झुंझुनू. उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने जीत (Vice President Election 2022 results) दर्ज की है. उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा को हराया है. पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बधाई देने उनके आवास पर पहुंचे. वहीं, उनकी इस जीत के बाद धनखड़ के पैतृक गांव किठाना में जश्न का माहौल देखा जा रहा है.
स्थानीय ग्रामीणों में उत्साह का माहौल बना हुआ है. जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव में जीत की सूचना मिलने के साथ ही ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई. झुंझुनूं के किठाना गांव में जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है. महिलाएं सुबह से ही मंगल गीत गा रही हैं, साथ ही नृत्य भी कर रही हैं. जगदीप धनखड़ के भतीजे हीरेंद्र धनखड़ ने कहा कि जीत को लेकर हम सभी सुबह से ही आश्वस्त थे. गांव में सुबह से पूजा-पाठ आदि हो रहा है.
उपराष्ट्रपति पद के लिए विजयी घोषित किए जाने के बाद झुंझुनू में ही नहीं पूरे शेखावाटी में उत्सव का माहौल है. उनके गांव किठाना में लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां मना रहे हैं. उनके परिजनों का कहना है कि जगदीप धनखड़ ने दिनोंदिन उन्नति की है और शनिवार को उपराष्ट्रपति के पद पर विराजमान हो गए हैं. यह हमारे लिए बहुत ही खुशी की बात है. तीन भाइयों में जगदीप धनखड़ दूसरे नंबर के हैं. उनके बड़े भाई कुलदीप कंस्ट्रक्शन कंपनी चलाते हैं और उनसे छोटे रणदीप धनखड़ आरटीडीसी में चेयरमैन रह चुके हैं. संयोग की बात यह भी है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की घोषणा भी शनिवार को हुई थी और उपराष्ट्रपति पद के लिए शनिवार को ही एनडीए ने उनकी उम्मीदवारी घोषित की थी और संयोग शनिवार को ही उपराष्ट्रपति पद पर विजय घोषित किए गए हैं.
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव में जगदीप धनखड़ ने विपक्षी दलों की संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया है. 725 सांसदों ने चुनाव में मतदान किया. टीएमसी के 34 सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सपा के दो, बीएसपी के एक सांसद ने भी वोट नहीं डाला. धनखड़ को 528 वोट मिले, जबकि अल्वा को 182 वोट हासिल हुए. 15 मत अमान्य घोषित किए गए.
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वकालत से सफर शुरू: जगदीप धनखड़ ने 1979 में वकालत की शुरुआत की, लेकिन 35 साल की उम्र में हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष बने. वहीं सबसे युवा सीनियर एडवोकेट नामित होने का रिकॉर्ड भी उन्हीं के नाम दर्ज है. 1990 में वे वरिष्ठ अधिवक्ता हो गए थे और बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के सदस्य भी निर्वाचित हुए. वकालत के पेशे में धनखड़ के जूनियर रहे कई अधिवक्ता आज बड़े पदों पर हैं. इनमें जस्टिस आरएस चौहान मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हुए. वहीं, जस्टिस एसपी शर्मा पटना हाईकोर्ट में जज हैं वे भी धनखड़ के जूनियर रहे. वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता आरडी रस्तोगी हाईकोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हैं, तो वरिष्ठ अधिवक्ता नकवी भी धनखड़ के जूनियर रहे.
धनखड़ का राजनीतिक सफर: धनखड़ ने अपनी राजनीति की शुरुआत जनता दल से की थी. दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय बैठक भी धनखड़ के गृह जिले झुंझुनू में हुई थी. अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे. युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा और वहां उन्होंने जीत भी दर्ज की. धनखड़ 1989 में झुंझुनू से सांसद बने. पहली बार सांसद चुने जाने पर ही उन्हें बड़ा इनाम मिला. 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया था.
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हालांकि, जब 1991 में हुए लोकसभा चुनावों में जनता दल ने जगदीप धनखड़ का टिकट काट दिया तो वह पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और अजमेर के किशनगढ़ से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1993 में चुनाव लड़े और विधायक बने. 2003 में उनका कांग्रेस से मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया.