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कोरोना काल में घर और ऑफिस के काम में महिलाओं ने ऐसे बिठाया तालमेल, Work From Home ने दी नई ऊर्जा

देश में चल रहे आपदाओं का सबसे अधिक प्रभाव घर की महिलाओं और बच्चों पर ही देखने को मिलता है. वर्तमान में चल रहे वैश्विक महामारी कोविड-19 में भी यही देखने को मिला है. ऐसे में वे महिलाएं जो घर के साथ-साथ ऑफिस का भी काम कर रही है. इन हालातों को वे महिलाएं किस तरीके से निपट रही है. इन सब बातों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ वुमन्स विंग की महिला कार्यकर्ताओं से बात की. देखें स्पेशल रिपोर्ट...

झालावाड़ समाचार, jhalawar news
वर्क फ्रॉम होम साबित हो रहा कारगर
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Published : Jul 29, 2020, 10:25 PM IST

झालावाड़. कहते हैं कि आपदाएं कोई भी इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर ही देखने को मिलता है. यही कारण है कि वर्तमान में चल रहे कोरोना आपदा से कई महिलाओं में अवसाद के भी केस सामने आए. दरअसल, इनमें वे महिलाएं शामिल थी, जो घर के साथ-साथ बाहर जाकर ऑफिस में भी काम करने वाली थी. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ महिला मोर्चा की महिला कार्यकर्ताओं से बात की कि आखिर किस प्रकार से वे इस परिस्थिति के साथ समझौता कर काम कर रही हैं.

पार्ट-1 वर्क फ्रॉम होम साबित हो रहा कारगर

सरकारी स्कूल की शिक्षिका पूनम राउतेला ने बताया कि कोरोना के दौर में हमें सबसे ज्यादा हानि विश्वास और आजादी की हुई है. कोरोना का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर दुगुने रफ्तार से पड़ा है, इनमें सबसे ज्यादा असर कामकाजी महिलाओं पर पड़ा. जिन पर इसका प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिला. इसका कारण था कि वह घर और बाहर के कामों को लेकर सामंजस्य नहीं बिठा पाई. पूनम राउतेला ने कहा कि वह खुद एक सरकारी शिक्षिका हैं.

पार्ट-2 वर्क फ्रॉम होम साबित हो रहा कारगर

पढ़ें- स्पेशल: ग्रामीण इलाकों में फ्लॉप साबित हो रही है ऑनलाइन एजुकेशन, देखें ये स्पेशल रिपोर्ट

प्रतिदिन 14 से 15 घंटे करना पड़ रहा काम

ऐसे में सरकार के आदेशानुसार उन्हें स्कूल जाकर काम करना पड़ता है. इसके साथ ही घर आकर घर का काम भी करना पड़ता है. लेकिन इस बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वे खुद को और अपने परिवार को इस संक्रमण से बचाने में लगी हुई है. इसके अलावा उन्होंने अपने घर पर काम करने वाले सभी नौकर और नौकरानियों को भी छुट्टी दे दी है. जिसके चलते घर का काम भी अब उन्हें ही करना पड़ता है. उनका मानना है कि अब सभी कामकाजी महिलाओं को प्रतिदिन 14 से 15 घंटे काम करने हो रहे हैं. ऐसे में अब इन परिस्थितियों से जूझने के लिए महिलाएं खुद को मानसिक रूप से तैयार कर रही हैं.

मनोचिकित्सक देवेंद्र विजयवर्गीय

घरेलू हिंसा में हो रही बढ़ोतरी

कोरोना काल में बढ़ते घरेलू हिंसा को लेकर मैनेजमेंट कंसल्टेंट प्रीति बोहरा ने बताया कि लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम के चलते इन दिनों परिवार के सभी सदस्य घर पर ही हैं. इसके अलावा कई लोगों को इनकम और जॉब का भी लॉस हो रहा है. यही कारण है कि इन दिनों घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

महिलाओं को बचे समय का करना चाहिए सदुपयोग

वहीं, कपड़ा व्यवसायी रश्मि टोंग्या ने बताया कि इन दिनों ऑफिस के वर्क लोड, परिवार के कामकाज और स्थिति खराब होने के चलते महिलाओं में मानसिक तनाव बढ़ा है, जो कि बहुत ही घातक है. ऐसे में डिप्रेशन से निकलने के लिए महिलाओं को खुद में एक सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी. इसके लिए उन्हें योगा और शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ानी होगी. इसके साथ ही परिवार के साथ जो समय बिताने का मौका मिल रहा है, उसे गंवाना नहीं चाहिए. इसके साथ ही समय का सदुपयोग करते हुए कुछ अवसर भी तलाशते रहना होगा.

