झुंझुनू. जयपुर की सेंट्रल जेल में बैठा हुआ एक गैंगस्टर नए 'रंगरूटों' की लगातार भर्ती कर रहा है. गैंगस्टर के लिए यह गुर्गे शराब की दुकानों में हिस्सेदारी और हफ्ता वसूली के लिए लगातार फायरिंग कर रहे हैं. बता दें कि लॉकडाउन के बाद जब से शराब की दुकानें खली हैं, उसके बाद से जिले में करीब 10 जगह फायरिंग हो चुकी है. मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. साथ ही बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए हैं.
बता दें कि इनमें सबसे बड़ी बात यह है कि जो लोग पकड़े गए हैं, उनकी सब की उम्र 18 से 30 साल के बीच है. इसके अलावा 2 ऐसे लड़के भी पकड़े गए हैं जो अभी बालिग भी नहीं हुए हैं. इनमें से कई ऐसे भी हैं जो पहली बार अपराध के दलदल में उतरे हैं.
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आका के आदेश की पालना
दरअसल, शेखावाटी में सेना में जाने के क्रेज की वजह से जो नए भर्ती होकर आते हैं, उनको रंगरूट कहा जाता था और अब गैंग में नए आने वाले गुर्गे को भी अपराधी रंगरूट का नाम देते हैं. यह इसलिए कि सेना के रंगरूट के तरह ही नए लड़के भी 18 से 25 साल के बीच के होते हैं. उम्र के इस पड़ाव पर डर लगता नहीं है और ऐसे में बिना सोचे-समझे अपने आका के आदेश की पालना कर देते हैं.
पुलिस खुद मानती है कि इनका आका मनदीप उर्फ मदिया है, जो जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद है. उसी के इशारे पर फायरिंग हुई है और उसी के इशारे पर हथियारों की तस्करी भी चल रही है. झुंझुनू पुलिस नए भर्ती हुए गुर्गों को पकड़ तो रही है, लेकिन उनको भर्ती करने वाले गैंगस्टर पर अभी तक हाथ नहीं डाल पाई है.
इन थाना क्षेत्रों में हुई है फायरिंग
- बग्गड़ थाना क्षेत्र
- नवलगढ़ थाना क्षेत्र
- मुकंदगढ़ थाना क्षेत्र
- सिंहाना थाना क्षेत्र
- पचेरी थाना क्षेत्र
- चेतड़ी थाना क्षेत्र
पुलिस जड़ तक नहीं जा पा रही
बता दें कि ये सभी फायरिंग और हथियार शराब ठेकों में हिस्सेदारी और हफ्ता वसूली के लिए किया गया कारनामा है. क्राइम से जुड़े हुए लोगों की मानें तो जिले में ऐसा कोई शराब का ठेका नहीं है, जिसमें अपराध से जुड़े हुए लोगों ने अपनी हिस्सेदारी नहीं डाल रखी हो. यह फायरिंग तो उन ठेकों पर की गई थी, जिन दुकानों के मालिक हिस्सेदारी से मना कर रहे थे.
झुंझुनू में 100 करोड़ का हर महीने धंधा
जानकारी के अनुसार झुंझुनू जिले में करीब 100 करोड़ रुपए का धंधा हर महीने का होता है. जिले में 270 देसी और 16 अंग्रेजी शराब की दुकानें शामिल है. शराब की दुकानों पर जमकर एमआरपी से ज्यादा पैसा वसूला जाता है और इसलिए मदिया गैंग अपने पर इसमें फंसा रहा है. इसलिए नए रंगरूटों की भर्ती के लिए शराब की दुकानों में जमकर पैसा होने का लालच दिखाया जा रहा है.
शराब दुकानों में हिस्सेदारी डालने का कारण
वहीं, यह माफिया इसलिए भी शराब की दुकानों में अपनी हिस्सेदारी डालते हैं क्योंकि हरियाणा के बॉर्डर से झुंझुनू की बड़ी सीमा जुड़ती है. ऐसे में यह नकली शराब हरियाणा से खरीदते हैं और सीधे ठेकों से ही अपना माल खपा देते हैं. इसमें इनको कई गुना फायदा होता है. जानकारी के अनुसार ठेकों पर दी गई शराबों में से 20 फीसदी से ज्यादा शराब नकली मिलती है, जो इन गैंग की ओर से सप्लाई की जाती है.
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जिला पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मदिया गैंग के लोग 10 से 20 हजार में मध्यप्रदेश से रिवाल्वर खरीदते हैं और यहां पर 40 से 50 हजार रुपए में बेच देते हैं. इसके बाद विक्रय से प्राप्त राशि मनदीप उर्फ मदिया के कहे अनुसार विभिन्न व्यक्तियों और बैंक खातों में जमा करवा दी जाती है. इस समय मदिया का राइट हैंड कहे जाने वाले महिपाल मेघवाल ने बाहर कमान संभाल रखी है, तो खुद मदिया सेंट्रल जेल से ही शराब के धंधे में अपनी हिस्सेदारी का रैकेट संचालित कर रहा है.