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गांवां री सरकार: जिला परिषद ने 160 से अधिक पूर्व सरपंचों की फाइलें खोली - jhunjhnu news

जिले में सरपंचों का चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. इसमें नवलगढ़ को छोड़कर सभी पंचायत समितियों में आने वाली ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित हो चुके हैं. लेकिन अगर चुनाव मई-जून में हुए तो दोषी सरपंचों को बहुत भारी पड़ सकता है.

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168 पूर्व सरपंचों की फाईलें खुली...
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Published : Jan 14, 2020, 12:22 PM IST

झुंझुनू. वर्तमान में जिले के जिन 168 ग्राम पंचायतों के आरक्षण की स्थिति वर्तमान सरपंचों के अनुकूल है. और फिर से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान कार्यकाल के कारनामें उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं. वहीं जिले के वर्तमान सरपंच यदि दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो सबसे पहले इनको वर्ष 2018 तक की ऑडिट रिकवरी जमा करवानी पड़ेगी.

168 पूर्व सरपंचों की फाईलें खुली...

वहीं अगर इसके अलावा भी सरपंच चुन लिए जाते हैं तो इनके द्वारा पिछले 5 सालों के दौरान निजी खातेदारी, भूमि, जोहड़, पायतन और चारागाह जैसी प्रतिबंधित भूमि पर अतिक्रमण को फायदा देने के लिए पंचायत कोष से सीसी सड़कें, नलकूप, टंकी, पाइप लाइन आदि का काम करवा कर सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच जिला परिषद स्तर पर लंबित है. यह जांच पूरी होने पर दोषी सरपंचों का आगामी कार्यकाल पूरा करना मुश्किल हो जाएगा, हालांकि वे अभी चुनाव लड़ सकते हैं.

पढ़ें: CM पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करना चाहते हैं : सतीश पूनिया

3 माह में जांच पूरी होने की संभावना...

बता दें कि संभावना यह है कि सरपंच चुनाव से पहले जांच पूरी न करने के लिए प्रयासरत है. लेकिन जिला परिषद के अनुसार यह जांच अभियान के रूप में आगामी 3 माह में पूरी कर ली जाएगी. वहीं यदि दोबारा से निर्वाचित सरपंच सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए दोषी पाएं जाते हैं तो सरकार द्वारा इन्हें अयोग्य घोषित कर पद से बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी.

वहीं संभव है कि निर्वाचित हो जाने के बाद राजनीतिक प्रभाव से उनकी योग्यता के निर्णय में देरी करवा दें परंतु विरोधी पक्ष यदि पीछा करेगा तो निश्चित ही 5 साल तक इनको सरपंची करना मुश्किल हो जाएगा.इस बीच 168 ग्राम पंचायतों के सरपंचों की फाइल भी जिला परिषद ने खोल दी है. वहीं जांच लंबित होने की वजह से सरपंच दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं.

झुंझुनू. वर्तमान में जिले के जिन 168 ग्राम पंचायतों के आरक्षण की स्थिति वर्तमान सरपंचों के अनुकूल है. और फिर से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन वर्तमान कार्यकाल के कारनामें उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं. वहीं जिले के वर्तमान सरपंच यदि दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो सबसे पहले इनको वर्ष 2018 तक की ऑडिट रिकवरी जमा करवानी पड़ेगी.

168 पूर्व सरपंचों की फाईलें खुली...

वहीं अगर इसके अलावा भी सरपंच चुन लिए जाते हैं तो इनके द्वारा पिछले 5 सालों के दौरान निजी खातेदारी, भूमि, जोहड़, पायतन और चारागाह जैसी प्रतिबंधित भूमि पर अतिक्रमण को फायदा देने के लिए पंचायत कोष से सीसी सड़कें, नलकूप, टंकी, पाइप लाइन आदि का काम करवा कर सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच जिला परिषद स्तर पर लंबित है. यह जांच पूरी होने पर दोषी सरपंचों का आगामी कार्यकाल पूरा करना मुश्किल हो जाएगा, हालांकि वे अभी चुनाव लड़ सकते हैं.

