ETV Bharat / state

स्पेशल स्टोरीः इस नगर परिषद का इतिहास...जिसकी सरकार उसका बोर्ड

चुनाव में भी कई ऐसे संयोग बन जाते हैं कि लोग उनके टूटने का इंतजार ही करते रहते हैं. झुंझुनू नगर परिषद के एक संयोग से इस बार कांग्रेसी बल्ले बल्ले महसूस कर सकते हैं.

झुंझुनू नगर परिषद का संयोग, local bodies election 2019
author img

By

Published : Sep 19, 2019, 11:45 PM IST

झुंझुनू. राज्य में नगर निकायों का माहौल बन चुका है और वार्डो के आरक्षण के बाद जल्दी निकाय प्रमुखों की भी लाटरी निकलने वाली है. इस बीच हम आपको झुंझुनू नगर परिषद के अजीब संयोगों से रूबरू करवाते हैं.

झुंझुनू नगर परिषद का संयोग रहा है कि राज्य में जिस की सरकार रहती है, उसी का बोर्ड नगर परिषद में बनता है. दोनों प्रमुख पार्टियां कभी भी रिपीट करने की स्थिति में नहीं रही हैं. यहां एक बार भाजपा का बोर्ड बनता है तो उसके बाद कांग्रेस का. मुख्यालय पर आबादी के हिसाब से कांग्रेस की ओर से हमेशा मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया जाता रहा है तो भाजपा बनिया और जाट को टिकट देती रही है.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: कोटा में 'बाढ़' बहा ले गई सैकड़ों आशियाने

इस तरह से राज्य सरकार के साथ चला है बोर्ड
इस अनूठे संयोग को आप आंकड़ों से भी देख सकते हैं. साल 1994 में झुंझुनू नगर पालिका बनी और भारतीय जनता पार्टी से रमेश टीवड़ा पहले अध्यक्ष बने. उस समय राज्य में भाजपा की ही सरकार थी. इसके बाद 1999 में कांग्रेस के तैयब अली अध्यक्ष बने तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद 2004 में बीजेपी से भारती टीबड़ा अध्यक्ष बनी और तब भी सत्ता में भाजपा की सरकार थी.

निकाय चुनाव स्पेशल : यहां सत्ता पक्ष का ही बनता है बोर्ड

इस बीच झुंझुनूं के नगर परिषद बन जाने पर टीबड़ा को सभापति बनने का भी सौभाग्य मिला. और ये सिलसिला इसी तरह से जारी रहा. साल 2009 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो नगर परिषद में भी कांग्रेस के बोर्ड से खालिद हुसैन सभापति बने. इसके साथ ही 2014 में राजस्थान में वापस भाजपा की सरकार बनी तो यहां भी भाजपा के सुदेश अहलावत सभापति बने.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: नेत्रहीन छात्र आम आदमी की तरह कर रहे मोबाइल का प्रयोग...देखें VIDEO

ओला भी नहीं बदल पाए ये संयोग
सभापति व अध्यक्षों के कार्यकाल से स्पष्ट है कि झुंझुनू लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ भले ही रहा है लेकिन नगर परिषद में स्थिति सत्ता के हिसाब से ही चली. झुंझुनू से कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की केंद्र तक तूती बोला करती थी. और स्थानीय राजनीति में भी वो पूरा दखल रखते थे. यहां तक की टिकटों का बटवारा भी उनके इशारे पर हुआ करता था, लेकिन इसके बाद भी यहां की जनता ने नगर परिषद के लिए हमेशा अलग ही मैंडेट दिया है. जो आज भी बरकरार है. अब देखने वाली बात ये होगी कि आगामी निकाय चुनावों में ये अनूठा संयोग टूटता है या बरकरार रहता है.

झुंझुनू. राज्य में नगर निकायों का माहौल बन चुका है और वार्डो के आरक्षण के बाद जल्दी निकाय प्रमुखों की भी लाटरी निकलने वाली है. इस बीच हम आपको झुंझुनू नगर परिषद के अजीब संयोगों से रूबरू करवाते हैं.

झुंझुनू नगर परिषद का संयोग रहा है कि राज्य में जिस की सरकार रहती है, उसी का बोर्ड नगर परिषद में बनता है. दोनों प्रमुख पार्टियां कभी भी रिपीट करने की स्थिति में नहीं रही हैं. यहां एक बार भाजपा का बोर्ड बनता है तो उसके बाद कांग्रेस का. मुख्यालय पर आबादी के हिसाब से कांग्रेस की ओर से हमेशा मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया जाता रहा है तो भाजपा बनिया और जाट को टिकट देती रही है.

पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: कोटा में 'बाढ़' बहा ले गई सैकड़ों आशियाने

इस तरह से राज्य सरकार के साथ चला है बोर्ड
इस अनूठे संयोग को आप आंकड़ों से भी देख सकते हैं. साल 1994 में झुंझुनू नगर पालिका बनी और भारतीय जनता पार्टी से रमेश टीवड़ा पहले अध्यक्ष बने. उस समय राज्य में भाजपा की ही सरकार थी. इसके बाद 1999 में कांग्रेस के तैयब अली अध्यक्ष बने तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद 2004 में बीजेपी से भारती टीबड़ा अध्यक्ष बनी और तब भी सत्ता में भाजपा की सरकार थी.

निकाय चुनाव स्पेशल : यहां सत्ता पक्ष का ही बनता है बोर्ड

इस बीच झुंझुनूं के नगर परिषद बन जाने पर टीबड़ा को सभापति बनने का भी सौभाग्य मिला. और ये सिलसिला इसी तरह से जारी रहा. साल 2009 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो नगर परिषद में भी कांग्रेस के बोर्ड से खालिद हुसैन सभापति बने. इसके साथ ही 2014 में राजस्थान में वापस भाजपा की सरकार बनी तो यहां भी भाजपा के सुदेश अहलावत सभापति बने.

पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: नेत्रहीन छात्र आम आदमी की तरह कर रहे मोबाइल का प्रयोग...देखें VIDEO

ओला भी नहीं बदल पाए ये संयोग
सभापति व अध्यक्षों के कार्यकाल से स्पष्ट है कि झुंझुनू लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ भले ही रहा है लेकिन नगर परिषद में स्थिति सत्ता के हिसाब से ही चली. झुंझुनू से कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला की केंद्र तक तूती बोला करती थी. और स्थानीय राजनीति में भी वो पूरा दखल रखते थे. यहां तक की टिकटों का बटवारा भी उनके इशारे पर हुआ करता था, लेकिन इसके बाद भी यहां की जनता ने नगर परिषद के लिए हमेशा अलग ही मैंडेट दिया है. जो आज भी बरकरार है. अब देखने वाली बात ये होगी कि आगामी निकाय चुनावों में ये अनूठा संयोग टूटता है या बरकरार रहता है.

Intro:चुनाव में भी कई ऐसे संयोग बन जाते हैं कि लोग उनके टूटने का इंतजार ही करते रहते हैं। झुंझुनू नगर परिषद के एक संयोग से इस बार कांग्रेसी बल्ले बल्ले महसूस कर सकते हैं।


Body:झुंझुनू। राज्य में नगर निकायों का माहौल बन चुका है और वार्डो के आरक्षण के बाद जल्दी निकाय प्रमुखों की भी लाटरी निकलने वाली है। इस बीच हम आपको झुंझुनू नगर परिषद के अजीब संयोगों से रूबरू करवाते हैं यहां की नगर परिषद का संयोग रहा है कि राज्य में जिस की सरकार रहती है, उसी का बोर्ड नगर परिषद में बनता है। इसके अलावा दोनों ही पार्टियां कभी भी रिपीट करने की स्थिति में नहीं रही है। यहां एक बार भाजपा का बोर्ड बनता है तो उसके बाद वापस कांग्रेस का बोर्ड बन जाता है। मुख्यालय पर आबादी के हिसाब से कांग्रेस की ओर से हमेशा मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया जाता रहा तो भाजपा बनिया और जाट को टिकट देती रही है।

इस तरह से राज्य सरकार के साथ चला है बोर्ड
इसमें खास बात यह है कि सन 1994 में यहां नगर पालिका बनी और भारतीय जनता पार्टी से रमेश टीवड़ा पहले अध्यक्ष बने। उस समय राज्य मैं भाजपा की ही सरकार थी इसके बाद 1999 में कांग्रेस के तैयब अली अध्यक्ष बने और उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। इसके बाद 2004 में बीजेपी से भारती टीबड़ा अध्यक्ष बनी और उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी। बाद में नगर परिषद बन जाने से टीबड़ा को सभापति बनने का भी सौभाग्य मिला। बाद में 2009 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो नगर परिषद में भी कांग्रेस के बोर्ड से खालिद हुसैन सभापति बने। इसके साथ ही 2014 में राजस्थान में वापस भाजपा की सरकार बनी तो यहां भी भाजपा से ही सुदेश अहलावत अभी सभापति हैं।

ओला भी नहीं बदल पाए
सभापति व अध्यक्षों के कार्यकाल से स्पष्ट है कि जिला लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ भले ही झुंझुनू रहा है लेकिन नगर परिषद में यह स्थिति नहीं रही। यहां से कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के जिले से लेकर केंद्र तक तूती बोला करती थी। व स्थानीय राजनीति में भी पूरा दखल रखते थे और नगर परिषद की टिकटों के बटवारा उनके इशारे पर हुआ करता था, इसके बाद भी यहां की जनता ने नगर परिषद के लिए हमेशा अलग ही मैंडेट दिया है।

बाइट खालिद हुसैन कांग्रेस से पूर्व सभापति नगर परिषद


सुदेश अहलावत नगर परिषद सभापति भाजपा


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.