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स्पेशल: कोरोना से जंग जीत अब दूसरों के लिए आगे आए ये कर्मवीर

झुंझनू में कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे हैं. जिससे लोगों को इलाज में मदद मिल सके. प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना इलाज में मदद मिलने और इसे डोनेट करने पर कोई खतरा नहीं होने की जानकारी पर लोग यहां पहुंच कर अपना प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं.

Treatment with plasma therapy, Plasma donation, Jhunjhunu News
झुंझुनू में प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच रहे लोग
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Published : Aug 10, 2020, 10:53 PM IST

झुंझुनू. कोरोना पॉजिटिव हुए लोगों ने अपनी विल पावर और चिकित्सकों की सहायता से इसे मात दी. जिसके बाद अब ये लोग अपने प्लाज्मा के जरिए दूसरे लोगों की जान बचाने का कार्य कर रहे हैं. आम तौर पर लोगों के बीच कोविड-19 को लेकर डर और भय का माहौल रहता है. ऐसे में प्लाज्मा डोनेट करना, लोगों के लिए खासा चिंता का विषय है.

प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच रहे लोग

लेकिन इंसान वही है जो दूसरों की पीड़ा में उनके काम आए. जिसका उदाहरण आपको झुंझनू में देखने को मिलेगा. कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोग दूसरे शहरों से आकर यहां अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे हैं, जिससे संक्रमित लोगों के इलाज में मदद मिल सके.

'लगा जैसे दुनिया खत्म होने जा रही है'...

कोरोना पॉजिटिव होने के दौरान लोगों को लगा था कि जैसे दुनिया खत्म होने जा रही है और अब उनके लिए बचना मुश्किल है. लेकिन कुछ चिकित्सकों का सहयोग और कुछ खुद की इच्छा शक्ति, जिससे उन्हें एक तरह से नया जीवन मिला. वहीं, अब जब इन्हें पता चला कि उनके प्लाज्मा से और कई लोग ठीक हो सकते हैं, तो वे लोग भी प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गए.

ये भी पढ़ें- स्पेशल: 'अनलॉक टूरिज्म' का पैगाम दे रहे कारोबारी, राजस्थान से दिया सैलानियों को न्योता

चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने से किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी है. साथ ही इंसानियत के नाते दूसरे लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोगों ने बताया कि जब वे खुद कोविड-10 से पॉजिटिव हुए तो चिकित्सक और ऐसे ही अन्य कई कोरोना योद्धा उनकी मदद के लिए तैयार खड़े थे. जिसके बाद अब लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे हैं.

कोई दिल्ली से तो कोई गुड़गांव से आया

कोरोना से जंग जीतने के बाद लोग अपने कार्यस्थल पर लौट चुके हैं. लेकिन जब उनको यह पता लगा कि झुंझुनू में प्लाज्मा लिया जा रहा है और इससे कई लोगों की जान बच सकती है, तो कोई दिल्ली से आया तो कोई गुडगांव से यहां आया. मूल रूप से केरल के रहने वाले दिल्ली में कार्यरत मैथ्यू ने बताया कि यह उनको पता नहीं कि वह पॉजिटिव कैसे हुए, लेकिन पॉजिटिव होने के बाद 1 महीने का जो समय गुजरा, उसमें चिकित्सक और प्रशासन के लोग हर कदम पर उनके साथ खड़े थे. ऐसे में अब उनकी अपील सुनकर वे दिल्ली से प्लाज्मा देने के लिए आए हैं.

ये भी पढ़ें- Special: कोरोना से जंग में योग और आत्मशक्ति बन रही ढाल, संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर लौट रहे घर

इसी तरह से गुड़गांव में काम करने वाले किशन सिंह बताते हैं कि जब वे पॉजिटिव हुए थे, तो कई जान पहचान के लोग भी उनसे दूर हो गए थे. लेकिन चिकित्सा और प्रशासन के लोग इलाज से लेकर मोटिवेट करने तक साथ में खड़े थे. जिसके तहत वे प्लाज्मा डोनेट करने आए हैं.

क्या है प्लाजमा थेरेपी?

