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झालावाड़ : रूठे इंद्र देव को मनाने के लिए ग्रामीण कर रहे तरह-तरह के जतन

बारिश के लिए इंद्र को मनाने ग्रामीण तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने गांव बाहर जाकर विधिवत परंपरा अनुसार माता जी, गणेश जी और तमाम देवी देवताओं के खेड़े-खेड़े पर जाकर विधिवत जल चढ़ाकर सिंदूर चढ़ाया. साथ ही कच्चे खाने के लड्डू और बाटी बनाकर चूरमा और रोट का भोग लगाया.

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रूठे इंद्र देव को मनाने के लिए ग्रामीण कर रहे तरह-तरह के जतन
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Published : Aug 1, 2020, 9:28 AM IST

अकलेरा (झालावाड़). जिन किसानों ने अपने खेतों में प्री मानसून में बुवाई कर दी थी. अब खरीफ की फसलें सूखने की स्थिति में आ गई हैं. उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल और मक्का की बुवाई हो चुकी है. इस कारण किसानों को फसल के बर्बाद होने की चिंता सता रही है. किसानों द्वारा खेतों में डाले गए बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन मिट्टी में नमी नहीं होने की वजह से वह या तो जमीन से बाहर नहीं निकल पाए या फिर निकले तो मुरझाने लगे हैं.

रूठे इंद्र देव को मनाने के लिए ग्रामीण कर रहे तरह-तरह के जतन

जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी के साधन हैं, वह खेतों में पानी दे रहे हैं. जबकि, अधिकांश किसानों ने फसलें पैदा नहीं होने की उम्मीद में खेतों की दोबारा जुताई शुरू कर दी है. बरसात का आषाढ़ का महीना निकल गया है और सावन के दस दिन बीत जाने के बाद भी पानी नहीं बरस रहा है. तेज धूप से पौधे सूखने लगे हैं.

यह भी पढ़ें : हल्की बारिश में ही खुल गई आबूरोड नगर पालिका की पोल

ऐसे में बारिश के लिए इंद्र को मनाने के लिए ग्रामीण तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने गांव बाहर जाकर विधिवत परंपरा अनुसार माता जी, गणेश जी और तमाम देवी देवताओं के खेड़े-खेड़े पर जाकर विधिवत जल चढ़ाकर सिंदूर चढ़ाया. साथ ही कच्चे खाने के लड्डू और बाटी बनाकर चूरमा और रोट का भोग लगाया.

अकलेरा (झालावाड़). जिन किसानों ने अपने खेतों में प्री मानसून में बुवाई कर दी थी. अब खरीफ की फसलें सूखने की स्थिति में आ गई हैं. उड़द, मूंग, सोयाबीन, तिल और मक्का की बुवाई हो चुकी है. इस कारण किसानों को फसल के बर्बाद होने की चिंता सता रही है. किसानों द्वारा खेतों में डाले गए बीज अंकुरित तो हुए, लेकिन मिट्टी में नमी नहीं होने की वजह से वह या तो जमीन से बाहर नहीं निकल पाए या फिर निकले तो मुरझाने लगे हैं.

रूठे इंद्र देव को मनाने के लिए ग्रामीण कर रहे तरह-तरह के जतन

जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए पानी के साधन हैं, वह खेतों में पानी दे रहे हैं. जबकि, अधिकांश किसानों ने फसलें पैदा नहीं होने की उम्मीद में खेतों की दोबारा जुताई शुरू कर दी है. बरसात का आषाढ़ का महीना निकल गया है और सावन के दस दिन बीत जाने के बाद भी पानी नहीं बरस रहा है. तेज धूप से पौधे सूखने लगे हैं.

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ऐसे में बारिश के लिए इंद्र को मनाने के लिए ग्रामीण तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने गांव बाहर जाकर विधिवत परंपरा अनुसार माता जी, गणेश जी और तमाम देवी देवताओं के खेड़े-खेड़े पर जाकर विधिवत जल चढ़ाकर सिंदूर चढ़ाया. साथ ही कच्चे खाने के लड्डू और बाटी बनाकर चूरमा और रोट का भोग लगाया.

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