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स्‍पेशल रिपोर्ट: दुनिया का सबसे खूबसूरत घोंसला बनाकर रहने वाले 'बया' पक्षी की लुप्त होती प्रजाति

पर्यावरण संरक्षण करने के लिए खेतड़ी में बन रहे वन्य अभ्यारण में इन दिनों कई दशकों पहले प्राय लुप्त हो गई 'बया' प्रजाति की पक्षियां खूब चहक रही हैं. चाहे खेतड़ी का वन्य अभ्यारण हो या भोपालगढ़ की तलहटी अथवा फिर जसरापूर का जोहड़, बया परिवार की पक्षियां पेड़ों पर सैकड़ों घोसले बनाकर अपनी मीठी और मधुर आवाज से पूरे क्षेत्र को खुशनुमा बना रही है.

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Published : Aug 29, 2019, 8:42 AM IST

Updated : Aug 29, 2019, 10:48 AM IST

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खेतड़ी (झुंझुनू). वन्य अभ्यारण के पेड़ पर बने घोंसले में पीले रंग की बया प्रजाति की पक्षियां चिरानी नर्सरी के पास जंगली क्षेत्र में खूब चहक रही हैं. इस प्रजाति की पक्षियों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वन विभाग के रेंजर विजय फगेडिया ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. फगेडिया ने बताया कि यह पक्षी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते है. लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में यह प्रजाति कई साल पहले लुप्त हो गई थी. इस पक्षी को बारिश का पूर्वानुमान होता है. इसके साथ ही कई अन्य प्रवासी पशु-पक्षी भी वन्य अभ्यारण की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

खेतड़ी के अभ्यारण में लौटी 'बया' चिड़िया

नर बया घोसला बनाकर बसा लेते हैं परिवार

पीले रंग का बया पक्षी एक नर प्रजाति का होता है. जो अक्सर घोसला बनाकर भूरे रंग की मादा बया पक्षी को प्रजनन के लिए आकर्षित करता है. मादा चिड़िया आधा घोसला बन जाने के बाद नर के घोसले का निरीक्षण करती है और यह सुनिश्चित करती है की यह घोसला मेरे और मेरे परिवार के लिए उपयुक्त होगा या नहीं. इसके बाद वह नर के साथ घोंसले में रहने का आमंत्रण स्वीकार करती है.

यह भी पढ़ेंः गांधी की नजरों में क्या था आजादी का मतलब ?

रोशनी में रहना करते हैं पसंद

साथ ही रेंजर ने बताया कि यह पक्षी रोशनी में रहना पसंद करते हैं. जब यह घोसला बुनते हैं तो नदी या तालाब के पास से गीली मिट्टी लाकर घोसले में रख देते हैं. तुरंत ही कहीं से जुगनू लाकर उसमें चिपका देते हैं. इससे उनका घोंसला रात में भी रोशन रहता है. बया पक्षी एक शानदार और सुंदर घोसला तैयार करता है. यह एक ही पेड़ पर सैकड़ों घोसले बनाकर वहां रहते हैं. हर साल यह अपना घोसला बदलते रहते हैं. साथ ही उनकी मीठी और मधुर, चाहकती आवाज से लोग काफी खुश और प्रभावित होते हैं.

यह भी पढ़ेंः Dhyan Chand Birth Anniversary: हॉकी के जादूगर 'ध्यानचंद' का कुछ यूं पड़ा था नाम, मिले थे ये पुरस्कार

वन विभाग को प्रवासी पशु पक्षियों के लिए बनाना चाहिए अनुकूल माहौल

खेतड़ी में बन रहे बांशियाल कंजर्वेशन वन्य अभ्यारण में अब कई पशु पक्षी, बाघ आदि छोड़े जाएंगे. साथ ही बदलते मौसम के साथ कई प्रवासी पशु-पक्षी भी यहां पर अपना डेरा डालेंगे. इसके लिए वन्य अभ्यारण को जल्द ही पेड़ पौधे पानी आदि की व्यवस्था कर एक विशेष अभियान चलाकर अनुकूल माहौल तैयार करना होगा. जिससे कई वन्यजीव आकर यहां पर रहना पसंद करेंगे. रियासत काल में जहां खेतड़ी को प्रिंसली स्टेट का दर्जा मिला हुआ था. वहीं इस रियासत की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी, लेकिन गुमनामी के अंधेरे में इस सियासत का नाम धीरे-धीरे धूमिल हो गया था. लेकिन अब खेतड़ी के खोए दिन वापस लौट सकते हैं. वन्य अभ्यारण, पन्ना सागर तालाब, अजीत विवेक संग्रहालय, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड जैसी राष्ट्रीय धरोहर को देखने के लिए सैलानी आने लगेंगे. इससे सालों पहले की खोई हुई पहचान एक बार पुनर्जीवित हो सकती है.