प्लाज्मा डोनेट करने वालों में एंटीबॉडी मौजूद है, जो कोरोना वायरस को दूर भगाते हैं. इसका प्रयोग गंभीर रोगियों को ठीक करने में किया जाता है. प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में 'प्लास्माफेरेसिस' नाम से जाना जाता है. प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है. इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्दी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जाता है.

झुंझुनू. कोरोना पॉजिटिव हुए लोगों ने अपनी विल पावर और चिकित्सकों की सहायता से इसे मात दी. जिसके बाद अब ये लोग अपने प्लाज्मा के जरिए दूसरे लोगों की जान बचाने का कार्य कर रहे हैं. आम तौर पर लोगों के बीच कोविड-19 को लेकर डर और भय का माहौल रहता है. ऐसे में प्लाज्मा डोनेट करना, लोगों के लिए खासा चिंता का विषय है.

प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच रहे लोग

लेकिन इंसान वही है जो दूसरों की पीड़ा में उनके काम आए. जिसका उदाहरण आपको झुंझनू में देखने को मिलेगा. कोरोना पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोग दूसरे शहरों से आकर यहां अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे हैं, जिससे संक्रमित लोगों के इलाज में मदद मिल सके.

'लगा जैसे दुनिया खत्म होने जा रही है'...

कोरोना पॉजिटिव होने के दौरान लोगों को लगा था कि जैसे दुनिया खत्म होने जा रही है और अब उनके लिए बचना मुश्किल है. लेकिन कुछ चिकित्सकों का सहयोग और कुछ खुद की इच्छा शक्ति, जिससे उन्हें एक तरह से नया जीवन मिला. वहीं, अब जब इन्हें पता चला कि उनके प्लाज्मा से और कई लोग ठीक हो सकते हैं, तो वे लोग भी प्लाज्मा डोनेट करने पहुंच गए.

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चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि प्लाज्मा डोनेट करने से किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होनी है. साथ ही इंसानियत के नाते दूसरे लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. पॉजिटिव से नेगेटिव हुए लोगों ने बताया कि जब वे खुद कोविड-10 से पॉजिटिव हुए तो चिकित्सक और ऐसे ही अन्य कई कोरोना योद्धा उनकी मदद के लिए तैयार खड़े थे. जिसके बाद अब लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करने पहुंचे हैं.

कोई दिल्ली से तो कोई गुड़गांव से आया

कोरोना से जंग जीतने के बाद लोग अपने कार्यस्थल पर लौट चुके हैं. लेकिन जब उनको यह पता लगा कि झुंझुनू में प्लाज्मा लिया जा रहा है और इससे कई लोगों की जान बच सकती है, तो कोई दिल्ली से आया तो कोई गुडगांव से यहां आया. मूल रूप से केरल के रहने वाले दिल्ली में कार्यरत मैथ्यू ने बताया कि यह उनको पता नहीं कि वह पॉजिटिव कैसे हुए, लेकिन पॉजिटिव होने के बाद 1 महीने का जो समय गुजरा, उसमें चिकित्सक और प्रशासन के लोग हर कदम पर उनके साथ खड़े थे. ऐसे में अब उनकी अपील सुनकर वे दिल्ली से प्लाज्मा देने के लिए आए हैं.

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इसी तरह से गुड़गांव में काम करने वाले किशन सिंह बताते हैं कि जब वे पॉजिटिव हुए थे, तो कई जान पहचान के लोग भी उनसे दूर हो गए थे. लेकिन चिकित्सा और प्रशासन के लोग इलाज से लेकर मोटिवेट करने तक साथ में खड़े थे. जिसके तहत वे प्लाज्मा डोनेट करने आए हैं.

क्या है प्लाजमा थेरेपी?

प्लाज्मा डोनेट करने वालों में एंटीबॉडी मौजूद है, जो कोरोना वायरस को दूर भगाते हैं. इसका प्रयोग गंभीर रोगियों को ठीक करने में किया जाता है. प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में 'प्लास्माफेरेसिस' नाम से जाना जाता है. प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है. इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्दी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू किया जाता है.

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