भविष्य में कारगर साबित हो सकता है Work From Home

महिला मोर्चा की एक महिला कार्यकर्ता का कहना था कि वर्क फ्रॉम होम महिलाओं के लिए भविष्य में कारगर साबित होने वाला है. हालांकि, महिलाएं जिस एकाग्रता के साथ ऑफिस में काम करती थीं, उस तरीके से घर पर काम नहीं कर पा रही हैं. लेकिन वर्क फ्रॉम होम करने से अब महिलाएं अपने बच्चों को और घर के सदस्यों को समय दे पाती है, जो पहले नहीं दे पाती थी. ऐसे में महिलाओं को ऑफिस के काम से होने वाले तनाव से निकलने में भी ये कारगर साबित होगा.

पढ़ें- स्पेशलः स्नेह के बंधन 'राखी' पर कोरोना का ग्रहण, मंद पड़ा करोड़ों का व्यापार

इस संबंध में जब कोटा मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य एवं मनोचिकित्सक देवेंद्र विजयवर्गीय ने बताया कि लॉकडाउन के चलते महिलाओं को घर के भी काम करने पड़ रहे हैं और उसके अलावा वर्क फ्रॉम होम भी करना पड़ रहा है. जिससे उन्हें पहले से ज्यादा शारीरिक थकान हो रही है जो तनाव और बाद में जाकर अवसाद का रूप ले रही है. ये महिलाओं के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि, इससे गृह क्लेश और चिड़चिड़ापन जैसी चीजें बढ़ती है. जिससे पारिवारिक संबंधों में भी दूरियां बढ़ने लगती है और यही बाद में हिंसात्मक घटना का रूप धारण कर लेती है.

मनोचिकित्सक ने बताया कि कई बार इन्हीं सब कारणों के चलते महिलाओं में आत्महत्या जैसे विचार आने लग जाते हैं. ऐसे में इन समस्याओं से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को उन्हें गृह कार्य के साथ-साथ घर का बाकी कामों में भी हाथ बंटाना चाहिए. ताकि महिलाएं पर काम का प्रेशर ज्यादा ना आए. इसके साथ ही कामकाजी महिलाओं को भी अपने ऑफिस का काम निश्चित समय में ही पूरा कर लेना चाहिए. इससे उन्हें तनाव में भी राहत मिलेगी.

झालावाड़. कहते हैं कि आपदाएं कोई भी इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर ही देखने को मिलता है. यही कारण है कि वर्तमान में चल रहे कोरोना आपदा से कई महिलाओं में अवसाद के भी केस सामने आए. दरअसल, इनमें वे महिलाएं शामिल थी, जो घर के साथ-साथ बाहर जाकर ऑफिस में भी काम करने वाली थी. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने झालावाड़ महिला मोर्चा की महिला कार्यकर्ताओं से बात की कि आखिर किस प्रकार से वे इस परिस्थिति के साथ समझौता कर काम कर रही हैं.

पार्ट-1 वर्क फ्रॉम होम साबित हो रहा कारगर

सरकारी स्कूल की शिक्षिका पूनम राउतेला ने बताया कि कोरोना के दौर में हमें सबसे ज्यादा हानि विश्वास और आजादी की हुई है. कोरोना का प्रभाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर दुगुने रफ्तार से पड़ा है, इनमें सबसे ज्यादा असर कामकाजी महिलाओं पर पड़ा. जिन पर इसका प्रभाव सबसे अधिक देखने को मिला. इसका कारण था कि वह घर और बाहर के कामों को लेकर सामंजस्य नहीं बिठा पाई. पूनम राउतेला ने कहा कि वह खुद एक सरकारी शिक्षिका हैं.

