ETV Bharat / state

अनोखी परंपरा : मनोकामना पूरी होती है तो धधकते अंगारों पर चलते हैं श्रद्धालु - Superstition in Jhalawar

डग कस्बे के हनुमान मंदिर में धुलंडी के दिन चूल आयोजन होता है. ये परंपरा 100 साल से चली आ रही है. जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वे धुलंडी के दिन होनी वाली चूल में नंगे पैर धधकते अंगारों पर चलकर भगवान का धन्यवाद देते हैं.

Tradition in Jhalawar's step,  Superstition in Jhalawar,  Jhalawar Dag barefoot on coals
झालावाड़ में अनोखी परंपरा
author img

By

Published : Mar 30, 2021, 10:06 PM IST

झालावाड़. जिले के डग कस्बे के चौकड़ी दरवाजे के समीप हनुमान मंदिर परिसर में धुलंडी की शाम को चूल आयोजन किया जाता है. श्रद्धा कहे या अंधविश्वास लेकिन 100 सालों से चली आ रही यह चूल की परंपरा आज भी बरकरार है.

झालावाड़ में अनोखी परंपरा

जिन श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं वो धुलंडी के दिन चूल में जलते अंगारों पर नंगे पांव चलकर भगवान का धन्यवाद करते हैं. चूल में महिला पुरुष युवक युवतियां एवं छोटे-छोटे बच्चे भी निकलते हैं. यहां के व्यवस्थापक पंकज वॉशरमैन ने बताया कि डग में सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है.

जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ रहती है. राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. होली धुलंडी के अवसर पर सांय 5 बजे चौकड़ी दरवाजा स्थित हनुमान मंदिर पर धधंकते अंगारों से नंगे पैर श्रद्धालुओं का निकलने का सिलसिला जारी. जिसमें 10 फीट लंबी डेढ फिट चौड़ी और सवा दो फीट गहरी खाई खोदकर उसमें दो 2 क्विंटल लकड़ी के धधकते अंगारे डाले गए.

पढ़ें- परंपरा: धधकते अंगारों के बीच से नंगे पांव निकला मोनू पंडा, हजारों लोग रहे मौजूद

इसके बाद इस पर श्रद्धालु नंगे पैर निकले. चूल में धधकते अंगारो को देखने के लिए डग एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र एवं दूर दराज से लोग शामिल हुए. भगवान हनुमान जी एवं वेराई माता की पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु चुल में धंधकते अंगारों पर निकलते हैं.

झालावाड़. जिले के डग कस्बे के चौकड़ी दरवाजे के समीप हनुमान मंदिर परिसर में धुलंडी की शाम को चूल आयोजन किया जाता है. श्रद्धा कहे या अंधविश्वास लेकिन 100 सालों से चली आ रही यह चूल की परंपरा आज भी बरकरार है.

झालावाड़ में अनोखी परंपरा

जिन श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं वो धुलंडी के दिन चूल में जलते अंगारों पर नंगे पांव चलकर भगवान का धन्यवाद करते हैं. चूल में महिला पुरुष युवक युवतियां एवं छोटे-छोटे बच्चे भी निकलते हैं. यहां के व्यवस्थापक पंकज वॉशरमैन ने बताया कि डग में सौ से अधिक वर्षों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है.

जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ रहती है. राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. होली धुलंडी के अवसर पर सांय 5 बजे चौकड़ी दरवाजा स्थित हनुमान मंदिर पर धधंकते अंगारों से नंगे पैर श्रद्धालुओं का निकलने का सिलसिला जारी. जिसमें 10 फीट लंबी डेढ फिट चौड़ी और सवा दो फीट गहरी खाई खोदकर उसमें दो 2 क्विंटल लकड़ी के धधकते अंगारे डाले गए.

पढ़ें- परंपरा: धधकते अंगारों के बीच से नंगे पांव निकला मोनू पंडा, हजारों लोग रहे मौजूद

इसके बाद इस पर श्रद्धालु नंगे पैर निकले. चूल में धधकते अंगारो को देखने के लिए डग एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र एवं दूर दराज से लोग शामिल हुए. भगवान हनुमान जी एवं वेराई माता की पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु चुल में धंधकते अंगारों पर निकलते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.