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विधानसभा उपचुनाव: मंडावा विधानसभा में जाट महिला नेत्रियों के बीच में मुकाबला, जानें जातिय समीकरण

मंडावा विधानसभा उपचुनाव में दो महिला उम्मीदवार आमने-सामने होंगी. कांग्रेस के परम्परागत चेहरे और पूर्व विधायक रीटा चौधरी का मुकाबला कांग्रेस से बीजेपी में आई सुशीला सिंगड़ा से होगा. सत्ताधारी दल कांग्रेस की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दांव पर होगी. ऐसे में यहां से कुल 9 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाएंगे. लेकिन जो कड़ा मुकाबला है वो भाजपा और कांग्रेस की बीच है.

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Published : Oct 8, 2019, 5:15 PM IST

Updated : Oct 14, 2019, 4:36 PM IST

झुंझुनूं. शेखावाटी के तीनों जिलों सीकर चूरू और झुंझुनूं की की सीमाओं पर बसा हुआ मंडावा विधानसभा अपने भित्ति चित्र और हवेलियों के लिए तो विख्यात रहा ही है, लेकिन साथ ही राजनीति में भी बड़े नेता दिए हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री दिए हैं. इसी विधानसभा के विधायक नरेंद्र खिचाड़ के सांसद बन जाने के बाद एक बार फिर विधानसभा के रण में महारथी उतर गए हैं.

मुख्यधारा की सभी पार्टियां वैसे तो जातिवाद को नकारती हैं. लेकिन चुनाव में टिकट भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से ही तय करती हैं. मंडावा विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों ने यहां सबसे ज्यादा मतवाले जाट समुदाय पर भरोसा जताया है और इसके अलावा दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. भाजपा से जहां सुशीला सीगड़ा तो वहीं कांग्रेस से रीटा चौधरी चुनावी रण में है.

मंडावा विधानसभा में जाट महिला नेत्रियों के बीच में मुकाबला, जानें जातिय समीकरण

पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव: मंडावा सीट पर कड़ा मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए तो दूसरी तरफ 10वीं पास

मंडावा विधानसभा में मतदाताओं की संख्या
मंडावा विधानसभा में अगर कुल मतदाताओं की बात की जाए तो 2 लाख 28 हजार 201 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिनमें से 1 लाख 18 हजार 53 पुरुष मतदाता है. तो 1 लाख 10 हजार 48 महिलाएं वोटर है. वहीं 2530 सर्विस वोटर भी हैं.

यह है मंडावा विधानसभा के जातिगत समीकरण
वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती है और ना ही तय आंकड़े होते हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मंडावा विधानसभा में सबसे ज्यादा 75 हजार जाट मतदाता है. अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय दोनों लगभग संख्या में बराबर है और दोनों 40-40 हजार वोटों का आंकड़ा अपने पास रखते हैं. इसके बाद राजपूत 18000, माली व गुर्जर 7500 जांगिड़ 7500, कुम्हार 5500, मीणा जाति के 8000 और अन्य10000 मतदाता मंडावा विधानसभा में निवास करते हैं.

पढ़ें- हनुमान बेनीवाल ने हर बार दादागिरी से जीता चुनाव, इस बार पता चलेगा मुकाबला क्या होता है : हरेंद्र मिर्धा

जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर
जाट समुदाय को परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर माना जाता रहा है. लेकिन गत कई सालों से इस में बिखराव की स्थिति नजर आती है. अभी दोनों ही पार्टियों ने जाट समुदाय की महिला नेत्री पर भरोसा जताया है और ऐसे में तय है कि यह समुदाय किसी एक पार्टी के साथ नहीं जाएगा और इसमें बिखराव की स्थिति होगी. वहीं यदि इसके अलावा मुस्लिम समाज जरूर कांग्रेस के पक्ष में पहले भी रहा है और अब भी नजर आता है. लेकिन मूल ओबीसी के वोट भाजपा की तरफ जाते नजर आते हैं. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि जातिगत समीकरणों के हिसाब से किसी पार्टी का पलड़ा भारी है.

झुंझुनूं. शेखावाटी के तीनों जिलों सीकर चूरू और झुंझुनूं की की सीमाओं पर बसा हुआ मंडावा विधानसभा अपने भित्ति चित्र और हवेलियों के लिए तो विख्यात रहा ही है, लेकिन साथ ही राजनीति में भी बड़े नेता दिए हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री दिए हैं. इसी विधानसभा के विधायक नरेंद्र खिचाड़ के सांसद बन जाने के बाद एक बार फिर विधानसभा के रण में महारथी उतर गए हैं.

मुख्यधारा की सभी पार्टियां वैसे तो जातिवाद को नकारती हैं. लेकिन चुनाव में टिकट भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से ही तय करती हैं. मंडावा विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों ने यहां सबसे ज्यादा मतवाले जाट समुदाय पर भरोसा जताया है और इसके अलावा दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. भाजपा से जहां सुशीला सीगड़ा तो वहीं कांग्रेस से रीटा चौधरी चुनावी रण में है.

मंडावा विधानसभा में जाट महिला नेत्रियों के बीच में मुकाबला, जानें जातिय समीकरण

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मंडावा विधानसभा में मतदाताओं की संख्या
मंडावा विधानसभा में अगर कुल मतदाताओं की बात की जाए तो 2 लाख 28 हजार 201 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. जिनमें से 1 लाख 18 हजार 53 पुरुष मतदाता है. तो 1 लाख 10 हजार 48 महिलाएं वोटर है. वहीं 2530 सर्विस वोटर भी हैं.

