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स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का एकमात्र मंदिर जहां पर है पारे का शिवलिंग, एक बार पूजा करने पर हो जाती है सभी मनोकामनाएं पूर्ण

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Published : Aug 3, 2020, 10:37 AM IST

झालरापाटन के नौलखा किले में स्थित आंनद धाम मंदिर में राजस्थान का एकमात्र पारे का शिवलिंग स्थित है. सावन के पांचवे सोमवार के अवसर पर ईटीवी भारत आपकों दर्शन कराएगा पारे के शिवलिंग का. यहां के मंदिर के प्रति मान्यता है कि हजारों शिवलिंगों की पूजा करने पर जो आशीर्वाद प्राप्त होता है, वह इस शिवलिंग की एक बार पूजा करने पर ही प्राप्त हो जाता है.

झालावाड़ में पारे के शिवलिंग, Shivling of mercury in Jhalawar
पारे से बने शिवलिंग

झालरापाटन (झालावाड़). भगवान शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे खास माना जाता है. सावन के महीने में जहां कई भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं तो कई लोग प्रसिद्ध शिव मंदिरों में पूरे सावन महीने दर्शन करते हैं.

पारे से बने शिवलिंग

सावन के महीने में भी सोमवार का दिन भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष महत्व का दिन होता है. सोमवार के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हुए दर्शन करते हैं. ऐसे में सावन के चौथे सोमवार को हम आपको ऐसे मंदिर के दर्शन करवाएंगे जहां पर राजस्थान का एकमात्र पारे के शिवलिंग है.

पढ़ेंः सावन का दूसरा सोमवार : मनोवांछित फल के लिए भोले को मनाएंगे भक्त...इन मंत्रों के जाप से मिलेगा विशेष लाभ

झालावाड़ की धार्मिक नगरी झालरापाटन के नौलखा किले में स्थित आंनद धाम मंदिर में पारे का शिवलिंग है. आकार में बेहद छोटे से दिखने वाले इस पारे के शिवलिंग का वजन 108 किलो है. यह राजस्थान का एकमात्र पारे का शिवलिंग है. ऐसे में यह मंदिर न सिर्फ झालावाड़ में बल्कि पूरे हाड़ौती क्षेत्र और मध्यप्रदेश में भी बेहद प्रसिद्ध है.

झालावाड़ में पारे के शिवलिंग, Shivling of mercury in Jhalawar
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

सावन के महीने के साथ-साथ आम दिनों में भी यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती हैं. लोगों के अनेक प्रकार की मान्यताएं इस मंदिर से जुड़ी हुई है. कई सालों से यहां पर लोग पूजा अर्चना करते हुए आ रहे हैं. कोरोना के कहर के चलते यहां पर सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. उसके बावजूद भी सोमवार के दिन भक्त यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच रहे हैं.

पढ़ेंः सावन का चौथा सोमवार आज, श्रद्धालुओं ने की शिव की अराधना

मंदिर के पुजारी दिनेश पंडित ने बताया कि राजस्थान में एकमात्र आनंद धाम मंदिर में ही पारे से बना हुआ शिवलिंग है. जिसकी बहुत महिमा मानी जाती है. पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि अन्य हजारों शिवलिंगों की पूजा करने पर जो आशीर्वाद प्राप्त होता है, वह इस शिवलिंग की एक बार पूजा करने पर ही प्राप्त हो जाता है.

झालावाड़ में पारे के शिवलिंग, Shivling of mercury in Jhalawar
भक्तों की होती है हर मनोकामना पूरी

पारे के शिवलिंग की पूजा करके ही रावण ने भी अनेक शक्तियां प्राप्त कर ली थी. ऐसे में यहां पर पूजा अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पुजारी ने बताया कि हमेशा यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते बहुत कम श्रद्धालु मंदिर में आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सावन के महीने में शिवलिंग का विशेष श्रृंगार और अभिषेक किया जाता है.

