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स्पेशल: बेहद मुश्किल होता है भवाई नृत्य, युवा नर्तक का नया रूप देखिए...

झुंझुनूं में आशीष मनोहर ने सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य का एक नया रूप पेश किया है. आशीष 5 साल से नृत्य कर रहे हैं और वे पूरा श्रेय अपने गुरु रूप सिंह शेखावत को देते हैं. आशीष मनोहर बताते हैं कि नृत्य के दौरान एकाग्रता की बेहद जरूरत होती है और मामूली सी चूक पूरा लय बिगाड़ सकती है.

भवाई नृत्य, bhavai dance
सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य
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Published : Mar 9, 2020, 3:11 PM IST

झुंझुनूं. भवाई या भवई नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है. यह नृत्य हैरतअंगेज करतबों के लिए प्रसिद्ध है. भवाई नृत्य करने वाली नृत्यांगना किसी गिलास के ऊपर, तलवार की धार पर अपने पैर के तलवों को टीका कर झूलते हुए नृत्य करती हैं. लेकिन महिला के भेष में युवा नर्तक आशीष मनोहर ने सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य का एक नया रूप पेश किया है. इसमें वे एक बड़े लंबे गिलास पर पूरे मटके सजाते हैं और उसके बाद दीपकों को जगमगाते हुए नृत्य पेश करते हैं.

सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य

पढ़ें: नृत्य और हैरतअंगेज करतबों से लोगों को रोमांचित करने वाली ये हैं सीमा राजस्थानी, भवाई नृत्य से मचाई अजमेर में धूम

भवाई में नृत्यांगना को 7 या 8 तांबे के घड़े सिर पर रखकर और उनका संतुलन रखते हुए नृत्य करना होता है. आशीष मनोहर ने भी तांबे के घड़ों के साथ-साथ उन पर दीपक भी जलाए और उसके साथ नृत्य पेश किया.

अनूठी है इनकी नृत्य अदायगी
अनूठी नृत्य अदायगी, शारीरिक क्रियाओं के अद्भुत चमत्कार और लयकारी की विविधता से आशीष मनोहर अपने दर्शकों के सामने समां बांध देते हैं. वे 5 साल से नृत्य कर रहे हैं और वे पूरा श्रेय अपने गुरु रूप सिंह शेखावत को देते हैं. आशीष मनोहर बताते हैं कि नृत्य के दौरान एकाग्रता की बेहद जरूरत होती है और मामूली सी चूक पूरा लय बिगाड़ सकती है. वे एक गिलास पर मटकों को रखने के बाद कांच के गिलास के ऊपर भी अपने दोनों पैर रख देते हैं और उसके बाद नृत्य करते हैं. इस दौरान वे इतना अद्भुत संतुलन बनाते हैं कि गिलास आगे भी सरकते जाते हैं. वे नृत्य के दौरान जमीन पर पड़ा रुमाल मुंह से उठाना, तलवार की धार, कांच के टुकड़ों पर और नुकीली कीलों पर नृत्य करते हैं.

पढ़ें: जोधपुर: पति के साथ जमकर थिरकीं MLA ...VIDEO वायरल

गुरु भी रहे हैं जाने-माने नर्तक
वहीं यदि आशीष के गुरु रूप सिंह शेखावत की बात करें तो वे भी रूप सिंह शेखावत भी जाने-माने भवाई नृत्य के कलाकार रहे हैं. उन्होंने भी इस नृत्य में कई ऊंचाइयों को छुआ है. उनके शिष्य आशीष मनोहर भी अपने गुरु को ही सारा श्रेय देते हैं, वे कहते हैं कि गुरु के संपर्क में आने से पहले उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता था. लेकिन अब इस नृत्य में महारथ हासिल करने में जुटे हुए हैं.

बता दें कि झुंझुनूं में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें राजस्थानी गीतों पर आशीष मनोहर ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया. आशीष मनोहर ने 51 दीपक जला कर अपने सिर पर रख कर भवाई नृत्य कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया.

झुंझुनूं. भवाई या भवई नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है. यह नृत्य हैरतअंगेज करतबों के लिए प्रसिद्ध है. भवाई नृत्य करने वाली नृत्यांगना किसी गिलास के ऊपर, तलवार की धार पर अपने पैर के तलवों को टीका कर झूलते हुए नृत्य करती हैं. लेकिन महिला के भेष में युवा नर्तक आशीष मनोहर ने सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य का एक नया रूप पेश किया है. इसमें वे एक बड़े लंबे गिलास पर पूरे मटके सजाते हैं और उसके बाद दीपकों को जगमगाते हुए नृत्य पेश करते हैं.

सिर पर 51 दीपक जलाकर भवाई नृत्य

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भवाई में नृत्यांगना को 7 या 8 तांबे के घड़े सिर पर रखकर और उनका संतुलन रखते हुए नृत्य करना होता है. आशीष मनोहर ने भी तांबे के घड़ों के साथ-साथ उन पर दीपक भी जलाए और उसके साथ नृत्य पेश किया.

अनूठी है इनकी नृत्य अदायगी
अनूठी नृत्य अदायगी, शारीरिक क्रियाओं के अद्भुत चमत्कार और लयकारी की विविधता से आशीष मनोहर अपने दर्शकों के सामने समां बांध देते हैं. वे 5 साल से नृत्य कर रहे हैं और वे पूरा श्रेय अपने गुरु रूप सिंह शेखावत को देते हैं. आशीष मनोहर बताते हैं कि नृत्य के दौरान एकाग्रता की बेहद जरूरत होती है और मामूली सी चूक पूरा लय बिगाड़ सकती है. वे एक गिलास पर मटकों को रखने के बाद कांच के गिलास के ऊपर भी अपने दोनों पैर रख देते हैं और उसके बाद नृत्य करते हैं. इस दौरान वे इतना अद्भुत संतुलन बनाते हैं कि गिलास आगे भी सरकते जाते हैं. वे नृत्य के दौरान जमीन पर पड़ा रुमाल मुंह से उठाना, तलवार की धार, कांच के टुकड़ों पर और नुकीली कीलों पर नृत्य करते हैं.

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गुरु भी रहे हैं जाने-माने नर्तक
वहीं यदि आशीष के गुरु रूप सिंह शेखावत की बात करें तो वे भी रूप सिंह शेखावत भी जाने-माने भवाई नृत्य के कलाकार रहे हैं. उन्होंने भी इस नृत्य में कई ऊंचाइयों को छुआ है. उनके शिष्य आशीष मनोहर भी अपने गुरु को ही सारा श्रेय देते हैं, वे कहते हैं कि गुरु के संपर्क में आने से पहले उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं पता था. लेकिन अब इस नृत्य में महारथ हासिल करने में जुटे हुए हैं.

बता दें कि झुंझुनूं में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें राजस्थानी गीतों पर आशीष मनोहर ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया. आशीष मनोहर ने 51 दीपक जला कर अपने सिर पर रख कर भवाई नृत्य कर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया.

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