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कृषि सलाह: मानसून से पहले किसान करें वर्षा जल संरक्षण की तैयारी - डॉ. दयानंद - Water conservation

जून माह शुरू होते ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल वर्षा का 90 प्रतिशत पानी बेकार जाता है, यदि इसी पानी का संरक्षण किया जाए तो, हमारे देश में जो सिंचाई के लिए पानी की कमी होती है, उसको काफी हद तक पूरा किया जा सकता है.

झुंझुनू हिंदी न्यूज, Rain water conservation
मानसून से पहले किसान करें वर्षा जल संरक्षण की तैयारी
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Published : May 12, 2021, 10:44 PM IST

झुंझुनू. देश में लगातार जल स्तर नीचे जा रहा है. इसका मुख्य कारण पानी का अत्यधिक दोहन है. यदि देखा जाए तो खेतों में सिंचाई में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है. जो यह आने वाले समय में एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आएगा.

लगातार गिरते जल स्तर रोकने के करने होंगे कारगर उपाय

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने बताया कि जिले में भू-जल स्तर का लगातार गिरना एक चिंता जनक विषय है, यदि इसे रोका नहीं गया तो हम भविष्य में पानी को तरस जाएंगे. डॉ. दयानंद ने बताया कि पिछले दो से तीन वर्षों में झुंझुनूं जिले के किसानों ने मूंगफली और कपास की खेती करना शुरू कर दिया है. जिसमें बहुत अधिक जल कि आवश्यकता होती है. जिससे भू-जल स्तर तेजी से घट रहा है. यदि भू-जल के पानी का दोहन रोकना है तो वर्षा जल संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है. साथ ही खरीफ में कम पानी कि मांग वाली फसलें जैसे बाजरा, ग्वार, मूंग और चंवला आदि कि खेती करें.

जल संरक्षण के लिए कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का किसान उठाए लाभ

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दयानंद बताया कि वर्ष जल सरंक्षण के लिए कृषि विभाग कि कई योजनाएं भी हैं, जैसे खेत तलाई, कुण्ड, तालाब आदि. जिन पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी किसानों को दिया जाता है. इसके अलावा वर्षा जल से कुए और ट्यूबवेल को रिचार्ज करना भी गिरते भू-जल स्तर को रोकने का अच्छा तरीका है. कृषि विज्ञान केंद्र पर वर्षा जल संचय कि तीन प्रदर्शन इकाईयां भी स्थापित कि गई है. जिनमें वर्षा जल का भलि भातीं संचय किया जा रहा है. जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

बागवानी फसलों में होती है जल की अधिक खपत

कृषि विज्ञान केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रशीद खान के अनुसार कृषि में सबसे अधिक जल कि खपत बागवानी फसलों को होती है. सिंचाई के उन्नत तकनीक जैसे ड्रिप सिंचाई और सूक्ष्म फ्ंवारा सिंचाई विधि अपनाकर 30-40 प्रतिशत जल कि बचत कि जा सकती है. उद्यान विभाग की ओर से उपरोक्त पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है.

पढ़ें- सौतेली बेटी को हवस का शिकार बनाता था पिता, पुलिस पहुंचने से पहले फांसी पर झूलता मिला

डॉ. खान के अनुसार झुंझुनूं जिले में गिरते भू-जल स्तर के अलावा जल कि गुणवत्ता भी अच्छी नही है, इसी लिए अन्य जिलों कि तुलना में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल कम है. वर्षा जल संरक्षण कि विधियां अपनाकर किसान वर्षा आधारित बागवानी करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

झुंझुनू. देश में लगातार जल स्तर नीचे जा रहा है. इसका मुख्य कारण पानी का अत्यधिक दोहन है. यदि देखा जाए तो खेतों में सिंचाई में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है. जो यह आने वाले समय में एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आएगा.

लगातार गिरते जल स्तर रोकने के करने होंगे कारगर उपाय

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष डॉ. दयानंद ने बताया कि जिले में भू-जल स्तर का लगातार गिरना एक चिंता जनक विषय है, यदि इसे रोका नहीं गया तो हम भविष्य में पानी को तरस जाएंगे. डॉ. दयानंद ने बताया कि पिछले दो से तीन वर्षों में झुंझुनूं जिले के किसानों ने मूंगफली और कपास की खेती करना शुरू कर दिया है. जिसमें बहुत अधिक जल कि आवश्यकता होती है. जिससे भू-जल स्तर तेजी से घट रहा है. यदि भू-जल के पानी का दोहन रोकना है तो वर्षा जल संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है. साथ ही खरीफ में कम पानी कि मांग वाली फसलें जैसे बाजरा, ग्वार, मूंग और चंवला आदि कि खेती करें.

जल संरक्षण के लिए कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं का किसान उठाए लाभ

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दयानंद बताया कि वर्ष जल सरंक्षण के लिए कृषि विभाग कि कई योजनाएं भी हैं, जैसे खेत तलाई, कुण्ड, तालाब आदि. जिन पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी किसानों को दिया जाता है. इसके अलावा वर्षा जल से कुए और ट्यूबवेल को रिचार्ज करना भी गिरते भू-जल स्तर को रोकने का अच्छा तरीका है. कृषि विज्ञान केंद्र पर वर्षा जल संचय कि तीन प्रदर्शन इकाईयां भी स्थापित कि गई है. जिनमें वर्षा जल का भलि भातीं संचय किया जा रहा है. जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

बागवानी फसलों में होती है जल की अधिक खपत

कृषि विज्ञान केंद्र के बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रशीद खान के अनुसार कृषि में सबसे अधिक जल कि खपत बागवानी फसलों को होती है. सिंचाई के उन्नत तकनीक जैसे ड्रिप सिंचाई और सूक्ष्म फ्ंवारा सिंचाई विधि अपनाकर 30-40 प्रतिशत जल कि बचत कि जा सकती है. उद्यान विभाग की ओर से उपरोक्त पर 50-70 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जा रहा है.

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डॉ. खान के अनुसार झुंझुनूं जिले में गिरते भू-जल स्तर के अलावा जल कि गुणवत्ता भी अच्छी नही है, इसी लिए अन्य जिलों कि तुलना में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल कम है. वर्षा जल संरक्षण कि विधियां अपनाकर किसान वर्षा आधारित बागवानी करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं.

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