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स्पेशल रिपोर्ट : कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान कर श्रद्धालुओं ने कमाया पुण्य

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Published : Nov 12, 2019, 10:28 AM IST

झालावाड़ के मनोहरथाना के श्रीराम संध्या घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. इस अवसर पर लोगों ने आस्था और विश्वास की डुबकी लगाई और पूजा-आराधना की. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा पर यहां 7 दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है. जिसका मंगलवार को अंतिम दिन होगा.

devotees bathe on Kartik Purnima, मनोहर थाना में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान

मनोहरथाना (झालावाड़). कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व होता है. इस दिन पुण्य प्राप्ति के लिए लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं. साथ ही मां गंगा की पूजा-अर्चना भी करते हैं. स्नान के बाद भक्त बहती गंगा में दीप दान करते हैं. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में नहाने से पुण्य प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा विशेष फल देने वाली होती है. जो भी भक्त सच्चे मन और विश्वास के साथ गंगा में डुबकी लगाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं.

मनोहर थाना में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान

इस कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर झालावाड़ जिले के मनोहरथाना में श्रीराम संध्याघाट पर आस्था और श्रद्धा का नजारा दिखा. जहां हजारों श्रद्धालु घाटों पर स्नान के लिए पहुंचे. श्रीराम संध्याघाट में कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालुओं ने नदी में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया. सभी ने आस्था और विश्वास का प्रतीक मानते हुए डुबकी लगाई और पूजा आराधना की. साथ ही गौ माता को विभिन्न प्रकार के व्यंजन, मिष्ठान्न और चारा खिलाकर पुण्य प्राप्त किया.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी : 2009 में लापता हुआ युवक 10 साल बाद जोधपुर में मिला, मृत मान बैठे थे परिजन

कार्तिक पूर्णिमा पर 7 दिवसीय मेले का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए यहां 7 दिवसीय मेला आयोजित किया गया. जिसमें विभिन्न प्रकार की दुकान और तरह-तरह के झुले, मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. वहीं सर्दी के माहौल को देखते हुए अधिकतर बाजारों में ऊनी कपड़ों की खरीदारी ज्यादा हुई. इस बार भी मेले में सर्दी के मौसम को देखते हुए लोगों ने जमकर खरीदारी का लुफ्त उठाया. यह मेला हाड़ौती संभाग के ग्रामीण स्तर पर सबसे बड़ा मेला माना जाता है. जिसमें राजस्थान और मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन पहुंचते हैं. वहीं मेला प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखी गई हैं.

गंगा में स्नान के साथ की जाती है विष्णु और शिव की पुजा

स्कंद पुराण की माने तो आज के दिन स्वर्ग से देवतागण धरती पर आते हैं. इसीलिए भोले नाथ की नगरी में गंगा में स्नान और पूजन करने से शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मोक्ष मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रीराम संध्याघाट पर श्री श्री 1008 रामानुज संप्रदाय संत और क्षेत्र से आए हुए साधु संत पहला स्नान करते हैं.

इसी दिन विष्णु भगवान ने लिया था ये अवतार

विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था. प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में धरती पर आए थे. भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों और राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था. इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्ट: भरतपुर के बंसी पहाड़पुर से जा रहा राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर, जानिए क्या है खासियत

इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं

शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार किया था. इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है. इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं.

कुंवारी कन्याएं रखती है मौन वर्त

कार्तिक पूर्णिमा पर कुंवारी कन्या और सभी श्रद्धालु श्रद्धा और विश्वास के साथ गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं. वहीं कुंवारी कन्या कार्तिक पूर्णिमा के दिन मोक्ष दायिनी गंगा में पहला स्नान करती है. ऐसा कहा जाता है कुंवारी कन्या सुख, समृद्धि और अच्छे वर प्राप्ति के लिए सवा महीने तक लगातार मौन व्रत धारण करके यहां स्नान करने के लिए आती है.

मनोहरथाना (झालावाड़). कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व होता है. इस दिन पुण्य प्राप्ति के लिए लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं. साथ ही मां गंगा की पूजा-अर्चना भी करते हैं. स्नान के बाद भक्त बहती गंगा में दीप दान करते हैं. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा में नहाने से पुण्य प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा विशेष फल देने वाली होती है. जो भी भक्त सच्चे मन और विश्वास के साथ गंगा में डुबकी लगाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं.