पढ़ें: CM पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करना चाहते हैं : सतीश पूनिया

3 माह में जांच पूरी होने की संभावना...

बता दें कि संभावना यह है कि सरपंच चुनाव से पहले जांच पूरी न करने के लिए प्रयासरत है. लेकिन जिला परिषद के अनुसार यह जांच अभियान के रूप में आगामी 3 माह में पूरी कर ली जाएगी. वहीं यदि दोबारा से निर्वाचित सरपंच सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए दोषी पाएं जाते हैं तो सरकार द्वारा इन्हें अयोग्य घोषित कर पद से बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी.

वहीं संभव है कि निर्वाचित हो जाने के बाद राजनीतिक प्रभाव से उनकी योग्यता के निर्णय में देरी करवा दें परंतु विरोधी पक्ष यदि पीछा करेगा तो निश्चित ही 5 साल तक इनको सरपंची करना मुश्किल हो जाएगा.इस बीच 168 ग्राम पंचायतों के सरपंचों की फाइल भी जिला परिषद ने खोल दी है. वहीं जांच लंबित होने की वजह से सरपंच दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं.

Intro:जिले में सरपंचों का चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसमें पहले तो नवलगढ़ को छोड़कर सभी पंचायत समितियों में आने वाली ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित हो चुके हैं, इस बीच 168 ग्राम पंचायतों के सरपंचों की फाइल भी जिला परिषद ने खोल दी है। अभी जांच लंबित होने की वजह से यह सरपंच दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन यदि चुनाव मई-जून में हुए तो दोषी सरपंचों को यह बहुत भारी पड़ सकता है।




Body:झुंझुनू। वर्तमान में जिले में जिन 168 ग्राम पंचायतों के आरक्षण की स्थिति वर्तमान सरपंचों के अनुकूल है तथा फिर से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं लेकिन वर्तमान कार्यकाल के कारनामे उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं। जिले में वर्तमान सरपंच यदि दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो सबसे पहले इनको वर्ष 2018 तक की ऑडिट रिकवरी जमा करवानी होगी । इसके उपरांत भी सरपंच चुन लिए जाते हैं तो इनके द्वारा पिछले 5 सालों के दौरान निजी खातेदारी, भूमि, जोहड़, पायतन व चारागाह जैसी प्रतिबंधित भूमि पर अतिक्रमण को फायदा देने के लिए पंचायत कोष से सीसी सड़कें, नलकूप, टंकी, पाइप लाइन आदि का काम करवा कर सरकारी धन के दुरुपयोग की जांच जिला परिषद स्तर पर लंबित है। यह जांच पूरी होने पर दोषी सरपंचों का आगामी कार्यकाल पूरा करना मुश्किल हो जाएगा, हालांकि वे अभी चुनाव जरूर लड़ सकते हैं।


3 माह में जांच पूरी होने की संभावना
संभावना यह सरपंच चुनाव से पहले जांच पूरी न करने के लिए प्रयासरत है परंतु जिला परिषद के अनुसार यह जांच अभियान के रूप में आगामी 3 माह में पूर्ण कर ली जाएगी। यदि दोबारा से निर्वाचित सरपंच सरकारी धन के दुरुपयोग के लिए दोषी पाए जाते हैं तो सरकार द्वारा इन्हें अयोग्य घोषित कर पद से बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाएगी। संभव है कि निर्वाचित हो जाने के बाद राजनीतिक प्रभाव डालकर योग्यता के निर्णय में देरी करवा दें परंतु विरोधी पक्ष यदि पीछा करेगा तो निश्चित ही 5 साल तक इनके सरपंची करनी मुश्किल हो जाएगी।


बाइट रामनिवास जाट मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद


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