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झालावाड़: यहां से गुजरी थी भगवान राम की सेना....

झालावाड़ में नेवज नदी के किनारे बड़ी संख्या में कई आकृतियों के काले और लाल-भूरे रंगे के पत्थर देखे जा सकते हैं. लोग इसे आस्था का प्रतीक मानते हैं. लोगों का कहना है, कि यहां से भगवान राम की सेना गुजरी थी. पत्थरों पर शेर, हाथी और घोड़े के पदचिह्न आज भी मौजूद हैं. इस पवित्र स्थल पर लोग अस्थि विसर्जन और पिंडदान भी करते हैं.

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Published : Dec 28, 2019, 10:21 AM IST

Updated : Dec 28, 2019, 12:08 PM IST

Jhalawar news, Nevaj river, झालावाड़ समाचार
पत्थरों पर शेर-घोड़े के पदचिह्न

मनोहरथाना (झालावाड़). मनोहरथाना क्षेत्र के नेवज नदी के किनारे बड़ी संख्या में मौजूद काले और लाल-भूरे रंग के पत्थर लोगों की आस्था का प्रतीक हैं. लोगों का कहना है, कि पुरातत्व विभाग इस पर शोध कर अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का प्रयास कर सकता है. लोग इसे हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हरिद्वार की तरह महत्व देते हैं.

पत्थरों पर शेर-घोड़े के पदचिह्न

बताया जाता है, कि इस पवित्र स्थल पर लोग अस्थि विसर्जन और पिंडदान करते हैं. इस पवित्र स्थल पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी विराजमान है. कहा जाता है, कि यहां के इन पत्थरों से भगवान श्री राम की सेना गुजरी थी, जिसके पदचिह्न आज भी पत्थरों पर मौजूद हैं. जिसमें शेर, चीता, भालू, हाथी घोड़े के चिह्न पत्थरों पर मौजूद हैं. बताया जाता है, कि यहां पर आने वाले श्रद्धालु इन पत्थरों को शालिग्राम भगवान की तरह पूजा पाठ करके इन पत्थरों को पूजते हैं.

यह भी पढ़ें- हाड़ोती संभाग में कड़ाके की ठंड, सड़कों पर पसरा सन्नाटा

वहीं आने वाले श्रद्धालुओं की मांग है, कि इसे पर्यटक स्थल के रुप में बढ़ाया जाए, ताकि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधा का लाभ मिल सके. बताया जाता है, कि श्रीराम सन्याघाट नेवज नदी पर दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं और यहां पवित्र स्नान करते हैं. श्रद्धालु के लिए यहां पर धार्मिक अनुष्ठान और भंडारे आयोजित किए जाते हैं. जानकारी के अनुसार आने वाले पर्यटक यहां पर नाव पर बैठकर भ्रमण करते हैं और पत्थरों पर सेल्फी लेते रहते हैं.

मनोहरथाना (झालावाड़). मनोहरथाना क्षेत्र के नेवज नदी के किनारे बड़ी संख्या में मौजूद काले और लाल-भूरे रंग के पत्थर लोगों की आस्था का प्रतीक हैं. लोगों का कहना है, कि पुरातत्व विभाग इस पर शोध कर अनसुलझे पहलुओं को सुलझाने का प्रयास कर सकता है. लोग इसे हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हरिद्वार की तरह महत्व देते हैं.

पत्थरों पर शेर-घोड़े के पदचिह्न

बताया जाता है, कि इस पवित्र स्थल पर लोग अस्थि विसर्जन और पिंडदान करते हैं. इस पवित्र स्थल पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी विराजमान है. कहा जाता है, कि यहां के इन पत्थरों से भगवान श्री राम की सेना गुजरी थी, जिसके पदचिह्न आज भी पत्थरों पर मौजूद हैं. जिसमें शेर, चीता, भालू, हाथी घोड़े के चिह्न पत्थरों पर मौजूद हैं. बताया जाता है, कि यहां पर आने वाले श्रद्धालु इन पत्थरों को शालिग्राम भगवान की तरह पूजा पाठ करके इन पत्थरों को पूजते हैं.