यह है मंडावा विधानसभा के जातिगत समीकरण
वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती है और ना ही तय आंकड़े होते हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मंडावा विधानसभा में सबसे ज्यादा 75 हजार जाट मतदाता है. अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय दोनों लगभग संख्या में बराबर है और दोनों 40-40 हजार वोटों का आंकड़ा अपने पास रखते हैं. इसके बाद राजपूत 18000, माली व गुर्जर 7500 जांगिड़ 7500, कुम्हार 5500, मीणा जाति के 8000 और अन्य10000 मतदाता मंडावा विधानसभा में निवास करते हैं.

पढ़ें- हनुमान बेनीवाल ने हर बार दादागिरी से जीता चुनाव, इस बार पता चलेगा मुकाबला क्या होता है : हरेंद्र मिर्धा

जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर
जाट समुदाय को परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर माना जाता रहा है. लेकिन गत कई सालों से इस में बिखराव की स्थिति नजर आती है. अभी दोनों ही पार्टियों ने जाट समुदाय की महिला नेत्री पर भरोसा जताया है और ऐसे में तय है कि यह समुदाय किसी एक पार्टी के साथ नहीं जाएगा और इसमें बिखराव की स्थिति होगी. वहीं यदि इसके अलावा मुस्लिम समाज जरूर कांग्रेस के पक्ष में पहले भी रहा है और अब भी नजर आता है. लेकिन मूल ओबीसी के वोट भाजपा की तरफ जाते नजर आते हैं. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि जातिगत समीकरणों के हिसाब से किसी पार्टी का पलड़ा भारी है.

Intro:मुख्यधारा की सभी पार्टियां वैसे तो जातिवाद को नकारती हैं लेकिन चुनाव में टिकट भी जातिगत समीकरणों के हिसाब से ही तय करती हैं। मंडावा विधानसभा उपचुनाव में दोनों ही पार्टियों ने यहां सबसे ज्यादा मतवाले जाट समुदाय पर भरोसा जताया है और इसके अलावा दोनों ही पार्टियों ने महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।


Body:झुंझुनू। शेखावाटी के तीनों जिलों सीकर चूरू और झुंझुनूं की की सीमाओं पर बसा हुआ मंडावा विधानसभा अपने भित्ति चित्र और हवेलियों के लिए तो विख्यात रहा ही है लेकिन साथ ही राजनीति में भी बड़े नेता दिए है। इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष व मंत्री दिए हैं। इसी विधानसभा के विधायक नरेंद्र खिचार के सांसद बन जाने के बाद एक बार फिर विधानसभा के रण में महारथी उतर गए हैं। मंडावा विधानसभा में 118053 पुरुष व 110148 महिलाऐ, 2530 सर्विस वोटर सहित 228201 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग इस चुनाव में
कर सकेंगे।

यह है मंडावा विधानसभा के जातिगत समीकरण
वैसे तो कोई जातिगत जनगणना नहीं होती है और ना ही तय आंकड़े होते हैं लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार मंडावा विधानसभा में सबसे ज्यादा 75 हजार जाट मतदाता है। अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय दोनों लगभग संख्या में बराबर है और दोनों 40-40 हजार वोटों का आंकड़ा अपने पास रखते हैं। इसके बाद राजपूत 18000, माली व गुर्जर 7500 जांगिड़ यानी खाती 7500 ,कुम्हार 5500, मीणा जाति के 8000 तथा नट सांसी भोपा बावरिया गवारिया लोहार भांड़ लगभग 10000 मतदाता मंडावा विधानसभा में निवास करते हैं।

जाट परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर
जाट समुदाय को परंपरागत रूप से कांग्रेस का वोटर माना जाता रहा है लेकिन गत कई सालों से इस में बिखराव की स्थिति नजर आती है। अभी दोनों ही पार्टियों ने जाट समुदाय की महिला नेत्री पर भरोसा जताया है और ऐसे में तय है कि यह समुदाय किसी एक पार्टी के साथ नहीं जाएगा और इसमें बिखराव की स्थिति होगी। वहीं यदि इसके अलावा मुस्लिम समाज जरूर कांग्रेस के पक्ष में पहले भी रहा है और अब भी नजर आता है लेकिन मूल ओबीसी के वोट भाजपा की तरफ जाते नजर आते हैं। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि जातिगत समीकरणों के हिसाब से किसी पार्टी का पलड़ा भारी है। आज की स्थिति में मंडावा विधानसभा में कोई भी जाति किसी विशेष पार्टी की ओर एक तरफा जाने की स्थिति में नहीं है। यहां तक कि मुस्लिम समुदाय को भी पूरी तरफ से कांग्रेस की तरफ नहीं माना जा सकता है क्योंकि यहां के प्रमुख शहर बिसाऊ की नगर पालिका के चेयरमैन भाजपा से हनीफ खत्री हैं और वे निश्चित ही मुस्लिम समुदाय के लोगों को भाजपा की ओर जोड़ने का प्रयास करेंगे। बताया जाता है कि गत विधानसभा चुनाव में भी बिसाऊ कस्बे के मुस्लिम बड़ी संख्या में भाजपा के साथ गए थे और यही कारण रहा था की भाजपा से नरेंद्र खीचड़ को बिसाऊ से जीत मिली थी।


बाइट विजेंद्र मेहता वरिष्ठ पत्रकार



Conclusion:
Last Updated : Oct 14, 2019, 4:36 PM IST
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