झुंझुनू. झुंझुनू में बादलगढ़ का किला इतिहास, श्रद्धा, पर्यटन, सांप्रदायिक सौहार्द की जीती जागती मिसाल है. यह भी बताया जाता है कि देश के जाने माने उद्योगपति बिड़ला परिवार ने इस ऐतिहासिक किले को 1964 में चार लाख रुपए में खरीदा था. और वर्षों बाद सन 2000 के आसपास उतनी ही राशि में शेखावत परिवार को वापस दे दिया.
बताया जाता है कि यह किला 16वीं शताब्दी में कयामखानी शासक नवाब फैजल खान ने बनवाया था जो फैजलगढ़ के नाम से भी जाना जाता था. लेकिन शेखावत शासक महाराजा शार्दुल सिंह ने झुंझुनू को अपने अधीन कर लिया और इस किले पर भी कब्जा जमा लिया. इस किले को बादलगढ़ किले के नाम से जाना जाता है. इसलिए इसे शेखावतों की विजय के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है.
जिले में शेखावत शासन की विजय का प्रतीक बादलगढ़ का पुराना नाम फैजल गढ़ था. आमेर जयपुर से रवाना हुए शेखावत शासक शार्दुल सिंह ने अपने क्षेत्र का विस्तार करते हुए जीण माता सीकर, टोकछिलरी, किरोड़ी, लोहार्गल होते हुए झुंझुनू पहुंचे जहां 1730 में तत्कालीन नवाब रोहिल्ला खान पर फतह हासिल कर इस गढ़ पर कब्जा किया था. हालांकि कुछ लोग यह भी मानते हैं कि नवाब की पत्नी व राजा की पत्नी बहनें थीं और इसलिए प्रेम स्वरूप इस किले को महाराजा शार्दुल सिंह को दिया गया था. गढ़ के ऊंची पहाड़ी पर होने के कारण उन्होंने इसका नाम बदलकर बादलगढ़ कर दिया था. इसके बाद क्षेत्र के अन्य नवाबों को हराकर उन्होंने जिले के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर लिया था.
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फैजल खान ने की थी स्थापना
बादलगढ़ का पुराना नाम फैजल गढ़ था. कायमखानी नवाबों के शासनकाल में 16वीं शताब्दी में तत्कालीन नवाब फैजल खान ने शहर की ऊंची पहाड़ी पर किले का निर्माण करवाया था. जहां हथियार रखने के साथ शहर के पूर्व, उत्तर और दक्षिण दिशा में निगरानी रखी जा सके. नवाबों की करीब 2 पीढ़ी के शासन के बाद इस पर शेखावत राजपूतों का अधिकार हो गया.
दीवार के एक तरफ दुर्गा मंदिर तो दूसरी तरफ दरगाह
बादलगढ़ के किले की एक विशेषता यह भी है कि इसकी दीवार के एक तरफ दुर्गा मंदिर का निर्माण किया गया है और दूसरी तरफ हजरत इस्माइल रहमतुल्लाह अलेही की दरगाह है जो कि हिन्दू मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है. शार्दुल सिंह ने गढ़ पर कब्जा करने के बाद गढ़ का हिस्सा रही दरगाह को बाहर करते हुए एक दीवार बनवाई और गढ़ के अंदर दुर्गा मां व बजरंगबली के छोटे मंदिर का निर्माण करवाया. गढ़ का मुख्य गेट दक्षिण दिशा में था, इसलिए उन्होंने अंदर की तरफ मोड़ देकर पश्चिम दिशा की तरफ नए गेट का निर्माण करवाया. बाद में बिरला परिवार के जुगल किशोर बिरला ने दुर्गा मंदिर को तत्कालीन स्वरूप दिया था.
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म्यूजियम बनाने के लिए बिरला परिवार ने खरीदा था गढ़ को
देश में राजा-महाराजाओं के शासन समाप्ति के दौरान वर्ष 1950 में राजाओं के पास एक ही महल या गढ़ रखने के आदेश जारी कर दिए गए थे. इसके बाद तत्कालीन शासन रावल हरनाथ सिंह शेखावत ने बादलगढ़ को एलएन बिरला को बेचा था. वे यहां म्यूजिक बनाना चाहते थे. इसकी देखरेख के लिए उन्होंने बादलगढ़ कमेटी का गठन भी किया था.
पर्यटकों भी है लुभाता
यह गढ़ रमणीय दर्शन स्थलों में से एक है जो सभी पर्यटकों को लुभाता है. यह किला नेहरा पहाड़ी की चोटी के एक भाग पर मौजूद है तथा किले में मां दुर्गा और बजरंगबली के दो मंदिर हैं जो इस किले की शोभा बढ़ाते हैं. किले की प्राचीर से झुंझुनू शहर को देखने के लिए भी यह पर्यटकों के लिए खुला हुआ है. बादलगढ़ किला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है. इसके साथ ही यह किला चट्टानी पर्वत के सबसे ऊपरी हिस्से में स्थित है. बादलगढ़ किले की दिवारों पर किया गया काम काफी खूबसूरत है. इसके अलावा झुंझुनू में कायमखानी नवाब के तीन अन्य मकबरे और भी हैं. शहर के पूर्व में नवाब समास खान (1605-1627) का मकबरा है, वहीं पश्चिम में भवन खान का मकबरा स्थित है जिसका निर्माण रोहेला खान ने करवाया था.