झालावाड़. कोरोना वायरस का संक्रमण झालावाड़ में लगातार अपने पैर पसारता जा रहा है. इसी बीच झालावाड़ का पिड़ावा कस्बा जो राजस्थान के शुरुआती कोरोना हॉटस्पॉट क्षेत्रों में से एक था, वह अब पूरी तरह से कोरोना मुक्त हो गया है.
7 अप्रैल को पहला मामला आया सामने
झालावाड़ में कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला 7 अप्रैल को सामने आया, जिसमें पिड़ावा कस्बे के दलेलपुरा मोहल्ले का एक व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमित निकला. उसके बाद उसी दिन 2 व्यक्ति और कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इनकी कांटेक्ट हिस्ट्री इंदौर, कोटा और बारां जिले की निकली. जिला प्रशासन ने 7 अप्रैल की रात में ही पिड़ावा नगरपालिका को जीरो मोबिलिटी क्षेत्र घोषित कर दिया. इसके बाद चिकित्सा विभाग ने करीब 40 लोगों को 10 एंबुलेंस के माध्यम से झालावाड़ भिजवाया. जहां पर उनके सैंपल लिए गए, जिसमें से 7 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए.
पिड़ावा में थे कुल 20 संक्रमित मरीज
इसके बाद इन सातों की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री तलाशी गई और फिर से करीब 40 लोगों को झालावाड़ भेजा गया, जहां पर जांच में 3 लोग और कोरोना संक्रमित पाए गए. ऐसे में महज 3 दिन में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 1 से 13 तक पहुंच गया. इसके बाद विभाग ने इनकी भी कांटेक्ट हिस्ट्री निकाली, जिसमें इनके खेत में काम करने वाला एक व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव निकला. वहीं, अबतक के सारे कोरोना पॉजिटिव दलेलपुरा मोहल्ले के थे लेकिन नया संक्रमित व्यक्ति माली मोहल्ले का था. ऐसे में माली मोहल्ले से भी 16 लोगों को झालावाड़ अस्पताल भिजवाया गया, जहां पर 17 अप्रैल को पिड़ावा का आखिरी पॉजिटिव केस सामने आया, जिससे पिड़ावा में संक्रमितों की कुल संख्या 20 पर पहुंच गई, उसके बाद एक भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला.
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सभी संक्रमित हो चुके हैं रिकवर
चिकित्सा विभाग के अथक प्रयासों और प्रशासन की सुचारू व्यवस्थाओं के कारण जिले का पहला कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति 26 अप्रैल को स्वस्थ होकर अपने घर पहुंच गया. उसके बाद 1 हफ्ते के अंदर सभी 20 मरीज रिकवर हो गए और 2 मई को आखिरी व्यक्ति भी स्वस्थ होकर अपने घर पर पहुंच गया. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद सभी को 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन रहने का आदेश दिया गया है.
चिकित्सा विभाग की भूमिका
पिड़ावा कस्बे को कोरोना मुक्त करने में सबसे अहम भूमिका चिकित्सा विभाग की रही. चिकित्सा विभाग की तरफ से पिड़ावा की कमान एनएचएम के ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर डॉ. शरद शर्मा को सौंपी गई. डॉ. शर्मा ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव केस मिलने के अगले ही दिन यानी 8 अप्रैल को चिकित्सा विभाग ने नगरपालिका के सभी 15 वार्डों में गहन सर्वे के लिए 42 टीमें बनाई, जिसमें आशा कार्यकर्ता, मेल नर्स, एएनएम आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शामिल रहे. इनकी मॉनिटरिंग के लिए 7 सुपरवाइजर भी बनाए गए.
चिकित्सा विभाग ने 3 चरण में की सैंपलिंग
शर्मा ने बताया कि चिकित्सा विभाग ने पहले चरण में 1925 घरों में जाकर 10,436 लोगों की स्क्रीनिंग की. विभाग को इस दौरान 93 लोग सर्दी, खांसी या जुखाम (आईएलआई) के रोगी मिले. जिनके सैंपल विभाग ने जांच के लिए भिजवाए. चिकित्सा विभाग का दूसरा चरण 13 अप्रैल को संपन्न हुआ. जिसमें विभाग ने 15 वार्डों के कुल 2094 घरों में जाकर 12480 लोगों का स्क्रीनिंग की. इस दौरान विभाग को आईएलआई के 15 पेशेंट मिले.
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वहीं सर्वे का आखिरी राउंड 22 अप्रैल को संपन्न हुआ, जिसमें विभाग ने 15 वार्डों के 2152 घरों में जाकर 12790 लोगों की स्क्रीनिंग की. जिसमें आईएलआई के 3 पेशेंट मिले. डॉ. शर्मा का कहना है कि मास सैम्पलिंग के कारण ही पिड़ावा कोरोना मुक्त हो पाया है.
पुलिस प्रशासन की भूमिका
पिड़ावा कस्बे में कोरोना की चेन तोड़ने में पुलिस प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. पुलिस की ओर से सुचारू रूप से व्यवस्था बनाए रखने के बागडोर पिड़ावा थाने के सीआई महेश सिंह ने संभाली. पुलिस प्रशासन की तरफ से सभी 15 वार्डों को चार अलग-अलग जोन में विभाजित किया गया और 125 जवानों की तैनातगी की गई. साथ ही उपखंड स्तर पर कोरोना कंट्रोल रूम भी बनाया गया.
कोरोना मरीजों का अनुभव
झालावाड़ जिले में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए सबसे पहले व्यक्ति का कहना है कि उनको खुद को पता नहीं चला कि वो किस जगह और किस व्यक्ति से संक्रमित हुए. लेकिन अस्पताल में ले जाने के बाद उनको अच्छी सुविधाएं मिली, जिसके चलते वो स्वस्थ हो पाए हैं.
अस्पताल में नहीं करते अच्छा व्यवहार
वहीं, एक और कोरोना संक्रमित मरीज ने बताया कि प्रशासन की बाहरी व्यवस्थाएं तो बहुत ठीक है, लेकिन संक्रमण की पहचान होने के बाद अस्पताल में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है. साथ ही सुविधाओं के नाम पर भी कुछ नहीं दिया जाता है.
समाज कर रहा छूआछूत
कोरोना संक्रमित मरीज ने बताया कि जब से वो स्वस्थ होकर लौटे हैं तब से समाज की ओर से उनके साथ छुआछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है. कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद भी लोग उनसे मिलने से डरते हैं. उन्होंने बताया कि इस कारण उनका ई मित्र की दुकान का काम बंद हो गया है.