मनोहर थाना में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान

इस कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर झालावाड़ जिले के मनोहरथाना में श्रीराम संध्याघाट पर आस्था और श्रद्धा का नजारा दिखा. जहां हजारों श्रद्धालु घाटों पर स्नान के लिए पहुंचे. श्रीराम संध्याघाट में कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही श्रद्धालुओं ने नदी में आस्था की डुबकी लगाना शुरू कर दिया. सभी ने आस्था और विश्वास का प्रतीक मानते हुए डुबकी लगाई और पूजा आराधना की. साथ ही गौ माता को विभिन्न प्रकार के व्यंजन, मिष्ठान्न और चारा खिलाकर पुण्य प्राप्त किया.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी : 2009 में लापता हुआ युवक 10 साल बाद जोधपुर में मिला, मृत मान बैठे थे परिजन

कार्तिक पूर्णिमा पर 7 दिवसीय मेले का आयोजन

कार्तिक पूर्णिमा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए यहां 7 दिवसीय मेला आयोजित किया गया. जिसमें विभिन्न प्रकार की दुकान और तरह-तरह के झुले, मेले में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. वहीं सर्दी के माहौल को देखते हुए अधिकतर बाजारों में ऊनी कपड़ों की खरीदारी ज्यादा हुई. इस बार भी मेले में सर्दी के मौसम को देखते हुए लोगों ने जमकर खरीदारी का लुफ्त उठाया. यह मेला हाड़ौती संभाग के ग्रामीण स्तर पर सबसे बड़ा मेला माना जाता है. जिसमें राजस्थान और मध्यप्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन पहुंचते हैं. वहीं मेला प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखी गई हैं.

गंगा में स्नान के साथ की जाती है विष्णु और शिव की पुजा

स्कंद पुराण की माने तो आज के दिन स्वर्ग से देवतागण धरती पर आते हैं. इसीलिए भोले नाथ की नगरी में गंगा में स्नान और पूजन करने से शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मोक्ष मिलता है. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रीराम संध्याघाट पर श्री श्री 1008 रामानुज संप्रदाय संत और क्षेत्र से आए हुए साधु संत पहला स्नान करते हैं.

इसी दिन विष्णु भगवान ने लिया था ये अवतार

विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था. प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में धरती पर आए थे. भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों, अनाजों और राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था. इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ.

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इस वजह से कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं

शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार किया था. इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है. इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं.

कुंवारी कन्याएं रखती है मौन वर्त

कार्तिक पूर्णिमा पर कुंवारी कन्या और सभी श्रद्धालु श्रद्धा और विश्वास के साथ गंगा स्नान के लिए पहुंचते हैं. वहीं कुंवारी कन्या कार्तिक पूर्णिमा के दिन मोक्ष दायिनी गंगा में पहला स्नान करती है. ऐसा कहा जाता है कुंवारी कन्या सुख, समृद्धि और अच्छे वर प्राप्ति के लिए सवा महीने तक लगातार मौन व्रत धारण करके यहां स्नान करने के लिए आती है.

Intro:कार्तिक पूर्णिमा पर उमड़ा आस्था का सैलाब, नेवज नदी गंगा की गोद में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा में नेवज
में स्नान करने पर होती है मोक्ष की प्राप्ति


मनोहथाना (झालावाड़) हेमराज शर्मा 9950555135

मनोहरथाना (झालावाड़) जिले के श्रीराम संध्याघाट नेवज नदी किनारे
कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्रीराम संध्याघाट के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का नजारा दिखा। हजारों श्रद्धालु घाटों पर स्नान के लिए पहुंचे। कार्तिक महीने की पूर्णिमा पर स्नान का विशेष महत्व होता है। आज के दिन पुण्य प्राप्ति के लिए लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं। साथ ही मां गंगा की पूजा-अर्चना भी करते हैं। स्नान के बाद भक्तों ने बहती गंगा में दीप दान भी किया।
बाबा भोलेनाथ की नगरी श्रीराम संध्याघाट में कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्य की पहली किरण के साथ ही सबने नदी में डुबकी लगाना शुरू कर दिया। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन गंगा में नहाने से पुण्य प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा विशेष फल देने वाली होती है। आज के दिन जो भी भक्त सच्चे मन और विश्वास के साथ गंगा में डुबकी लगाते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। राजस्थान के झालावाड़ जिले के श्रीराम संध्याघाट
में इस त्योहार का खासा महत्व है। स्कंद पुराण की मानें तो आज के दिन स्वर्ग से देवतागण धरती पर आते हैं, इसीलिए भोले नाथ की नगरी में गंगा में स्नान और पूजन करने से शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मोक्ष की मिलता है। विष्णु के भक्तों के लिए यह दिन इसलिए खास है क्योंकि भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। प्रथम अवतार में भगवान विष्णु मत्स्य यानी मछली के रूप में थे। भगवान को यह अवतार वेदों की रक्षा,प्रलय के अंत तक सप्तऋषियों,अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था। इससे सृष्टि का निर्माण कार्य फिर से आसान हुआ।
शिव भक्तों के अनुसार इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का संहार कर दिया जिससे वह त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए। इससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिव जी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूर्णिमा' भी कहते हैं।Body:कार्तिक पूर्णिमा मेले पर नेवज नदी के तट पर इस प्रकार होते हैं आयोजन आयोजित

कार्तिक पूर्णिमा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए विभिन्न प्रकार की दुकानें 2 दिन पहले से ही लग जाती है यह मेला 7 दिवसीय से होता है ।



१ कार्तिक पूर्णिमा स्नान करने वाले श्री श्री १००८ रामानुज संप्रदाय संत एवं क्षेत्र से आए हुए साधु संत पहला स्नान करते हैं ।


२ कार्तिक पूर्णिमा पर कुंवारी कन्या एवं सभी श्रद्धालु श्रद्धा और विश्वास के साथ मां स्नान के लिए पहुंचते हैं वही कुंवारी कन्या कार्तिक पूर्णिमा के दिन मोक्ष दायिनी गंगा में पहला स्नान करती है कहा जाता है कुंवारी कन्या सुख समृद्धि अच्छे वर प्राप्ति के लिए सवा महीने तक लगातार मौन व्रत धारण करके कार्तिक पूर्णिमा का यहां स्नान करने के लिए आती है



मैला आकर्षक का केंद्र विभिन्न प्रकार की दुकानों से डॉलर चकरी से सजा हुआ रहता है बाजार सर्दी के माहौल को देखते हुए अधिकतर बाजारों में ऊनी कपड़ों की खरीदारी करते हुए नजर आए ।


हाडोती संभाग का ग्रामीण स्तर पर सबसे बड़ा मेला जिले का माना जाता है जिसमें मध्यप्रदेश राजस्थान
विभिन्न क्षेत्रों के लोग कार्तिक पूर्णिमा के दिन पहुंचते हैं



चल रही सात दिवसीय भागवत कथा में श्रद्धालुओं भाव विभोर होकर आनंद के साथ कथा श्रवण की श्रद्धालुओं ने एक साथ कार्तिक पूर्णिमा स्नान कर हनुमान मंदिर शिव मंदिर शनि मंदिर बाल हनुमान के दर्शन किएConclusion:झालावाड़ जिले के श्रीराम संध्या घाट नेवज नदी किनारे श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ा इसी बीच श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास का प्रतीक मानते हुए डुबकी लगाई एवं पूजा आराधना कर गौ माता को विभिन्न प्रकार के व्यंजन मिष्ठान्न चारा खिलाकर पुण्य प्राप्त किया एवं नदी का दीपोत्सव बनाकर महाआरती कर भंडारों के अंदर भोजन प्रसादी एवं खीर वितरित की गई कहीं भक्तों ने प्रसाद ग्रहण करके नदी किनारे हर हर गंगे जय जय सियाराम के जयकारे लगाए मेले के अंदर प्रशासन एवं ग्राम पंचायत सहित ग्रामीणों के नेतृत्व में मेले के अंदर एवं घाटों पर सभी पुख्ता इंतजाम किए गए नदी किनारे गंगा स्नान करने वाली के लिए सुरक्षा के मध्य नजर रेस्क्यू टीम जिसमें ग्रामीण अंचल से आए हुए गोताखोर तेरा की दिनभर किनारों पर मौजूद रहे

मेला प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद मेले के अंदर झूला चकरी डोलर आदि विभिन्न प्रकार की सजावट कपड़ों की दुकान आदि मुख्य आकर्षक का केंद्र रही लोगों ने जमकर ऊनी कपड़ों की खरीदारी सर्दी के मौसम को देखते हुए मेले की लोगों ने जमकर खरीदारी का लुफ्त उठाया ।।।
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