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स्पेशलः बारिश कम होने के बाद भी झालावाड़ में नदियां उफान पर...जानें क्यों?

झालावाड़ जिले में नदियां उफान पर हैं. बांध अपनी भराव क्षमता के बराबर भर चुके हैं. लेकिन मानसून इस बार औसत से भी कम रहा. मध्यप्रदेश में जोरदार बारिश के कारण जिले के बांधों में पानी की बंपर आवक हुई. प्रशासन ने एहतियातन कई रास्ते बंद कर दिए हैं. पढ़े रिपोर्ट...

rain in jhalawar,  Monsoon in Jhalawar
झालावाड़ में नदियां उफान पर
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Published : Sep 4, 2020, 10:46 PM IST

झालावाड़. राजस्थान के चेरापूंजी कहे जाने वाले झालावाड़ में इस साल मानसून बेहद कमजोर रहा है. औसत बारिश से भी कम बारिश इस बार जिले में दर्ज की गई है. बावजूद इसके जिले से होकर बहने वाली नदियां पानी से लबालब हैं. इसके पीछे वजह है मध्यप्रदेश में हुई जोरदार बारिश. एमपी में इस बार जोरदार बारिश हुई है. जिसके चलते नदियों में पानी की आवक बढ़ गई है. झालावाड़ मध्यप्रदेश से सटा हुआ है. इसलिए जिले से होकर गुजरने वाली प्रमुख नदियों में पानी की जमकर आवक हो रही है.

मानसून के मुंह फेर लेने के बाद भी झालावाड़ में नदियां उफान पर

औसत से कम बारिश फिर भी लबालब नदियां

मध्यप्रदेश में औसत से अधिक बारिश का असर झालावाड़ की कालीसिंध, आहू, परवन व उजाड़ नदियों के जलस्तर में देखने को मिल रहा है. ये नदियां मध्यप्रदेश से झालावाड़ जिले में आती हैं. जो इस समय उफान पर हैं. जिसके चलते कई रास्तों को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से जिला मुख्यालय का ग्रामीण क्षेत्रों से संपर्क भी कट गया है. पिछले साल 3 सितंबर तक झालावाड़ में 1129.75 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई थी, जबकि इस वर्ष 3 सितंबर तक महज 684.04 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है.

rain in jhalawar,  Monsoon in Jhalawar
झालावाड़ में औसत 950 एमएम बारिश होती है

पढ़ें: SPECIAL: भरतपुर के 'अपना घर' आश्रम में आश्रय लेंगे यूपी के 292 निराश्रित प्रभुजन

2020 में मानसून की बेरुखी

झालावाड़ में वर्ष 2019-20 में 1772.92 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी. वहीं, वर्ष 2018-19 में 1280.15 मिलीमीटर बारिश हुई. 2017-18 में जिले में 1034 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी. लेकिन इस बार मानसून अपने आखिरी महीने में है और जिले में केवल 684 एमएम बारिश ही हुई है. जो औसत बारिश से से भी कम है. जिले में औसत 950 एमएम बारिश होती है.

rain in jhalawar,  Monsoon in Jhalawar
बांधों के गेट खोल कर पानी की निकासी की जा रही है

प्रमुख बांधों से की जा रही है पानी की निकासी

जिले के प्रमुख बांध कालीसिंध, राजगढ़, भीमसागर, चंवली और छापी से पानी की लगातार निकासी की जा रही है. सभी बांधों में भराव क्षमता जितने पानी की आवक हो चुकी है. कालीसिंध बांध की भराव क्षमता 316 मीटर है जबकि इसमें 315.84 मीटर पानी की आवक हो चुकी है. राजगढ़ बांध में 374.20 मीटर पानी की आवक हो चुकी है. जबकि इसकी भराव क्षमता 379.20 है. इसी तरह से छापी बांध अपनी भराव क्षमता 342.40 के मुकाबले 342.30 मीटर भर चुका है. भीम सागर बांध 308.54 के मुकाबले 308.34 के स्तर पर पहुंच गया है तथा चंवली 356.5 के मुकाबले 349.98 मीटर तक भर गया है.

झालावाड़ प्रशासन ने निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. वहीं, राहत एवं बचाव कार्यों की टीमों को भी एक्टिव कर दिया है. अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं.

झालावाड़. राजस्थान के चेरापूंजी कहे जाने वाले झालावाड़ में इस साल मानसून बेहद कमजोर रहा है. औसत बारिश से भी कम बारिश इस बार जिले में दर्ज की गई है. बावजूद इसके जिले से होकर बहने वाली नदियां पानी से लबालब हैं. इसके पीछे वजह है मध्यप्रदेश में हुई जोरदार बारिश. एमपी में इस बार जोरदार बारिश हुई है. जिसके चलते नदियों में पानी की आवक बढ़ गई है. झालावाड़ मध्यप्रदेश से सटा हुआ है. इसलिए जिले से होकर गुजरने वाली प्रमुख नदियों में पानी की जमकर आवक हो रही है.

मानसून के मुंह फेर लेने के बाद भी झालावाड़ में नदियां उफान पर

औसत से कम बारिश फिर भी लबालब नदियां

मध्यप्रदेश में औसत से अधिक बारिश का असर झालावाड़ की कालीसिंध, आहू, परवन व उजाड़ नदियों के जलस्तर में देखने को मिल रहा है. ये नदियां मध्यप्रदेश से झालावाड़ जिले में आती हैं. जो इस समय उफान पर हैं. जिसके चलते कई रास्तों को बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से जिला मुख्यालय का ग्रामीण क्षेत्रों से संपर्क भी कट गया है. पिछले साल 3 सितंबर तक झालावाड़ में 1129.75 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई थी, जबकि इस वर्ष 3 सितंबर तक महज 684.04 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है.

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झालावाड़ में औसत 950 एमएम बारिश होती है

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2020 में मानसून की बेरुखी

झालावाड़ में वर्ष 2019-20 में 1772.92 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी. वहीं, वर्ष 2018-19 में 1280.15 मिलीमीटर बारिश हुई. 2017-18 में जिले में 1034 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी. लेकिन इस बार मानसून अपने आखिरी महीने में है और जिले में केवल 684 एमएम बारिश ही हुई है. जो औसत बारिश से से भी कम है. जिले में औसत 950 एमएम बारिश होती है.

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बांधों के गेट खोल कर पानी की निकासी की जा रही है

प्रमुख बांधों से की जा रही है पानी की निकासी

जिले के प्रमुख बांध कालीसिंध, राजगढ़, भीमसागर, चंवली और छापी से पानी की लगातार निकासी की जा रही है. सभी बांधों में भराव क्षमता जितने पानी की आवक हो चुकी है. कालीसिंध बांध की भराव क्षमता 316 मीटर है जबकि इसमें 315.84 मीटर पानी की आवक हो चुकी है. राजगढ़ बांध में 374.20 मीटर पानी की आवक हो चुकी है. जबकि इसकी भराव क्षमता 379.20 है. इसी तरह से छापी बांध अपनी भराव क्षमता 342.40 के मुकाबले 342.30 मीटर भर चुका है. भीम सागर बांध 308.54 के मुकाबले 308.34 के स्तर पर पहुंच गया है तथा चंवली 356.5 के मुकाबले 349.98 मीटर तक भर गया है.

झालावाड़ प्रशासन ने निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है. वहीं, राहत एवं बचाव कार्यों की टीमों को भी एक्टिव कर दिया है. अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्थिति पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं.

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