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मंडावा विधानसभा उप चुनाव : दोनों पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर, प्रचार के अंतिम दिन नेताओं ने झोंकी ताकत

झुंझुनू की मंडावा विधानसभा सीट पर इस उप चुनाव में दोनों पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है. एक तरफ इसमें राज्य सरकार की लोकप्रियता जुड़ी हुई है तो वहीं चूरू से आने वाले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भी जातिगत समीकरण साधते हुए इस सीट को खोना नहीं चाहते.

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Published : Oct 19, 2019, 2:31 PM IST

झुंझुनू. राजस्थान में दो जगह हो रहे उपचुनाव के चलते कांग्रेस और राज्य सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. यह राजस्थान में कांग्रेस की लोकप्रियता का टेस्ट है. लेकिन भाजपा के हाल ही में नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की भी यह एक तरह से अग्नि परीक्षा है. उनकी नियुक्ति की बाद यह पहला चुनाव है और ऐसे में पूनिया यह चुनाव जीतकर राजनीतिक पकड़ का संदेश देना चाहेंगे.

प्रचार के अंतिम दिन नेताओं ने झोंकी ताकत

पढ़ें: खींवसर उपचुनाव: जिला निर्वाचन विभाग ने चुनाव को लेकर पूरी की तैयारियां, 21 अक्टूबर को होगा मतदान

यह तय है कि खींवसर विधानसभा के उप चुनाव का तो क्रेडिट या डेबिट दोनों ही हनुमान बेनीवाल ले जाएंगे और यही कारण है कि सतीश पूनिया सबसे पहले नामांकन के दौरान आए. वे मंडावा में बूथ कार्यक्रम के लिए 17 से 19 अक्टूबर तक यहीं डेरा डालकर बैठ गए. वे 17 को मंडावा पहुंचे और यहां लोगों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने 18 अक्टूबर को अलसीसर में सुबह आमसभा की. इसके बाद गांव की ओर निकल पड़े और गोरखी नाथपुरा, ककड़ेउकला, भूदा का बास जैसे छोटे गांवों में सभाएं की. अब प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन शुक्रवार को अलसीसर में सुबह कार्यकर्ताओं से संपर्क बाद में टमकोर, बाडेट, गांगियासर, नीराधुन, लुट्टू और हंसासर में सभाओं का कार्यक्रम रखा है.

पढ़ें: सीएम गहलोत ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण में दी बड़ी राहत, जमीन की बाध्यता हटाई, अब केवल वार्षिक आय ही पात्रता का आधार

जातिगत समीकरणों का भी है असर

सतीश पूनिया चूरू के राजगढ़ के रहने वाले हैं और यह क्षेत्र मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा वे जाट समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं. मंडावा विधानसभा भी जाट बहुल क्षेत्र है और इसलिए यह सीट किसी भी हालत में सतीश पूनिया खोना नहीं चाहते हैं.

झुंझुनू. राजस्थान में दो जगह हो रहे उपचुनाव के चलते कांग्रेस और राज्य सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. यह राजस्थान में कांग्रेस की लोकप्रियता का टेस्ट है. लेकिन भाजपा के हाल ही में नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की भी यह एक तरह से अग्नि परीक्षा है. उनकी नियुक्ति की बाद यह पहला चुनाव है और ऐसे में पूनिया यह चुनाव जीतकर राजनीतिक पकड़ का संदेश देना चाहेंगे.

प्रचार के अंतिम दिन नेताओं ने झोंकी ताकत

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यह तय है कि खींवसर विधानसभा के उप चुनाव का तो क्रेडिट या डेबिट दोनों ही हनुमान बेनीवाल ले जाएंगे और यही कारण है कि सतीश पूनिया सबसे पहले नामांकन के दौरान आए. वे मंडावा में बूथ कार्यक्रम के लिए 17 से 19 अक्टूबर तक यहीं डेरा डालकर बैठ गए. वे 17 को मंडावा पहुंचे और यहां लोगों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने 18 अक्टूबर को अलसीसर में सुबह आमसभा की. इसके बाद गांव की ओर निकल पड़े और गोरखी नाथपुरा, ककड़ेउकला, भूदा का बास जैसे छोटे गांवों में सभाएं की. अब प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन शुक्रवार को अलसीसर में सुबह कार्यकर्ताओं से संपर्क बाद में टमकोर, बाडेट, गांगियासर, नीराधुन, लुट्टू और हंसासर में सभाओं का कार्यक्रम रखा है.

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जातिगत समीकरणों का भी है असर

सतीश पूनिया चूरू के राजगढ़ के रहने वाले हैं और यह क्षेत्र मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा वे जाट समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं. मंडावा विधानसभा भी जाट बहुल क्षेत्र है और इसलिए यह सीट किसी भी हालत में सतीश पूनिया खोना नहीं चाहते हैं.

Intro:दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष यदि चुनाव जीतने के लिए गांव-गांव हो चले तो इसके मायने समझ में आते हैं कई समीकरण काम कर रहे हैं और इसलिए सतीश पूनिया ने भी मंडावा की सीट को नाक का सवाल बना रखा है।


Body:झुंझुनू। राजस्थान में दो जगह हो रहे उपचुनाव के चलते कांग्रेस की राज्य सरकार की लोकप्रियता का टेस्ट तो माना जा रहा है लेकिन भाजपा के हाल ही में नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की एक तरह की परीक्षा है। उनकी नियुक्ति की बाद यह पहला चुनाव है और ऐसे में पूनिया यह चुनाव जीतकर राजनीतिक पकड़ का संदेश देना चाहेंगे। अब यह तय है कि खींवसर विधानसभा के उपचुनाव का तो क्रेडिट या डेबिट दोनों ही हनुमान बेनीवाल ले जाएंगे और यही कारण है कि सतीश पूनिया सबसे पहले नामांकन के दौरान आए। इसके बाद मंडावा में बूथ कार्यक्रम के लिए इसके बाद 17 से 19 अक्टूबर तो यही डेरा डाल कर बैठ गए वे 17 को मंडावा पहुंचे और यहां लोगों से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने 18 अक्टूबर को अलसीसर में सुबह आमसभा की। इसके बाद गांव की ओर निकल पड़े तथा गोरखी नाथपुरा, ककड़ेउकला, भूदा का बास जैसे छोटे गांवों में सभाएं की हैं। अब प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन शुक्रवार को अलसीसर में सुबह कार्यकर्ताओं से संपर्क बाद में टमकोर, बाडेट, गांगियासर, नीराधुन, लुट्टू व हंसासर में सभाओं का कार्यक्रम रखा।

जातिगत समीकरणों का भी है असर
सतीश पूनिया चूरू के राजगढ़ के रहने वाले हैं और यह क्षेत्र मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है इसके अलावा वे जाट समुदाय से तालुकात करते हैं। मंडावा विधानसभा भी जाट बहुल क्षेत्र है और इसलिए यह सीट किसी भी हालत में सतीश पूनिया खोना नहीं चाहते हैं।


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