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शहीदों का अपमान! : शहीदों, महापुरुषों के नाम पर होना है 163 मार्ग का नामकरण, लेकिन धूल खा रही नाम पट्टिकाएं - Roads named after martyrs

झुंझुनू में नगर परिषद के पिछले भाजपा बोर्ड ने शहर की सड़कों का नामांकन शहीदों और महापुरुषों के नाम पर करने की घोषणा की थी. लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी यह काम पूरा नहीं हो सका है. तत्कालीन बोर्ड ने 30 लाख रुपए खर्च कर शहीदों के नाम पर साइन बोर्ड भी बनवा लिए, लेकिन अब यह बोर्ड एक पार्क में धूल खा रहे हैं.

झुंझुनू नगर परिषद, jhunjhunu news
'सम्मान की जगह हो रहा शहीदों का अपमान'
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Published : Jan 27, 2020, 11:45 AM IST

झुंझुनू. नगर परिषद के पिछले बोर्ड की लापरवाही सामने आई है. भाजपा बोर्ड ने शहर की सड़कों का नामांकन शहीदों और महापुरुषों के नाम पर करने की घोषणा की थी. तत्कालीन बोर्ड ने शहीदों के नाम पर साइन बोर्ड भी बनवा लिए लेकिन अब यह बोर्ड एक पार्क में धूल खा रहे हैं.

'सम्मान की जगह हो रहा शहीदों का अपमान'

साइन बोर्ड लगाने का काम 7 से 8 दिन में हो जाना चाहिए था, लेकिन उसे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी पूरे साल भर में भी नहीं कर पाए.

पूर्व वसुंधरा सरकार के निर्देश पर यह निर्णय सभी नगर निकायों ने लिया था. झुंझुनू में भी बाकायदा इसकी घोषणा की गई. यह भी तय कर दिया गया था, कि कौन सा मार्ग किस शहीद और किस महापुरुष के नाम पर होगा.

पढ़ेंः झुंझुनूः सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी के बाद चुनावों का बजा बिगुल


भाजपा बोर्ड ने किया था रास्तों का नामांतरण
तत्कालीन सभापति सुदेश अहलावत के समय नगर परिषद ने शहर के 163 रास्तों और सड़कों के नाम शहीदों और महापुरुषों के नाम पर रखने की घोषणा की थी. इसमें जिले के 53 रास्तों के नाम पदक विजेता शहीदों के नाम पर रखे गए थे.

भाजपा बोर्ड ने बिना निविदा ही 163 साइन बोर्ड बनवा लिए. इन पर 29 लाख रुपए भी खर्च किए गए. शहीदों के साथ जिले के प्रमुख समाजसेवी और महापुरुषों के नाम वाले बोर्ड भी बनवा लिए. बोर्ड बनकर आ गए, लेकिन इनको अभी तक लगवाया नहीं गया.

पढ़ेंः तेज रफ्तार कार ने राहगीर और बाइक सवार को मारी टक्कर, दो युवक गंभी घायल

पहली बार किया गया था रास्तों का नामांतरण
तत्कालीन बोर्ड ने शहर के मार्गों का नाम जिले के 53 वीर चक्र, शौर्य चक्र, अशोक चक्र समेत विभिन्न पदक विजेताओं के नाम पर रखने और उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए साइन बोर्ड बनाने की घोषणा की थी.

बड़े-बड़े दावे किए गए, कि ऐसा पहली बार हो रहा है. झुंझुनू जिला मुख्यालय प्रदेश का ऐसा पहला जिला मुख्यालय हो जाएगा, जिसके सभी रास्तों का नाम शहीदों के नाम पर होगा. उन्होंने शहर के चौराहों सर्किल के नाम भी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, भगत सिंह, महाराजा अग्रसेन के नामों पर रखने का प्रस्ताव पारित किया था.

पढ़ेंः झुंझुनू: किसानों का हल्लाबोल, मुआवजा नहीं मिलने से हैं नाराज

सम्मान की जगह हो रहा शहीदों का अपमान
नगर परिषद कार्यालय में पार्क के एक कोने में शहीदों के नामांकन वाली पट्टीकाएं पड़ी हैं. अब ये सवाल उठ रहे हैं, कि एक ओर नगर परिषद शहीदों को सम्मान देने के नाम पर नामांकन करने का दावा कर रहा है. वहीं दूसरी ओर उन शहीदों के नामों की पट्टिकाएं एक कोने में पड़ी हैं और धूल खा रही हैं.

झुंझुनू. नगर परिषद के पिछले बोर्ड की लापरवाही सामने आई है. भाजपा बोर्ड ने शहर की सड़कों का नामांकन शहीदों और महापुरुषों के नाम पर करने की घोषणा की थी. तत्कालीन बोर्ड ने शहीदों के नाम पर साइन बोर्ड भी बनवा लिए लेकिन अब यह बोर्ड एक पार्क में धूल खा रहे हैं.

'सम्मान की जगह हो रहा शहीदों का अपमान'

साइन बोर्ड लगाने का काम 7 से 8 दिन में हो जाना चाहिए था, लेकिन उसे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी पूरे साल भर में भी नहीं कर पाए.

पूर्व वसुंधरा सरकार के निर्देश पर यह निर्णय सभी नगर निकायों ने लिया था. झुंझुनू में भी बाकायदा इसकी घोषणा की गई. यह भी तय कर दिया गया था, कि कौन सा मार्ग किस शहीद और किस महापुरुष के नाम पर होगा.

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भाजपा बोर्ड ने किया था रास्तों का नामांतरण
तत्कालीन सभापति सुदेश अहलावत के समय नगर परिषद ने शहर के 163 रास्तों और सड़कों के नाम शहीदों और महापुरुषों के नाम पर रखने की घोषणा की थी. इसमें जिले के 53 रास्तों के नाम पदक विजेता शहीदों के नाम पर रखे गए थे.

