झालावाड़. कोटा से कोरोना संक्रमित बेटी के शव को कार में सीट से बांध कर झालावाड़ लाने के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. पहले मृतका के पिता का कहना था कि अस्पताल में मौजूद एंबुलेंस चालकों ने उससे शव ले जाने के लिए 35 हजार रुपये मांगे थे. वहीं अगले दिन एक चश्मदीद का वीडियो वायरल हुआ. जिसमें वह कह रहा था कि मृतका का पिता स्वेच्छा से बेटी के शव को कार से ले गया था. अब मृतका के सुसराल वालों ने ईटीवी भारत को बताया है कि सीमा के पिता से एंबुलेंस चालकों ने 35000 रुपये की मांग की थी. जिसके चलते उन्हें निजी कार में शव को झालावाड़ लाना पड़ा.
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मृतका के ससुर रमेश ने बताया कि कुछ दिनों पहले उसके बेटे दीपक कुमार और बहू सीमा कोरोना पॉजिटिव हो गए थे. जिसके बाद सीमा को उसके पीहर वाले ले गए और दीपक का झालावाड़ में ही इलाज करवाया जा रहा था. सीमा की तबीयत बिगड़ने पर उसे कोटा के कोविड अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां पर उसकी तबीयत में सुधार हो रहा था. परिजनों का कहना है कि इस दौरान डॉक्टरों के पास वीआईपी को भर्ती करने का फोन आया तो सीमा को जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया. जहां कुछ घंटों बाद ही सीमा की मौत हो गई.
सीमा के ससुर ने उसके पिता से बात की तो उन्होंने बताया कि वो शव को निजी कार से ही झालावाड़ लेकर आ रहे हैं. सीमा के शव को घर लाए बिना ही सीधे श्मशान घाट ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया गया. सीमा के ससुराल वालों ने बताया कि पैसे मांगने की बात सीमा के पिता ने उनको अगले दिन बताई. सीमा के पिता ने बताया कि एंबुलेंस वालों ने उससे शव ले जाने के लिए 35 हजार रुपये की डिमांड की थी. जिसके चलते उनको शव निजी कार से लाना पड़ा. सीमा का एक 8 साल का बच्चा भी है, जिसका नाम अनमोल है. वही उसका पति दीपक अब कोरोना से रिकवर हो चुका है.