ETV Bharat / state

डेढ़ महीने देरी से हो रही है काले सोने की तुलाई, अफीम किसानों को सता रही है वजन कम होने की चिंता - poppy news

झालावाड़ में अफिम की तुलाई डेढ़ महीने देरी से हो रही है. जिसके वजह से अफीम का वजन कम हो गया है. जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.

jhalawar poppy news, jhalawar news in hindi
jhalawar poppy news
author img

By

Published : May 10, 2020, 6:32 PM IST

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते सभी क्षेत्रों को नुकसान हो रहा है. इसी कड़ी में काला सोना यानी अफीम की खेती करने वाले किसान भी हैं. जिन्हें लॉकडाउन की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.

देरी से तुलाई होने के कारण चिंता में है अफीम किसान

दरअसल नारकोटिक्स विभाग ने झालावाड़ में 1494 किसानों को अफीम की खेती करने के पट्टे दिए हुए हैं. ऐसे में किसानों ने अफीम की अच्छे से खेती भी की. लेकिन देरी से हो रही तुलाई के कारण किसान चिंतित हो रहे हैं. दरअसल हर बार अफीम की तुलाई मार्च के आखिर तक पूरी हो जाती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार डेढ़ महीने देरी से अफीम की तुलाई हो रही है. जिसके चलते अफीम का मॉइस्चर खत्म हो रहा है और किसानों के पास रखे-रखे ही अफीम का वजन कम हो रहा है.

बता दें कि अफीम के पौधों को पकने के बाद उसमें से दूध निकालने के लिए चीरा लगाया जाता है और उसी समय उस दूध का वजन किसानों को रजिस्टर में दर्ज करना होता है. ऐसे में किसानों ने चीरा लगाकर दूध निकालने का काम तो तय समय पर कर लिया, लेकिन नारकोटिक्स विभाग अफीम की तुलाई देरी से कर रहा है. जिसके चलते अफीम का वजन कम हो रहा है. ऐसे में अफीम का वजन कम होने से किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई है. क्योंकि नारकोटिक्स विभाग किसानों से चीरा लगाते समय दर्ज किए गए वजन के हिसाब से ही अफीम लेता है.

पढ़ें: EXCLUSIVE: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर कोरोना का अटैक, लॉकडाउन में लगभग 16,000 करोड़ का घाटा

ऐसे में कम हुआ अफीम का वजन किसानों को मुसीबत में डाल सकता है. किसानों ने बताया कि अफीम का वजन कम हो जाने से नारकोटिक्स विभाग उनका लाइसेंस रद्द कर सकता है. साथ ही कानूनी कार्रवाई की भी आशंका रहती है. वहीं नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से तुलाई डेढ़ महीने देरी से हो रही है. लेकिन किसानों की अफीम का वजन कम होने की बात है तो वो तो तुलाई के बाद ही कहा जा सकेगा.

झालावाड़. कोरोना वायरस के चलते सभी क्षेत्रों को नुकसान हो रहा है. इसी कड़ी में काला सोना यानी अफीम की खेती करने वाले किसान भी हैं. जिन्हें लॉकडाउन की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है.

देरी से तुलाई होने के कारण चिंता में है अफीम किसान

दरअसल नारकोटिक्स विभाग ने झालावाड़ में 1494 किसानों को अफीम की खेती करने के पट्टे दिए हुए हैं. ऐसे में किसानों ने अफीम की अच्छे से खेती भी की. लेकिन देरी से हो रही तुलाई के कारण किसान चिंतित हो रहे हैं. दरअसल हर बार अफीम की तुलाई मार्च के आखिर तक पूरी हो जाती थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इस बार डेढ़ महीने देरी से अफीम की तुलाई हो रही है. जिसके चलते अफीम का मॉइस्चर खत्म हो रहा है और किसानों के पास रखे-रखे ही अफीम का वजन कम हो रहा है.

बता दें कि अफीम के पौधों को पकने के बाद उसमें से दूध निकालने के लिए चीरा लगाया जाता है और उसी समय उस दूध का वजन किसानों को रजिस्टर में दर्ज करना होता है. ऐसे में किसानों ने चीरा लगाकर दूध निकालने का काम तो तय समय पर कर लिया, लेकिन नारकोटिक्स विभाग अफीम की तुलाई देरी से कर रहा है. जिसके चलते अफीम का वजन कम हो रहा है. ऐसे में अफीम का वजन कम होने से किसानों की चिंताएं बढ़ी हुई है. क्योंकि नारकोटिक्स विभाग किसानों से चीरा लगाते समय दर्ज किए गए वजन के हिसाब से ही अफीम लेता है.

पढ़ें: EXCLUSIVE: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर कोरोना का अटैक, लॉकडाउन में लगभग 16,000 करोड़ का घाटा

ऐसे में कम हुआ अफीम का वजन किसानों को मुसीबत में डाल सकता है. किसानों ने बताया कि अफीम का वजन कम हो जाने से नारकोटिक्स विभाग उनका लाइसेंस रद्द कर सकता है. साथ ही कानूनी कार्रवाई की भी आशंका रहती है. वहीं नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से तुलाई डेढ़ महीने देरी से हो रही है. लेकिन किसानों की अफीम का वजन कम होने की बात है तो वो तो तुलाई के बाद ही कहा जा सकेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.