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दांडी मार्च की तर्ज पर झालावाड़ में शांति मार्च का आयोजन

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Published : Mar 12, 2021, 10:37 PM IST

झालावाड़ में दांडी मार्च की तर्ज पर शांति मार्च का आयोजन किया गया. शांति मार्च झालावाड़ के गढ़ पैलेस से शुरू हुआ, जो मिनी सचिवालय में आकर संपन्न हुआ.

Rajasthan news  Dandi March  झालावाड़ न्यूज
झालावाड़ में शांति मार्च का आयोजन

झालावाड़. राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की 150वीं जयन्ती वर्ष और स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. जिसके तहत शुक्रवार को झालावाड़ में दांडी मार्च की तर्ज पर शांति मार्च का आयोजन किया गया. शांति मार्च का शुभारंभ महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की जिला संयोजिका मीनाक्षी चन्द्रावत ने हरी झंडी दिखाकर किया.

शांति मार्च झालावाड़ के गढ़ पैलेस से शुरु हुआ जो मिनी सचिवालय में आकर संपन्न हुआ. इसके शुभारंभ और समापन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं पुष्पाजंलि अर्पित की गई. शांति मार्च को संबोधित करते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर दाताराम ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक घटनाओं को पुर्नजीवित कर नई पीढ़ी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से परिचय कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि 12 मार्च, 1930 को आयोजित दांडी मार्च की तर्ज पर शांति मार्च का आयोजन किया गया है. जिससे वर्तमान पीढ़ी अहिंसात्मक रूप से अनुचित और गलत कार्यों का विरोध कर सके.

यह भी पढ़ें. राजस्थान विधानसभा में जनप्रतिनिधियों के सवालों के बीच गूंजे 'विनाश पुरुष और सत्यानाश' जैसे शब्द

इस मौके पर जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामजीवन मीणा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी. गलत कानून को किस प्रकार अहिंसात्मक रूप से विरोध किया जाता है. इससे नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए शांति मार्च का आयोजन किया गया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार यादव ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से प्रशासन की ओर से आजादी के आंदोलन को जीवंत करने का प्रयास किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें. 12 दिन बाद भी बालिका के अपहरण मामले में पुलिस के हाथ खाली, परिवार ने SP से लगाई गुहार

महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की जिला संयोजिका मीनाक्षी चन्द्रावत ने कहा कि ही 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से अपने 78 सहयोगियों के साथ गुजरात के समुद्रतटीय गांव दांडी तक 390 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अहिंसात्मक रूप से अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा. उसी तर्ज पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शांति मार्च का आयोजन कर युवा पीढ़ी को गांधीजी के पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया है. शांति मार्च में प्रतिकात्मक रूप से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पण्डित जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी बने स्कूल एवं स्काउट के बच्चों ने दांडी मार्च की जीवंत झांकी प्रस्तुत की.

झालावाड़. राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की 150वीं जयन्ती वर्ष और स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. जिसके तहत शुक्रवार को झालावाड़ में दांडी मार्च की तर्ज पर शांति मार्च का आयोजन किया गया. शांति मार्च का शुभारंभ महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की जिला संयोजिका मीनाक्षी चन्द्रावत ने हरी झंडी दिखाकर किया.

शांति मार्च झालावाड़ के गढ़ पैलेस से शुरु हुआ जो मिनी सचिवालय में आकर संपन्न हुआ. इसके शुभारंभ और समापन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं पुष्पाजंलि अर्पित की गई. शांति मार्च को संबोधित करते हुए अतिरिक्त जिला कलेक्टर दाताराम ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक घटनाओं को पुर्नजीवित कर नई पीढ़ी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से परिचय कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि 12 मार्च, 1930 को आयोजित दांडी मार्च की तर्ज पर शांति मार्च का आयोजन किया गया है. जिससे वर्तमान पीढ़ी अहिंसात्मक रूप से अनुचित और गलत कार्यों का विरोध कर सके.

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इस मौके पर जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामजीवन मीणा ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी. गलत कानून को किस प्रकार अहिंसात्मक रूप से विरोध किया जाता है. इससे नई पीढ़ी को अवगत कराने के लिए शांति मार्च का आयोजन किया गया है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार यादव ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से प्रशासन की ओर से आजादी के आंदोलन को जीवंत करने का प्रयास किया जा रहा है.

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महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की जिला संयोजिका मीनाक्षी चन्द्रावत ने कहा कि ही 12 मार्च, 1930 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से अपने 78 सहयोगियों के साथ गुजरात के समुद्रतटीय गांव दांडी तक 390 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अहिंसात्मक रूप से अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा. उसी तर्ज पर आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शांति मार्च का आयोजन कर युवा पीढ़ी को गांधीजी के पदचिह्नों पर चलने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया है. शांति मार्च में प्रतिकात्मक रूप से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पण्डित जवाहर लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी बने स्कूल एवं स्काउट के बच्चों ने दांडी मार्च की जीवंत झांकी प्रस्तुत की.

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