खेतड़ी (झुंझुनू). वन्य अभ्यारण के पेड़ पर बने घोंसले में पीले रंग की बया प्रजाति की पक्षियां चिरानी नर्सरी के पास जंगली क्षेत्र में खूब चहक रही हैं. इस प्रजाति की पक्षियों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वन विभाग के रेंजर विजय फगेडिया ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. फगेडिया ने बताया कि यह पक्षी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते है. लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में यह प्रजाति कई साल पहले लुप्त हो गई थी. इस पक्षी को बारिश का पूर्वानुमान होता है. इसके साथ ही कई अन्य प्रवासी पशु-पक्षी भी वन्य अभ्यारण की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
नर बया घोसला बनाकर बसा लेते हैं परिवार
पीले रंग का बया पक्षी एक नर प्रजाति का होता है. जो अक्सर घोसला बनाकर भूरे रंग की मादा बया पक्षी को प्रजनन के लिए आकर्षित करता है. मादा चिड़िया आधा घोसला बन जाने के बाद नर के घोसले का निरीक्षण करती है और यह सुनिश्चित करती है की यह घोसला मेरे और मेरे परिवार के लिए उपयुक्त होगा या नहीं. इसके बाद वह नर के साथ घोंसले में रहने का आमंत्रण स्वीकार करती है.
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रोशनी में रहना करते हैं पसंद
साथ ही रेंजर ने बताया कि यह पक्षी रोशनी में रहना पसंद करते हैं. जब यह घोसला बुनते हैं तो नदी या तालाब के पास से गीली मिट्टी लाकर घोसले में रख देते हैं. तुरंत ही कहीं से जुगनू लाकर उसमें चिपका देते हैं. इससे उनका घोंसला रात में भी रोशन रहता है. बया पक्षी एक शानदार और सुंदर घोसला तैयार करता है. यह एक ही पेड़ पर सैकड़ों घोसले बनाकर वहां रहते हैं. हर साल यह अपना घोसला बदलते रहते हैं. साथ ही उनकी मीठी और मधुर, चाहकती आवाज से लोग काफी खुश और प्रभावित होते हैं.
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वन विभाग को प्रवासी पशु पक्षियों के लिए बनाना चाहिए अनुकूल माहौल
खेतड़ी में बन रहे बांशियाल कंजर्वेशन वन्य अभ्यारण में अब कई पशु पक्षी, बाघ आदि छोड़े जाएंगे. साथ ही बदलते मौसम के साथ कई प्रवासी पशु-पक्षी भी यहां पर अपना डेरा डालेंगे. इसके लिए वन्य अभ्यारण को जल्द ही पेड़ पौधे पानी आदि की व्यवस्था कर एक विशेष अभियान चलाकर अनुकूल माहौल तैयार करना होगा. जिससे कई वन्यजीव आकर यहां पर रहना पसंद करेंगे. रियासत काल में जहां खेतड़ी को प्रिंसली स्टेट का दर्जा मिला हुआ था. वहीं इस रियासत की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी, लेकिन गुमनामी के अंधेरे में इस सियासत का नाम धीरे-धीरे धूमिल हो गया था. लेकिन अब खेतड़ी के खोए दिन वापस लौट सकते हैं. वन्य अभ्यारण, पन्ना सागर तालाब, अजीत विवेक संग्रहालय, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड जैसी राष्ट्रीय धरोहर को देखने के लिए सैलानी आने लगेंगे. इससे सालों पहले की खोई हुई पहचान एक बार पुनर्जीवित हो सकती है.