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झालावाड़: बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बने शहर के युवा, कर रहे उनके खाने की व्यवस्था - सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री की है. इन हालतों में आम व्यक्ति की ही तरह जानवर की भी बद से भी बदतर होती जा रही है. ऐसे में झालावाड़ के कुछ युवा आगे आए है जो शहर के आवारा पशुओं को चारा और खाने की व्यवस्था कर रहे है.

झालावाड़ की खबर, jhalawar news
बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बने शहर के युवा
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Published : Apr 18, 2020, 7:57 PM IST

अकलेरा (झालावाड़). लॉकडाउन के चलते जिले में पसरा हुआ सन्नाटा बेजुबान जानवरों के लिए एक वीरान सी दुनिया की तरह बना हुआ है. ऐसे हालात हो गए है कि जानवर तक अपने आप कोस रहे हैं, चलते-फिरते इस कस्बे की हलचल कहा गुम हो गई है, इसका कोई पता नहीं.

बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बने शहर के युवा

ऐसे में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसमें सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री की है. इन हालातों में इंसान भी खाने को तरस रहे है और बेजुबान जानवर का हालत तो बद से भी बदतर हो गई है. ऐसे में शहर के कुछ युवाओं ने मानवधर्म निभाते हुए जानवरों को खाने की व्यवस्थाएं कर रहे है. ये समाजसेवी गोवंश को तीन वक्त का चारा, कुत्तों को बिस्किट और रोटी, पक्षियों के लिए पानी रख रहे है.

पढ़ें- झालावाड़ः पलायन करने वाले मजदूर घर वापसी को तरस रहे, बॉर्डर सीमा की चौकसी बनी सिरदर्द

समाजसेवियों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से शहर के अनेक बेजुबान आवारा पशुओं को चारा और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में वे इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही बताया कि शुरुआत में वे खुद ही गांवों में जाकर चारा लेकर आते थे. बाद में आम जनता और विभिन्न संगठनों को साथ लेते हुए इन बेजुबान जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इनको दिन में 2 बार हरा चारा मोटरसाइकिल पर रखकर शहर में घूम-घूम कर डाला जाता है. वहीं, लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में जानवरों को भी खाना मिलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब उनकी ओर उनके लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है.

अकलेरा (झालावाड़). लॉकडाउन के चलते जिले में पसरा हुआ सन्नाटा बेजुबान जानवरों के लिए एक वीरान सी दुनिया की तरह बना हुआ है. ऐसे हालात हो गए है कि जानवर तक अपने आप कोस रहे हैं, चलते-फिरते इस कस्बे की हलचल कहा गुम हो गई है, इसका कोई पता नहीं.

बेजुबान जानवरों के लिए मसीहा बने शहर के युवा

ऐसे में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसमें सबसे बड़ी समस्या खाद्य सामग्री की है. इन हालातों में इंसान भी खाने को तरस रहे है और बेजुबान जानवर का हालत तो बद से भी बदतर हो गई है. ऐसे में शहर के कुछ युवाओं ने मानवधर्म निभाते हुए जानवरों को खाने की व्यवस्थाएं कर रहे है. ये समाजसेवी गोवंश को तीन वक्त का चारा, कुत्तों को बिस्किट और रोटी, पक्षियों के लिए पानी रख रहे है.

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समाजसेवियों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से शहर के अनेक बेजुबान आवारा पशुओं को चारा और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में वे इनके लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं. साथ ही बताया कि शुरुआत में वे खुद ही गांवों में जाकर चारा लेकर आते थे. बाद में आम जनता और विभिन्न संगठनों को साथ लेते हुए इन बेजुबान जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि इनको दिन में 2 बार हरा चारा मोटरसाइकिल पर रखकर शहर में घूम-घूम कर डाला जाता है. वहीं, लॉकडाउन की वजह से लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में जानवरों को भी खाना मिलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में अब उनकी ओर उनके लिए चारे की व्यवस्था की जा रही है.

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