झालावाड़. वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में स्वास्थ्य कर्मी पूरे विश्व में कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रहे हैं. आम जनता से लेकर प्रशासन ने स्वास्थ्य कर्मियों को उनकी सेवाओं के लिए जमकर सराहा, लेकिन जमीनी स्तर पर इन कोरोना वॉरियर्स को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा है.
जहां पहले स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना से सुरक्षा के लिए जरूरी चीजें जैसे पीपीई किट और मास्क की कमी देखने को मिली वहीं अब सरकार झालावाड़ में नर्सिंग कर्मियों की आर्थिक सेहत को लेकर लापरवाह बनी हुई है. जिले में नर्सिंग भर्ती 2018 के तहत चयनित किए गए 183 नर्सिंग कर्मियों को नौकरी लगने के बाद से वेतन नहीं मिल पाया है. ऐसे में यह नर्सिंग कर्मी खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे हैं.
नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि राजस्थान नर्सेज सीधी भर्ती 2018 के तहत स्वास्थ्य विभाग ने 28 अप्रैल 2020 को उनकी नियुक्ति और पदस्थापन के आदेश जारी किए थे, लेकिन जो चयनित नर्सिंग कर्मी पहले से ही संविदा या अन्य सेवाओं के माध्यम से काम कर रहे थे. उनको सरकार ने कार्यमुक्त नहीं करने के आदेश जारी करते हुए उसी जिले में कार्य करने के आदेश दिए थे.
ऐसे में झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 127 और स्वास्थ्य विभाग झालावाड़ में 56 नर्सिंग कर्मी अपनी सेवाएं दे रहे थे. जिसके बाद 5 अगस्त को चयनित नर्सिंग कर्मियों को यथास्थान कार्यग्रहण करवाने के आदेश जारी हुए. उसके बाद चिकित्सा विभाग के द्वारा 11 सितंबर को आदेश जारी करते हुए चयनित नर्सिंग कर्मियों को वेतन देने के आदेश जारी किए गए. नर्सिंग कर्मियों को संविदा की सैलरी मिलना बंद हो गई थी. उसके बावजूद झालावाड़ मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग कर्मियों के वेतन आहरण की व्यवस्था नहीं की है. जिसके कारण नर्सिंग कर्मियों को ना तो संविदा की सैलरी मिल पा रही है और ना सरकारी नौकरी की.
नर्सिंग कर्मियों ने बताया कि झालावाड़ में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों में 90 प्रतिशत नर्सिंग कर्मी बाहरी जिलों के हैं. नर्सिंग कर्मी यहां पर कमरा किराया लेकर रहते हैं. ऐसे में वेतन नहीं मिलने से अब उनको कमरे का किराया चुकाना भी मुश्किल होता जा रहा है. इसके अलावा अनेक प्रकार की आर्थिक परेशानियां उनको झेलने पड़ रही है. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कई नर्सिंग कर्मियों को मानसिक अवसाद से भी गुजरना पड़ रहा है.
नर्सिंग कर्मियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौर में वो लगातार बिना कोई अवकाश और वेतन लिए कार्य कर रहे है. ऐसे में सरकार के आदेश होने के बावजूद भी झालावाड़ मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उनके वेतन की व्यवस्था नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है.
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वहीं, झालावाड़ चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र गुप्ता का कहना है कि 11 सितंबर को सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में चयनित नर्सिंग कर्मियों का वेतन आहरण करने के लिए आदेश जारी किया था, लेकिन झालावाड़ मेडिकल कॉलेज सोसाइटी के माध्यम से संचालित होता है. ऐसे में नर्सिंग कर्मियों के वेतन आहरण की व्यवस्था करने के लिए उच्च अधिकारियों को मार्गदर्शन पत्र लिखा गया है.