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eid ul fitr 2021 : ऐसे बनती हैं सबकी पसंदीदा ईद की सेवइयां...

इस्लाम के सबसे पवित्र महीने रमजान में एत महीने तक रोजे रखने के बाद आज वह खास दिन है, जिसे ईद के तौर पर बड़ी खुशी से मनाते हैं. यानी आज मुसलमानों का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार ईद उल फितर है. ईद का त्यौहार हो और सेवइयां की बात नहीं हो, ऐसा संभव नहीं है. नमाज अदा करने के बाद सभी इसी मीठी सेवइयां से मुंह मीठा करके एक दूसरे को ईद की मुबारक बाद देते हैं. देखें कैसे बनती हैं सेवइयां, झालावाड़ से इस खास रिपोर्ट में...

eid sevaiyan are made
ऐसे बनती हैं सबकी पसंदीदा ईद की सेवइयां...
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Published : May 14, 2021, 10:18 AM IST

झालावड़. ईटीवी भारत पर हम आपको सेवइयां बनाने वाले मजदूरों के बारे में बताएंगे, जो ईद से कई दिन पहले से ही इस त्यौहार में मिठास भरने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में हम झालावाड़ के झालरापाटन पहुंचे जहां कई वर्षों से महिला मजदूर सिवइयां बनाने का काम करती हुई आ रही हैं. इसके लिए ये सुबह जल्दी उठकर कर मैदा को गलाती हैं और इसमें अलग-अलग हिसाब से नमक मिलाया जाता है, फिर तैयारी शुरू होती है सिवइयां बनाने की...

ऐसे बनती हैं सबकी पसंदीदा ईद की सेवइयां...

वीडियो में ये जो महिलाएं आप देख रहे हैं, इनके हाथों में मैदा से बना कुछ सामान है. जिससे ये सेवइयां बना रही हैं. सारा कमाल इन महिलाओं की उंगलियों का है, जिनसे ये मैदा को अपने हाथों के माध्यम से आकार दे रही हैं. महिलाओं ने बताया कि कई घंटे मैदा को गलाने के बाद मैदा को हाथों में लेकर खींच-खींचकर लंबा किया जाता है. मैदा को लंबा करने के बाद उनको काटकर लाए गए मेहंदी के पेड़ों पर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इनको झाड़ियों से उतारकर सिकवाने के लिए बेकरी पर ले जाया जाता है.

पढ़ें : नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के वन्यजीवों में नहीं कोरोना के लक्षण, सैंपल दोबारा भेजे जाएंगे IVRI बरेली

जिसके बाद ये बेचने के लिऐ एकदम तैयार हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि वह डिमांड के हिसाब से लोगों को बेचते हैं. कई लोगों को मोटी तो कई लोगों को महीन सेवाइयां पसंद आती है, उसी हिसाब से वे लोगों को सेवइयां बेजते हैं.

महिला मजदूरों ने बताया कि वह करीबन 10 से 12 साल से सिवइयां बनाने का काम कर रही हैं. ऐसे में लॉकडाउन हो फिर भी उनको अपना काम तो करना ही होता है. इसके अलावा और कोई अन्य काम वो नहीं करती है. उनकी रोजी-रोटी सिवइयां बनाने से ही चलती है. इस दौरान वह ₹100 से लेकर ₹180 किलो तक इनसे सेवाइयां बेचती हैं. इस पूरे सीजन में एक मजदूर को 5 से ₹6000 तक की कमाई हो जाती है.

झालावड़. ईटीवी भारत पर हम आपको सेवइयां बनाने वाले मजदूरों के बारे में बताएंगे, जो ईद से कई दिन पहले से ही इस त्यौहार में मिठास भरने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में हम झालावाड़ के झालरापाटन पहुंचे जहां कई वर्षों से महिला मजदूर सिवइयां बनाने का काम करती हुई आ रही हैं. इसके लिए ये सुबह जल्दी उठकर कर मैदा को गलाती हैं और इसमें अलग-अलग हिसाब से नमक मिलाया जाता है, फिर तैयारी शुरू होती है सिवइयां बनाने की...

ऐसे बनती हैं सबकी पसंदीदा ईद की सेवइयां...

वीडियो में ये जो महिलाएं आप देख रहे हैं, इनके हाथों में मैदा से बना कुछ सामान है. जिससे ये सेवइयां बना रही हैं. सारा कमाल इन महिलाओं की उंगलियों का है, जिनसे ये मैदा को अपने हाथों के माध्यम से आकार दे रही हैं. महिलाओं ने बताया कि कई घंटे मैदा को गलाने के बाद मैदा को हाथों में लेकर खींच-खींचकर लंबा किया जाता है. मैदा को लंबा करने के बाद उनको काटकर लाए गए मेहंदी के पेड़ों पर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इनको झाड़ियों से उतारकर सिकवाने के लिए बेकरी पर ले जाया जाता है.

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जिसके बाद ये बेचने के लिऐ एकदम तैयार हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि वह डिमांड के हिसाब से लोगों को बेचते हैं. कई लोगों को मोटी तो कई लोगों को महीन सेवाइयां पसंद आती है, उसी हिसाब से वे लोगों को सेवइयां बेजते हैं.

महिला मजदूरों ने बताया कि वह करीबन 10 से 12 साल से सिवइयां बनाने का काम कर रही हैं. ऐसे में लॉकडाउन हो फिर भी उनको अपना काम तो करना ही होता है. इसके अलावा और कोई अन्य काम वो नहीं करती है. उनकी रोजी-रोटी सिवइयां बनाने से ही चलती है. इस दौरान वह ₹100 से लेकर ₹180 किलो तक इनसे सेवाइयां बेचती हैं. इस पूरे सीजन में एक मजदूर को 5 से ₹6000 तक की कमाई हो जाती है.

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