खेतड़ी (झुंझुनू). वन्य अभ्यारण के पेड़ पर बने घोंसले में पीले रंग की बया प्रजाति की पक्षियां चिरानी नर्सरी के पास जंगली क्षेत्र में खूब चहक रही हैं. इस प्रजाति की पक्षियों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वन विभाग के रेंजर विजय फगेडिया ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे. फगेडिया ने बताया कि यह पक्षी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते है. लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में यह प्रजाति कई साल पहले लुप्त हो गई थी. इस पक्षी को बारिश का पूर्वानुमान होता है. इसके साथ ही कई अन्य प्रवासी पशु-पक्षी भी वन्य अभ्यारण की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

खेतड़ी के अभ्यारण में लौटी 'बया' चिड़िया

नर बया घोसला बनाकर बसा लेते हैं परिवार

पीले रंग का बया पक्षी एक नर प्रजाति का होता है. जो अक्सर घोसला बनाकर भूरे रंग की मादा बया पक्षी को प्रजनन के लिए आकर्षित करता है. मादा चिड़िया आधा घोसला बन जाने के बाद नर के घोसले का निरीक्षण करती है और यह सुनिश्चित करती है की यह घोसला मेरे और मेरे परिवार के लिए उपयुक्त होगा या नहीं. इसके बाद वह नर के साथ घोंसले में रहने का आमंत्रण स्वीकार करती है.

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रोशनी में रहना करते हैं पसंद

साथ ही रेंजर ने बताया कि यह पक्षी रोशनी में रहना पसंद करते हैं. जब यह घोसला बुनते हैं तो नदी या तालाब के पास से गीली मिट्टी लाकर घोसले में रख देते हैं. तुरंत ही कहीं से जुगनू लाकर उसमें चिपका देते हैं. इससे उनका घोंसला रात में भी रोशन रहता है. बया पक्षी एक शानदार और सुंदर घोसला तैयार करता है. यह एक ही पेड़ पर सैकड़ों घोसले बनाकर वहां रहते हैं. हर साल यह अपना घोसला बदलते रहते हैं. साथ ही उनकी मीठी और मधुर, चाहकती आवाज से लोग काफी खुश और प्रभावित होते हैं.

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वन विभाग को प्रवासी पशु पक्षियों के लिए बनाना चाहिए अनुकूल माहौल

खेतड़ी में बन रहे बांशियाल कंजर्वेशन वन्य अभ्यारण में अब कई पशु पक्षी, बाघ आदि छोड़े जाएंगे. साथ ही बदलते मौसम के साथ कई प्रवासी पशु-पक्षी भी यहां पर अपना डेरा डालेंगे. इसके लिए वन्य अभ्यारण को जल्द ही पेड़ पौधे पानी आदि की व्यवस्था कर एक विशेष अभियान चलाकर अनुकूल माहौल तैयार करना होगा. जिससे कई वन्यजीव आकर यहां पर रहना पसंद करेंगे. रियासत काल में जहां खेतड़ी को प्रिंसली स्टेट का दर्जा मिला हुआ था. वहीं इस रियासत की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी, लेकिन गुमनामी के अंधेरे में इस सियासत का नाम धीरे-धीरे धूमिल हो गया था. लेकिन अब खेतड़ी के खोए दिन वापस लौट सकते हैं. वन्य अभ्यारण, पन्ना सागर तालाब, अजीत विवेक संग्रहालय, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड जैसी राष्ट्रीय धरोहर को देखने के लिए सैलानी आने लगेंगे. इससे सालों पहले की खोई हुई पहचान एक बार पुनर्जीवित हो सकती है.