पढ़ेंः सावन का चौथा सोमवार , भक्तों के लिए है विशेष फलदायी

वहीं, मंदिर में आए हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि वे करीब 20-25 सालों से इस मंदिर में आ रहे हैं. यहां पर आने के बाद उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही मंदिर में उनको मन की शांति भी मिलती है. सावन के महीने में वो मंदिर में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. जिसमें बिल्वपत्र और अन्य सामग्रियों के साथ शिवलिंग का अभिषेक करते हुए पूजा अर्चना की जाती है.

झालरापाटन (झालावाड़). भगवान शिव की आराधना के लिए सावन का महीना सबसे खास माना जाता है. सावन के महीने में जहां कई भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं तो कई लोग प्रसिद्ध शिव मंदिरों में पूरे सावन महीने दर्शन करते हैं.

पारे से बने शिवलिंग

सावन के महीने में भी सोमवार का दिन भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष महत्व का दिन होता है. सोमवार के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हुए दर्शन करते हैं. ऐसे में सावन के चौथे सोमवार को हम आपको ऐसे मंदिर के दर्शन करवाएंगे जहां पर राजस्थान का एकमात्र पारे के शिवलिंग है.

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झालावाड़ की धार्मिक नगरी झालरापाटन के नौलखा किले में स्थित आंनद धाम मंदिर में पारे का शिवलिंग है. आकार में बेहद छोटे से दिखने वाले इस पारे के शिवलिंग का वजन 108 किलो है. यह राजस्थान का एकमात्र पारे का शिवलिंग है. ऐसे में यह मंदिर न सिर्फ झालावाड़ में बल्कि पूरे हाड़ौती क्षेत्र और मध्यप्रदेश में भी बेहद प्रसिद्ध है.

झालावाड़ में पारे के शिवलिंग, Shivling of mercury in Jhalawar
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

सावन के महीने के साथ-साथ आम दिनों में भी यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती हैं. लोगों के अनेक प्रकार की मान्यताएं इस मंदिर से जुड़ी हुई है. कई सालों से यहां पर लोग पूजा अर्चना करते हुए आ रहे हैं. कोरोना के कहर के चलते यहां पर सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली है. उसके बावजूद भी सोमवार के दिन भक्त यहां पर पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच रहे हैं.

पढ़ेंः सावन का चौथा सोमवार आज, श्रद्धालुओं ने की शिव की अराधना

मंदिर के पुजारी दिनेश पंडित ने बताया कि राजस्थान में एकमात्र आनंद धाम मंदिर में ही पारे से बना हुआ शिवलिंग है. जिसकी बहुत महिमा मानी जाती है. पुजारी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि अन्य हजारों शिवलिंगों की पूजा करने पर जो आशीर्वाद प्राप्त होता है, वह इस शिवलिंग की एक बार पूजा करने पर ही प्राप्त हो जाता है.

झालावाड़ में पारे के शिवलिंग, Shivling of mercury in Jhalawar
भक्तों की होती है हर मनोकामना पूरी

पारे के शिवलिंग की पूजा करके ही रावण ने भी अनेक शक्तियां प्राप्त कर ली थी. ऐसे में यहां पर पूजा अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पुजारी ने बताया कि हमेशा यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते बहुत कम श्रद्धालु मंदिर में आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि सावन के महीने में शिवलिंग का विशेष श्रृंगार और अभिषेक किया जाता है.

पढ़ेंः सावन का चौथा सोमवार , भक्तों के लिए है विशेष फलदायी

वहीं, मंदिर में आए हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि वे करीब 20-25 सालों से इस मंदिर में आ रहे हैं. यहां पर आने के बाद उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही मंदिर में उनको मन की शांति भी मिलती है. सावन के महीने में वो मंदिर में शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना करते हैं. जिसमें बिल्वपत्र और अन्य सामग्रियों के साथ शिवलिंग का अभिषेक करते हुए पूजा अर्चना की जाती है.

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