिका रहा गुरु पूर्णिमा का रंग

कान में मंत्र फूंकने से भी परहेज

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंदिरों के महंत अपने शिष्यों के कान में मंत्र फूंकते हैं. यह उनके शिष्यों लिए इस अवसर पर एक विशेष भेंट रहती है, लेकिन इस बार कोरोनावायरस की वजह से इससे दूरी रखी गई.

पढ़ेंः Covid-19: गुरु पूर्णिमा पर इस बार त्रिवेणी धाम में नहीं हुआ कोई विशेष आयोजन

जिसको गुरु मिल गया वह बन गया महान

दादू द्वार बगड़ के महंत स्वामी अर्जुन दास महाराज ने कहा कि उन्होंने इस अवसर पर वेदव्यास महाराज की पूजा की. हालांकि, इस बार कोरोना की वजह से लोग अपने घरों में रहकर गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं. वहीं, अर्जुन दास महाराज ने कहा कि गुरू ही ईश्वर से मिलाता है. गुरु के बारे में तो जितनी बात की जाए उतनी कम है.

पढ़ेंः पाली: सोशल डिस्टेंस के साथ गुरु चरण वन्दन, जिले भर में धार्मिक आयोजन

अर्जुन दास महाराज ने कहा कि त्रेता युग में भगवान राम को गुरु वशिष्ठ मिले तो वह मर्यादा पुरुषोत्तम हो गए. नरेंद्र को गुरु परमहंस मिले तो वे विवेकानंद हो गए. भगवान श्री कृष्ण को संदीपन ऋषि मिले तो वे पाप का नाश करने वाले बन गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर परमात्मा से यही प्रार्थना है कि इस कोविड-19 की महामारी से दुनिया को जल्दी निजात मिले.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.