Intro:Body:लुप्त होती बया प्रजाति की चिडिय़ा घोंसला बनाकर चहक रही है खेतड़ी में

खेतड़ी/झुंझुनूं - पर्यावरण संरक्षण करने के लिए खेतड़ी में बन रहे वन्य अभ्यारण में इन दिनों कई दशकों पहले प्राय लुप्त हो गई बया प्रजाति की चिडिय़ा खूब चहक रही है। चाहे खेतड़ी का वन्य अभ्यारण हो या भोपालगढ़ की तलहटी या फिर जसरापूर का जोहड़, बया परिवार की चिडिय़ा पेड़ों पर अपने सैकड़ों घोसले बनाकर अपनी मीठी और मधुर आवाज से पूरे क्षेत्र को खुशनुमा बना रही है। पेड़ पर बने घोंसले में पीले रंग की बया प्रजाति की चिडिय़ा चिरानी नर्सरी के पास जंगली क्षेत्र में खूब चहक रही है। इस प्रजाति की चिडिय़ा के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वन विभाग के रेंजर विजय फगेडिय़ा ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे। फगेडिय़ा ने बताया कि यह पक्षी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में पाया जाता है लेकिन शेखावाटी क्षेत्र में यह प्रजाति कई वर्षों पूर्व प्राय: लुप्त हो गई थी लेकिन खेतड़ी में बने रहे विशाल वन्य अभ्यारण के चलते बरसात के मौसम में यह प्रजाति फिर से अपना घोंसला बनाकर यहां रहने को आतुर है। इस पक्षी को बारिश का पूर्वानुमान होता है। साथ ही कई अन्य प्रवासी पशु-पक्षी भी वन्य अभ्यारण की ओर आकर्षित हो रहे हैं पीले रंग की बया पक्षी एक नर प्रजाति होती है जो अक्सर घोसला बनाकर भूरे रंग की मादा बया चिडिय़ा को प्रजनन के लिए आकर्षित करती है। मादा चिडिय़ा आधा घोसला बन जाने के बाद नर के घोसले का निरीक्षण करती है और यह सुनिश्चित करती है कि यह घोसला मेरे और मेरे परिवार के लिए उपयुक्त होगा या नहीं। तत्पश्चात वह नर के साथ घोसले में रहने का आमंत्रण स्वीकार करती है। साथ ही रेंजर ने बताया कि यह पक्षी रोशनी में रहना पसंद करते हैं जब यह घोसला बुनते हैं तो नदी या तालाब के पास से गीली मिट्टी लाकर घोसले में रख देते हैं और तुरंत ही कहीं से जुगनू लाकर उसमें चिपका देते हैं जिससे उनका घोंसला रात में भी रोशन रहता है। बया पक्षी एक शानदार और सुंदर घोसला तैयार करता है यह एक ही पेड़ पर सैकड़ों घोसले बनाकर वहां रहते हैं हर वर्ष यह अपना घोसला बदलते रहते हैं साथ ही उनकी मीठी और मधुर, चाहकती आवाज से लोग काफी खुश और प्रभावित होते हैं।

वन विभाग को प्रवासी पशु पक्षियों के लिए बनाना चाहिए अनुकूल माहौल
खेतड़ी में बन रहे बांशियाल कंजर्वेशन वन्य अभ्यारण में अब कई पशु पक्षी, बाघ आदि छोड़े जाएंगे। साथ ही बदलते मौसम के साथ कई प्रवासी पशु-पक्षी भी यहां पर अपना डेरा डालेंगे। इसके लिए वन्य अभ्यारण को जल्द ही पेड़ पौधे पानी आदि की व्यवस्था कर कर एक विशेष अभियान चलाकर अनुकूल माहौल तैयार करना होगा। जिससे कई वन्यजीव आकर यहां पर रहना पसंद करेंगे।

वर्षों पूर्व खोई पहचान को वापस पुनर्जीवित कर सकता है खेतड़ी अभ्यारण
रियासत काल में जहां खेतड़ी को प्रिंसली स्टेट का दर्जा मिला हुआ था। वहीं इस रियासत की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी लेकिन गुमनामी के अंधेरे में इस सियासत का नाम धीरे धीरे धूमिल हो गया था। लेकिन अब खेतड़ी के खोए दिन वापस लौट सकते हैं वन्य अभ्यारण, पन्ना सागर तालाब ,अजीत विवेक संग्रहालय, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड जैसी राष्ट्रीय धरोहर व उपक्रम को देखने के लिए सैलानी आने लगेंगे और वर्षों पूर्व खेतड़ी की खोई हुई पहचान एक बार पुनर्जीवित हो सकती है।

बाइट - विजय फगेडिय़ा, रेंजर वन विभाग खेतड़ी

खेतड़ी से हर्ष स्वामी की रिपोर्ट

नोट - इस स्टोरी में वॉइस डेस्क से करवाने की कृपा करें


Conclusion:
Last Updated : Aug 29, 2019, 10:48 AM IST
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