झुंझुनू. जिले में पिछले 5 वर्षों के दौरान करवाए गए विकास कार्यों पर हुए 700 करोड़ रुपए के खर्च में, एक तिहाई खर्चा बेहद कम जनउपयोगी कार्यों पर करने का मामला सामने आया है. ये कार्य पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से करवाए गए. इसी के चलते भविष्य में करवाए जाने वाले कार्यों के लिए जिला परिषद की ओर से जिले के संदर्भ में कार्यों की जन उपयोगिता के मापदंड तय कर दिए गए हैं.
5 वर्षों के दौरान जिले में सांसद मद से 23 करोड़ रुपए, विधायकों मद से 62 करोड़, 304 करोड़ केंद्रीय वित्त आयोग से, 237 करोड़ राज्य वित्त आयोग से, करीब 60 करोड़ गुरु गोवलर जन संभागीय पंचायत, सशक्तिकरण नाबार्ड, वित्त पोषण आदि योजनाओं से खर्च किए गए हैं. अभी तक ग्राम पंचायत स्तर पर गाइडलाइन की जानकारी नहीं पहुंचने और प्रभावशाली लोगों के प्रभाव में आकर बहुत से ऐसे कार्य करवा दिए गए है. जैसे कि पंचायतों की ओर से निजी भूमि या जोहड़, शमशान, चारागाह, रास्तों आदि की प्रतिबंधित भूमि पर सरकारी धन से सड़क, नलकूप, टंकी, पाइप लाइन आदि कार्य करवाए गए.
वहीं अब जिला परिषद की नई गाइडलाइन के अनुसार सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण से विकसित बस्तियों के लिए सड़क, पाइप लाइन, नलकूप और पेयजल योजना पर किया गया खर्च, दुरुपयोग की श्रेणी में माना जाएगा. साथ ही खातेदारी कृषि भूमि और विकसित की गई बस्तियों के लिए भी इस प्रकार की सुविधाएं सरकारी खर्च पर उपलब्ध नहीं होंगी. चालू रास्ते पर सड़क बनाने से पहले खातेदारों से लिखित सहमति या समर्पण पत्र लेना होगा. इसी तरह निजी भूमि का समर्पण करते हुए, कुछ परिवारों के लिए सरकारी खर्चे पर नलकूप बनाए जाने को भी अनियमितता की श्रेणी में माना गया है.
जिला परिषद की ओर से जारी निर्देशों में कार्यों के जन उपयोगी होने के कुछ मापदंड निर्धारित किए गए हैं. कार्यकारी एजेंसी या ग्राम पंचायत के लिए अनिवार्य होगा कि कार्य स्वीकृत करवाने से पूर्व, प्रस्तावित कार्यस्थल की तीन साइड की फोटो लगाने होगी. साथ ही कार्य पूर्ण होने के उपरांत भी इसी प्रकार की फोटो लगाए जाने के बाद ही अंतिम भुगतान किया जा सकेगा. अगर किसी कार्य के करवाने से जनता की समस्या का हल नहीं होता है, या कार्य आमजन के लिए उपयोगी नहीं पाया जाता है, तो ऐसे कार्य पर हुआ खर्च निष्फल माना जाएगा. इन आदेशों की सख्ती से पालना होने पर गांव के आम रास्तों और कमजोर तबके की बस्तियों में कीचड़ की समस्या से निजात मिल सकती है. साथ ही प्रभावशाली लोगों के लिए सरकारी धन के दुरुपयोग पर लगाम लगाई जा सकती है.