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वहीं आने वाले श्रद्धालुओं की मांग है, कि इसे पर्यटक स्थल के रुप में बढ़ाया जाए, ताकि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधा का लाभ मिल सके. बताया जाता है, कि श्रीराम सन्याघाट नेवज नदी पर दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं और यहां पवित्र स्नान करते हैं. श्रद्धालु के लिए यहां पर धार्मिक अनुष्ठान और भंडारे आयोजित किए जाते हैं. जानकारी के अनुसार आने वाले पर्यटक यहां पर नाव पर बैठकर भ्रमण करते हैं और पत्थरों पर सेल्फी लेते रहते हैं.

Intro:पत्थरों को भगवान की तरफ पूछते हैं इस स्थल पर भगवान भोलेनाथ पर श्रद्धालु रुद्राभिषेक गंगा जल चढ़ाते रहते हैं यहां पर आने वाले पर्यटक पत्थरों पर बनी विभिन्न आकृतियों का फोटो सेल्फी लेते रहते हैं तथा मरने वालों की अस्थियां विसर्जन कर पिंडदान भी करते हैं इस स्थल पर धार्मिक आयोजन विवाह शादी आदि कार्यक्रम भी आयोजित होता हैBody:आज भी पत्थरों को भगवान की तरह पूजा जाता है इसे आस्था कहें या चमत्कार


मनोहरथाना झालावाड़ हेमराज शर्मा

झालावाड़ जिले के नेवज नदी किनारे विशाल संख्या में कहीं पत्थर की बड़ी-बड़ी काले रंग और लाल भूरी पत्थरों की विभिन्न प्रकार की आकृतियों की पत्थर की शिलाएं मौजूद है हर पत्थर पर कोई न कोई आकृति जरूर है अब इससे आप चमत्कार कहें या आस्था का प्रतीक माने विचार करने वाली एवं शोध का एक विषय है यदि पुरातत्व विभाग इस पर शोध कर अनसुलझे पहलू को सुल जाने का प्रयास करें परंतु झालावाड़ जिले के नेवज नदी किनारे श्रीराम सन्याघाट पवित्र तीर्थ स्थल जिसको हरिद्वार की गंगा की तरह महत्व दिया जाता है। इस पवित्र तीर्थ स्थल पर मरने के उपरांत लोग यहां पर हस्तियां विसर्जन करते हैं तथा पिंडदान भी करते हैं इस पवित्र तीर्थ स्थल पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर भी विराजित है कहां जाता है यहां के प्रत्येक पत्थर पर भगवान श्री राम की सेना यहां होकर निकली थी जिसके आज भी पत्थरों पर पदचिन्ह सुशोभित है जिसमें शेर चीता भालू वानर गाय मानवरहित पैरों के चिन्ह हाथी घोड़े आदि के चिन्ह हजारों पत्थरों पर मौजूद है यह एक उलझा हुआ पहलू है इतने विशाल पत्थरों पर इतने सारे विशाल संख्या की मात्राओं में पद चिन्ह कैसे बन गए देखने वाली बात यह है यहां पर आने वाले भक्तगण श्रद्धालु इन पत्थरों को शालक ग्राम भगवान की तरह एवं भगवान की तरह पूजा पाठ करके इन पत्थरों को पूजते हैं।
वही आने वाले श्रद्धालुओं के मांग है कि इस पर्यटक स्थल के लिए पर्यटक स्थल के लिए आज से इसे बढ़ावा दिया जाए ताकि यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधा का लाभ मिल सके तथा पर्यटक स्थल का दर्जा दिया जाए।Conclusion:श्रीराम सन्याघाट नेवज नदी पर दूरदराज सहित विभिन्न राज्यों के लोग पवित्र तीर्थ स्थल पर आते हैं तथा यहां पर पवित्र स्नान करके कुष्ठ रोग विभिन्न प्रकार के बड़ों के लिए इस पवित्र तीर्थ स्थल पर स्नान करके पुण्य लाभ अर्जित करते हैं तथा यहां पर कहीं धार्मिक अनुष्ठान एवं भोजन प्रसादी भंडारे आयोजित किए जाते हैं इस तीर्थ स्थल पर हर तबके के अधिकारी कर्मचारी जनप्रतिनिधि हर कोई इस पवित्र तीर्थ पर आते रहते हैं

आने वाले पर्यटक यहां पर नाव के अंदर बैठकर भ्रमण करते हैं तथा पत्थरों पर फोटो सेल्फी लेते रहते हैं तथा न्यू वर्ष , तीज त्योहारों पर शादी विवाह पार्टी आदि कार्यक्रम इस स्थल पर आयोजित होते रहते हैं।
Last Updated : Dec 28, 2019, 12:08 PM IST
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