झुंझुनू. राजस्थान में दो जगह हो रहे उपचुनाव के चलते कांग्रेस और राज्य सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. यह राजस्थान में कांग्रेस की लोकप्रियता का टेस्ट है. लेकिन भाजपा के हाल ही में नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की भी यह एक तरह से अग्नि परीक्षा है. उनकी नियुक्ति की बाद यह पहला चुनाव है और ऐसे में पूनिया यह चुनाव जीतकर राजनीतिक पकड़ का संदेश देना चाहेंगे.
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यह तय है कि खींवसर विधानसभा के उप चुनाव का तो क्रेडिट या डेबिट दोनों ही हनुमान बेनीवाल ले जाएंगे और यही कारण है कि सतीश पूनिया सबसे पहले नामांकन के दौरान आए. वे मंडावा में बूथ कार्यक्रम के लिए 17 से 19 अक्टूबर तक यहीं डेरा डालकर बैठ गए. वे 17 को मंडावा पहुंचे और यहां लोगों से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने 18 अक्टूबर को अलसीसर में सुबह आमसभा की. इसके बाद गांव की ओर निकल पड़े और गोरखी नाथपुरा, ककड़ेउकला, भूदा का बास जैसे छोटे गांवों में सभाएं की. अब प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन शुक्रवार को अलसीसर में सुबह कार्यकर्ताओं से संपर्क बाद में टमकोर, बाडेट, गांगियासर, नीराधुन, लुट्टू और हंसासर में सभाओं का कार्यक्रम रखा है.
जातिगत समीकरणों का भी है असर
सतीश पूनिया चूरू के राजगढ़ के रहने वाले हैं और यह क्षेत्र मंडावा विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा वे जाट समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं. मंडावा विधानसभा भी जाट बहुल क्षेत्र है और इसलिए यह सीट किसी भी हालत में सतीश पूनिया खोना नहीं चाहते हैं.