पार्ट-2 वर्क फ्रॉम होम साबित हो रहा कारगर

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प्रतिदिन 14 से 15 घंटे करना पड़ रहा काम

ऐसे में सरकार के आदेशानुसार उन्हें स्कूल जाकर काम करना पड़ता है. इसके साथ ही घर आकर घर का काम भी करना पड़ता है. लेकिन इस बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए वे खुद को और अपने परिवार को इस संक्रमण से बचाने में लगी हुई है. इसके अलावा उन्होंने अपने घर पर काम करने वाले सभी नौकर और नौकरानियों को भी छुट्टी दे दी है. जिसके चलते घर का काम भी अब उन्हें ही करना पड़ता है. उनका मानना है कि अब सभी कामकाजी महिलाओं को प्रतिदिन 14 से 15 घंटे काम करने हो रहे हैं. ऐसे में अब इन परिस्थितियों से जूझने के लिए महिलाएं खुद को मानसिक रूप से तैयार कर रही हैं.

मनोचिकित्सक देवेंद्र विजयवर्गीय

घरेलू हिंसा में हो रही बढ़ोतरी

कोरोना काल में बढ़ते घरेलू हिंसा को लेकर मैनेजमेंट कंसल्टेंट प्रीति बोहरा ने बताया कि लॉकडाउन और वर्क फ्रॉम होम के चलते इन दिनों परिवार के सभी सदस्य घर पर ही हैं. इसके अलावा कई लोगों को इनकम और जॉब का भी लॉस हो रहा है. यही कारण है कि इन दिनों घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

महिलाओं को बचे समय का करना चाहिए सदुपयोग

वहीं, कपड़ा व्यवसायी रश्मि टोंग्या ने बताया कि इन दिनों ऑफिस के वर्क लोड, परिवार के कामकाज और स्थिति खराब होने के चलते महिलाओं में मानसिक तनाव बढ़ा है, जो कि बहुत ही घातक है. ऐसे में डिप्रेशन से निकलने के लिए महिलाओं को खुद में एक सकारात्मक सोच विकसित करनी होगी. इसके लिए उन्हें योगा और शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ानी होगी. इसके साथ ही परिवार के साथ जो समय बिताने का मौका मिल रहा है, उसे गंवाना नहीं चाहिए. इसके साथ ही समय का सदुपयोग करते हुए कुछ अवसर भी तलाशते रहना होगा.

भविष्य में कारगर साबित हो सकता है Work From Home

महिला मोर्चा की एक महिला कार्यकर्ता का कहना था कि वर्क फ्रॉम होम महिलाओं के लिए भविष्य में कारगर साबित होने वाला है. हालांकि, महिलाएं जिस एकाग्रता के साथ ऑफिस में काम करती थीं, उस तरीके से घर पर काम नहीं कर पा रही हैं. लेकिन वर्क फ्रॉम होम करने से अब महिलाएं अपने बच्चों को और घर के सदस्यों को समय दे पाती है, जो पहले नहीं दे पाती थी. ऐसे में महिलाओं को ऑफिस के काम से होने वाले तनाव से निकलने में भी ये कारगर साबित होगा.

पढ़ें- स्पेशलः स्नेह के बंधन 'राखी' पर कोरोना का ग्रहण, मंद पड़ा करोड़ों का व्यापार

इस संबंध में जब कोटा मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य एवं मनोचिकित्सक देवेंद्र विजयवर्गीय ने बताया कि लॉकडाउन के चलते महिलाओं को घर के भी काम करने पड़ रहे हैं और उसके अलावा वर्क फ्रॉम होम भी करना पड़ रहा है. जिससे उन्हें पहले से ज्यादा शारीरिक थकान हो रही है जो तनाव और बाद में जाकर अवसाद का रूप ले रही है. ये महिलाओं के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि, इससे गृह क्लेश और चिड़चिड़ापन जैसी चीजें बढ़ती है. जिससे पारिवारिक संबंधों में भी दूरियां बढ़ने लगती है और यही बाद में हिंसात्मक घटना का रूप धारण कर लेती है.

मनोचिकित्सक ने बताया कि कई बार इन्हीं सब कारणों के चलते महिलाओं में आत्महत्या जैसे विचार आने लग जाते हैं. ऐसे में इन समस्याओं से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को उन्हें गृह कार्य के साथ-साथ घर का बाकी कामों में भी हाथ बंटाना चाहिए. ताकि महिलाएं पर काम का प्रेशर ज्यादा ना आए. इसके साथ ही कामकाजी महिलाओं को भी अपने ऑफिस का काम निश्चित समय में ही पूरा कर लेना चाहिए. इससे उन्हें तनाव में भी राहत मिलेगी.

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