भाजपा बोर्ड ने बिना निविदा ही 163 साइन बोर्ड बनवा लिए. इन पर 29 लाख रुपए भी खर्च किए गए. शहीदों के साथ जिले के प्रमुख समाजसेवी और महापुरुषों के नाम वाले बोर्ड भी बनवा लिए. बोर्ड बनकर आ गए, लेकिन इनको अभी तक लगवाया नहीं गया.

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पहली बार किया गया था रास्तों का नामांतरण
तत्कालीन बोर्ड ने शहर के मार्गों का नाम जिले के 53 वीर चक्र, शौर्य चक्र, अशोक चक्र समेत विभिन्न पदक विजेताओं के नाम पर रखने और उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए साइन बोर्ड बनाने की घोषणा की थी.

बड़े-बड़े दावे किए गए, कि ऐसा पहली बार हो रहा है. झुंझुनू जिला मुख्यालय प्रदेश का ऐसा पहला जिला मुख्यालय हो जाएगा, जिसके सभी रास्तों का नाम शहीदों के नाम पर होगा. उन्होंने शहर के चौराहों सर्किल के नाम भी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, भगत सिंह, महाराजा अग्रसेन के नामों पर रखने का प्रस्ताव पारित किया था.

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सम्मान की जगह हो रहा शहीदों का अपमान
नगर परिषद कार्यालय में पार्क के एक कोने में शहीदों के नामांकन वाली पट्टीकाएं पड़ी हैं. अब ये सवाल उठ रहे हैं, कि एक ओर नगर परिषद शहीदों को सम्मान देने के नाम पर नामांकन करने का दावा कर रहा है. वहीं दूसरी ओर उन शहीदों के नामों की पट्टिकाएं एक कोने में पड़ी हैं और धूल खा रही हैं.

Intro:झुंझुनू। एक ओर जहां देश ने एक दिन पहले ही गणतंत्र दिवस मनाया है तो दूसरी ओर नगर परिषद के पिछले बोर्ड के दौरान शहीदों के प्रति बरती गई ऐसी तस्वीर सामने आई है कि जो यह बताता है कि अधिकारी शहीदों के मामले में भी कितनी लापरवाही बरतते हैं। दरअसल नगर परिषद के पिछले भाजपा बोर्ड ने शहर की सड़कों का नामांकन शहीदों और महापुरुषों के नाम पर करने की घोषणा की थी। पूर्व वसुंधरा सरकार के निर्देश पर यह निर्णय सभी नगर निकायों ने लिया था झुंझुनू में भी बाकायदा इसकी घोषणा की गई और यह भी तय कर दिया गया कि कौन सा मार्ग किस शहीद और किस महापुरुष के नाम पर होगा।तत्कालीन बोर्ड ने इन शहीदों के नाम पर साइन बोर्ड भी बनवा लिए उस पर ₹30 लाख भी खर्च कर दिए और अब यह बोर्ड एक पार्क में धूल में लगे पड़े हैं। सड़के इस बात का इंतजार कर रही है कि कब यह शहीदों के नाम के बोर्ड लगाए जाएंगे जो काम 7 से 8 दिन में हो जाना चाहिए था उसे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी पूरे साल नहीं कर पाए।


Body: भाजपा बोर्ड ने किया था रास्तों का नामांतरण
दरअसल तत्कालीन सभापति सुदेश अहलावत के समय नगर परिषद ने शहर के 163 रास्तों व सड़कों के नाम शहीदों और महापुरुषों के नाम पर रखने की घोषणा की थी। इसमें जिले के 53 रास्तों के नाम पदक विजेता शहीदों के नाम पर रखे गए थे भाजपा बोर्ड ने बिना निविदा ही 163 साइन बोर्ड बनवा लिए इन पर 29 लाख ₹75869 खर्च किए गए। शहीदों के साथ जिले के प्रमुख समाजसेवी को और महापुरुषों के नाम वाले बोर्ड भी बनवा लिए। बोर्ड बनकर आ गए लेकिन इनको अभी तक लगवाया नहीं गया।

पहली बार किया गया था रास्तों का नामांतरण
तत्कालीन बोर्ड ने शहर के मार्गों का नाम जिले के 53 वीर चक्र, शौर्य चक्र, अशोक चक्र समेत विभिन्न पदक विजेताओं के नाम पर रखने व उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए साइन बोर्ड बनाने की घोषणा की थी। बड़े बड़े दावे किए गए कि ऐसा पहली बार हो रहा है झुंझुनू जिला मुख्यालय प्रदेश का ऐसा पहला जिला मुख्यालय हो जाएगा जिसके सभी रास्तों का नाम शहीदों के नाम पर होगा उन्होंने शहर के चौराहों सर्किल के नाम भी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, भगत सिंह, महाराजा अग्रसेन आदि के नामों पर रखने का प्रस्ताव पारित किया गया था।

सम्मान की जगह हो रहा है शहीदों का अपमान
जी हां नगर परिषद कार्यालय में पार्क के एक कोने में शहीदों के नामांकन वाली पट्टीकाएं पड़ी हैं सवाल यह है कि एक और नगर परिषद शहीदों को सम्मान देने के नाम पर नामांकन करने का दावा कर रहा है वहीं दूसरी ओर उन शहीदों के नामों की पट्टीकाए धूल में भरी एक कोने में पड़ी है। नगर परिषद के आयुक्त देवीलाल बोचल्या बोर्ड लगवाने के टेंडर करवा दिए हैं और जल्द ही साइन बोर्ड लगवा दिए जाएंगे।

बाइट देवीलाल बोचल्या आयुक्त झुंझुनू नगर परिषद


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